प्रमुख अमेरिकी क्रिप्टो एक्सचेंज Coinbase ने हाल के वर्षों में कई सौ मिलियन डॉलर के अधिग्रहण कर अपने व्यापार विस्तार की गति तेज कर दी है। हालांकि कंपनी की मार्केट वैल्यू लगभग $100 बिलियन है और इसके पास लगभग $10 बिलियन कैश रिज़र्व है, लेकिन इसके नेतृत्व ने M&A को व्यापार की “तेजी” हासिल करने का महत्वपूर्ण माध्यम बताया है।
M&A के पीछे रणनीति
Coinbase के कॉर्पोरेट डेवलपमेंट व M&A विभाग के प्रमुख Aklil Ibssa ने बताया कि कंपनी का अधिग्रहण मॉडल एक तरह से “पावर-लॉ” वितरण पर आधारित है। वे कहते हैं कि कई प्रयास होंगे, उनमें से कुछ असफल हो सकते हैं, लेकिन सफल डील्स अन्य निवेशों का खर्च उठाने में सक्षम होंगी। उदाहरण के लिए, Coinbase ने 2019 में Tagomi को करीब $41 मिलियन में खरीदा था, जो बाद में Coinbase Prime का आधार बना। Ibssa ने इसे ‘स्पॉटलाइट हाइलाइट’ डील कहा है।
हालिया प्रमुख डील्स
2025 में Coinbase ने अब तक आठ अधिग्रहण किए हैं। अगस्त में उसने डेरिवेटिव प्लेटफॉर्म Deribit को लगभग $2.9 बिलियन में खरीदा, जिससे इसकी डेरिवेटिव ट्रेडिंग ताकत बढ़ी। बाद में अक्टूबर में Coinbase ने फंडरेज़िंग प्लेटफॉर्म Echo को लगभग $375 मिलियन में अधिग्रहित किया, जिससे ऑन-चेन फंडिंग व स्टार्टअप प्लेटफॉर्म तक पहुंच मजबूत हुई।
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‘ऑल-इन-वन एक्सचेंज’ बनने की दिशा
Ibssa के अनुसार, Coinbase का दीर्घकालीन लक्ष्य एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनना है जहाँ यूज़र “बस एक्सचेंज” न बल्कि ट्रेडिंग, डेरिवेटिव्स, फंडिंग, लिस्टिंग और वॉलेट सर्विसेज सभी एक जगह पाएं। M&A इस लक्ष्य को तेजी से पूरा करने का साधन है, क्योंकि आर्गेनिक ग्रोथ में समय लगता है।
चुनौतियाँ और जोखिम
हालांकि इस रणनीति में लाभ हैं, लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। अधिग्रहण के बाद कंपनियों का एकीकरण, नियामकीय अनुपालन, सॉफ़्टवेयर व सर्विस नेटवर्क का गठन सब आसान नहीं होता। एक्सचेंज को डेटा सुरक्षा, ग्राहक संरक्षण, उत्पाद-विविधता एवं वैश्विक विस्तार की जिम्मेदारी संभालनी होती है। Ibssa ने स्वीकार किया है कि हर डील सफल नहीं होगी लेकिन रणनीति का उद्देश्य संख्या के आधार पर “कुछ बड़े विजेता” उत्पन्न करना है।
क्रिप्टो उद्योग पर प्रभाव
Coinbase की सक्रिय M&A नीति ने पूरे क्रिप्टो उद्योग में स्थिर संकेत भेजा है कि अब बढ़ते प्लेटफॉर्म्स सिर्फ ट्रेडिंग से आगे जाकर इन्फ्रास्ट्रक्चर, डेरिवेटिव्स व एंट्रेप्रेन्यूरशिप फंडिंग तक विस्तार कर रहे हैं। अन्य एक्सचेंज व फिन-टेक कंपनियाँ भी इस दिशा में कदम उठा रही हैं। इस तरह का और अधिग्रहण प्रवाह संभव है क्योंकि प्रतिस्पर्धा तेज होती जा रही है।
निष्कर्ष
Coinbase की अरब-डॉलर्स की सौदेबाजी सिर्फ नया प्रयोग नहीं बल्कि नियोजित रणनीति है, जिसने इसे “बेहतर, व्यापक और तेज” प्लेटफॉर्म बनने में मदद दी है। यदि यह मॉडल सफल निकला, तो उसने न केवल खुद को बल्कि पूरे क्रिप्टो एक्सचेंज-सेगमेंट को नया रूप देना शुरू कर दिया है। ऐसे में निवेशक, नियामक और बाजार सभी यह देख रहे हैं कि Coinbase अगला कदम क्या होगा - और यह कदम क्रिप्टो की अगली लहर को कौन-से रूप में आकार देगा।
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