दुनिया भर में क्रिप्टो निवेश और नवाचार के केंद्रों की चर्चा में भारत लगातार शीर्ष पर बना हुआ है। Binance के एपीएसी प्रमुख एस बी सेकर के मुताबिक, भारत पिछले तीन सालों से लगातार क्रिप्टो अपनाने में अग्रणी रहा है। 

उन्होंने बताया कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में डिजिटल परिसंपत्तियों की साल-दर-साल वृद्धि दर 69-70% तक पहुंच चुकी है और भारत इस लहर का नेतृत्व कर रहा है। “भारत अब सिर्फ संभावनाओं का बाजार नहीं, बल्कि इस क्षेत्र का वास्तविक अग्रणी बन चुका है,” सेकर ने कहा।

हालांकि Binance का भारत में अभी कोई औपचारिक कार्यालय नहीं है, लेकिन कंपनी अब ज़मीनी स्तर पर अपनी मौजूदगी स्थापित करने की दिशा में काम शुरू कर रही है। सेकर के अनुसार, Binance देशभर में प्रतिभाशाली पेशेवरों की तलाश में है ताकि भारतीय बाजार में अपनी रणनीति को मजबूती से लागू कर सके।

Binance भारत में उपयोगकर्ताओं के लिए अपने उत्पादों और सेवाओं का पूरा सूट उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है। कंपनी का उद्देश्य विभिन्न जनसांख्यिकीय समूहों को जोड़ना है - चाहे वे पहली बार क्रिप्टो का अनुभव कर रहे हों या पहले से सक्रिय निवेशक हों।

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वैश्विक घटनाओं का असर

भारत में बिटकॉइन के सर्वकालिक उच्च स्तर (ATH) और अमेरिकी नियामक परिवर्तनों के प्रभाव पर चर्चा करते हुए सेकर ने कहा,

बढ़ती लहर सभी नावों को ऊपर उठाती है।

उनके अनुसार, अमेरिका वैश्विक विनियमन का एक संकेतक बना हुआ है और वहां के सकारात्मक विकास भारतीय बाजारों पर भी सकारात्मक असर डालते हैं। फिर भी, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत का रास्ता अपना है और यहाँ के नियामक और बाजार दोनों का ढांचा विशिष्ट है।

भारत में टोकेनाइज्ड परिसंपत्तियों के प्रति संस्थागत रुचि तेज़ी से बढ़ रही है। सेकर ने बताया कि संस्थागत अंगीकरण की यह लहर आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र का नेतृत्व करने की स्थिति में ला सकती है।

निष्कर्ष

भारत की युवा जनसंख्या, तकनीकी अनुकूलता और बढ़ती संस्थागत भागीदारी को देखते हुए बिनेंस का यह दांव सिर्फ एक व्यावसायिक विस्तार नहीं बल्कि क्रिप्टो उद्योग के भविष्य की दिशा तय करने वाला कदम माना जा रहा है।

भारत का क्रिप्टो परिदृश्य हाल के वर्षों में तेजी से विकसित हुआ है और यह देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था के एक नए अध्याय की शुरुआत कर रहा है। बिटकॉइन, एथेरियम और पोलिगॉन जैसी मुद्राएं निवेश और नवाचार दोनों का माध्यम बन चुकी हैं।

विशेष रूप से, भारतीय ब्लॉकचेन स्टार्टअप्स ने वैश्विक स्तर पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, जैसे कि पोलिगॉन जो एथेरियम के स्केलेबिलिटी समाधान के रूप में अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुका है।

हालांकि, इस क्षेत्र में नियामकीय स्पष्टता अभी भी एक चुनौती बनी हुई है। भारतीय रिज़र्व बैंक और केंद्र सरकार डिजिटल संपत्तियों पर नियंत्रण और सुरक्षा को लेकर संतुलित नीति की दिशा में कार्य कर रहे हैं। हाल में केंद्र ने क्रिप्टो लेनदेन पर टैक्स व्यवस्था लागू कर पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में कदम उठाया है।

भारत में Web3, डिफाई और एनएफटी जैसे क्षेत्रों में भी तेज़ी से नवाचार हो रहा है, जिससे भविष्य में रोजगार, निवेश और तकनीकी प्रगति के नए अवसर पैदा हो सकते हैं। यदि उचित नियामक ढांचा तैयार किया जाए, तो भारत विश्व का अगला ब्लॉकचेन हब बनने की क्षमता रखता है।विशेषज्ञ भी ऐसा ही सोचते हैं।

भारत अब केवल क्रिप्टो अपनाने में अग्रणी नहीं, बल्कि वैश्विक वित्तीय नवाचार का प्रेरक भी बन रहा है। आने वाले वर्षों में यदि तकनीकी प्रगति, निवेश और नीति-निर्माण समान दिशा में आगे बढ़े, तो भारत न केवल एशिया बल्कि पूरे विश्व के लिए डिजिटल परिसंपत्ति अर्थव्यवस्था का नया मानक तय कर सकता है।

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