डिजिटल अर्थव्यवस्था में DAO यानी Decentralized Autonomous Organization ऐसी संस्था है जिसे उसके सदस्य मिलकर चलाते हैं और नियम–कायदे स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के रूप में ब्लॉकचेन पर लिखे होते हैं।

पारंपरिक कंपनी की तरह यहाँ किसी सीईओ या बोर्ड के विवेक पर निर्भरता कम होती है। नियम स्वतः लागू होते हैं और धन का उपयोग, प्रस्ताव, मतदान इत्यादि कोड से संचालित होते हैं।

DAO काम कैसे करता है

DAO के सदस्य प्रायः गवर्नेंस टोकन रखते हैं। कोई भी सदस्य प्रस्ताव रख सकता है, जैसे ख़ज़ाने से फंड जारी करना, प्रोटोकॉल में बदलाव, साझेदारी या जोखिम-मानक बदलना।

फिर ऑन-चेन वोटिंग होती है और पास हुआ प्रस्ताव स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के जरिए समयबद्ध ढंग से लागू हो जाता है। उदाहरण के लिए Uniswap प्रोटोकॉल में UNI टोकन धारक गवर्नेंस मॉड्यूल और टाइमलॉक के ज़रिए बदलाव प्रस्तावित कर उन्हें लागू करते हैं। 

DeFi में कई बड़े प्रोजेक्ट DAO से चलते हैं। MakerDAO समुदाय ‘मेकर प्रोटोकॉल’ के जोखिम-मानक, स्वीकृत कोलेटरल और स्थिरता शुल्क पर वोट करता है। इसी से DAI नाम का विकेन्द्रीकृत स्टेबलकॉइन बना रहता है। यह पूरा ढाँचा ऑन-चेन नियमों पर टिका है और वैश्विक रूप से पारदर्शी है।

क्यों महत्वपूर्ण है DAO?

सभी नियम/लेन-देन पब्लिक ब्लॉकचेन पर दिखते हैं। कोई भी इंटरनेट-उपयोगकर्ता, टोकन शर्तें पूरी कर, शासन में भाग ले सकता है। निर्णय पारित होते ही स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट उन्हें लागू करते हैं। इस प्रकार, मध्यस्थता या केंद्रीय अनुमति की ज़रूरत घटती है। 

जोखिम और चुनौतियाँ

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट सुरक्षा: 2016 में ‘The DAO’ नामक शुरुआती निवेश-DAO से लगभग 50 मिलियन डॉलर मूल्य के ईथर निकाले गए एक कोड-त्रुटि का दुरुपयोग कर। इस घटना के बाद एथेरियम समुदाय ने हार्ड-फोर्क कर धन वापस कर दिया। यहीं से Ethereum और Ethereum Classic दो चेन बनीं। इस प्रकरण ने दिखाया कि कोड की त्रुटियाँ वास्तविक वित्तीय जोखिम में बदल सकती हैं।

कानूनी स्थिति: बहुत-सी जूरिस्डिक्शनों में DAO की कानूनी पहचान अस्पष्ट रही है। टोकन धारकों को साझेदार मान कर दायित्व तय करने की कोशिशें न्यायालयों/रेगुलेटर्स में जारी है। दूसरी तरफ, अमेरिका के वायोमिंग राज्य ने DAO को LLC के रूप में रजिस्टर करने के लिए कानून बनाया और औपचारिक प्रक्रियाएँ/FAQ जारी की। यानी कुछ जगहें DAO को स्पष्ट कानूनी व्यक्तित्व देने लगी हैं।

शासन-डिज़ाइन: “टोकन = वोट” मॉडल में बड़े धारक प्रभावशाली हो सकते हैं; भागीदारी कम होने पर निर्णय कुछ हाथों में सिमट सकते हैं। इसलिए कई DAO क्वरम, डेलीगेशन, टाइमलॉक, और बहु-चरणीय मतदान जैसे तंत्र अपनाते हैं ताकि संतुलन रहे। Uniswap का टाइमलॉक और गवर्नेंस मॉड्यूल, तथा MakerDAO की जोखिम-पैरामीटर वोटिंग, ऐसे ही सुरक्षात्मक/प्रक्रियात्मक उपाय है।

DAO बनाम पारंपरिक संगठन

  • नियंत्रण: पारंपरिक कंपनी में निदेशक मंडल/सीईओ; DAO में ऑन-चेन वोटिंग व कॉन्ट्रैक्ट।

  • पारदर्शिता: कंपनी फाइलिंग्स समय-समय पर; DAO में लगभग रीयल-टाइम ऑन-चेन रिकॉर्ड।

  • कार्यान्वयन: बोर्ड-निर्णय → प्रबंधन; DAO में प्रस्ताव पास → कोड ऑटो-एक्ज़ीक्यूट।

  • कानूनी ढाँचा: कंपनी कानून परिपक्व; DAO का ढाँचा उभरता हुआ। कुछ प्रदेशों में DAO-LLC जैसे मार्ग, पर वैश्विक संगति अभी नहीं।

किसके लिए उपयोगी?

  • DeFi प्रोटोकॉल: नियम/फीस/अपग्रेड पर समुदाय-आधारित शासन।

  • कोष-संचालित समुदाय: कला, मीडिया, ओपन-सोर्स, सार्वजनिक वस्तुओं के लिए सामुदायिक फंडिंग।

  • एसेट/ट्रेज़री मैनेजमेंट: बहु-हस्ताक्षरी और समयबद्ध निष्पादन से सुरक्षित फंड उपयोग।

आगे की दिशा

सुरक्षा-ऑडिट, औपचारिक सत्यापन और मॉड्यूलर गवर्नेंस (डेलीगेट्स, काउंसिल्स, क्वाड्रेटिक वोटिंग आदि) DAO को अधिक समावेशी और सुरक्षित बना रहे हैं।

साथ ही, वायोमिंग जैसे मॉडल जहाँ DAO को LLC-स्टेटस मिलता है, भविष्य में अनुपालन व दायित्व-स्पष्टता में मदद कर सकते हैं, पर क्रॉस-जूरिस्डिक्शन संगति अभी बाकी है।

संक्षेप में, DAO ‘इंटरनेट-नेटिव संगठन’ का वह प्रयोगशाला है जहाँ पूँजी, समुदाय और कोड मिलकर नए प्रकार की संस्थागत संरचनाएँ गढ़ रहे हैं। अवसर बड़े हैं, पर सावधानियाँ और शासन-डिज़ाइन उतने ही निर्णायक।

DAO कोई जादुई स्वचालित मशीन नहीं बल्कि नियम-लिखित, समुदाय-चालित संगठन है जहाँ पारदर्शिता और वैश्विक भागीदारी बढ़ती है, मगर सुरक्षा, भागीदारी और क़ानूनी स्पष्टता पर गंभीर ध्यान देना ज़रूरी है।

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