गैस फीस (Gas Fees) मूलतः ब्लॉकचैन, खासकर एथेरियम जैसे स्मार्ट-कॉन्ट्रैक्ट-प्लेटफ़ॉर्म, पर होने वाले हर ऑपरेशन की कीमत है। यह कीमत नेटवर्क को लेन-देन दर्ज करने, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट चलाने और नोड्स/वैलिडेटर्स को काम करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु दी जाती है। एथेरियम में गैस की इकाई को अक्सर ग्वी (gwei) में मापा जाता है; जो ETH का एक छोटा हिस्सा है।

तकनीकी दृष्टि से गैस दो घटकों से बनती है:

  1. गैस लिमिट: उस ऑपरेशन के लिए आवश्यक अनुमानित गैस यूनिट्स की संख्या (उदाहरण: साधारण ETH ट्रांसफर की तुलना में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कॉल अधिक गैस ले सकती है), और

  2. गैस प्राइस: प्रति गैस यूनिट आप कितना भुगतान करने को तैयार हैं। कुल शुल्क = गैस यूनीट × गैस प्राइस। उच्च जटिलता वाले कोड (लूप, स्टोरेज राइट आदि) अधिक गैस लेते हैं; इसलिए एक ही नेटवर्क पर अलग-अलग ट्रांज़ैक्शन्स की लागत भिन्न होती है।

ईकोनॉमिक कारण

गैस फीस नेटवर्क संसाधनों की मांग और आपूर्ति का संकेत हैं। जब उपयोग ज़्यादा होता है (डैप्स या NFT ड्रॉप्स के समय), गैस की मांग बढ़ती है और उपयोगकर्ता तेज़ पुष्टि पाने के लिए अधिक प्राइस देने लगते हैं, जिससे फीस ऊँची होती है। इसके उलट, शांत समय में फीस घटती है। इसलिए गैस फीस व्यवहार में नेटवर्क कॉंजेशन का बाजार-आधारित संकेत बन जाती है।

2021 में लागू EIP-1559 ने गैस मॉडल में एक बड़ा बदलाव किया: अब प्रत्येक ब्लॉक के लिए एक नेटवर्क द्वारा निर्धारित बेस फी होती है जो जेनरिक बेसलाइन बनाती है और ब्लॉक भरने के हिसाब से ऊपर-नीचे होती है; इस बेस फी का एक हिस्सा नेटवर्क द्वारा बर्न (नष्ट) कर दिया जाता है, जबकि उपयोगकर्ता अतिरिक्त “टिप” देकर वैलिडेटर को प्राथमिकता दे सकते हैं। इससे फीस की अनुमाननीयता बढ़ी और ETH की सप्लाई पर प्रभाव भी देखा गया क्योंकि बेस फी बर्न होती है। परन्तु इससे उच्चतम फीस की समस्या पूरी तरह खत्म नहीं हुई — भारी ट्रैफिक में बेस फी भी बढ़ सकती है।

विकल्प और समाधान: गैस फीस की ऊँची लागत ने लेयर-2 समाधान (जैसे रोलअप्स), साइडचेन और अन्य स्केलेबिलिटी टेक्नोलॉजीज़ को जन्म दिया। ये ट्रांज़ैक्शन को मेन-चेन के बाहर प्रोसेस कर के अंतिम निष्कर्ष (settlement) मेन-चेन पर करते हैं, जिससे प्रति-लेन-देन लागत बहुत घटती है। इसके अलावा कुछ प्रोजेक्ट्स और वॉलेट-प्रोवाइडर्स यूज़र्स को गैस-एस-ए-सर्विस (GaaS) या गैस-फी सबसिडी मॉडल देते हैं ताकि UX बेहतर हो सके।

नैतिक और नीति संबंधी पहलू

गैस फीस केवल तकनीकी या आर्थिक मसला नहीं—यह पहुँच और समावेशन का प्रश्न भी है। यदि एक नेटवर्क पर मूलभूत लेन-देन करने की लागत बहुत ऊँची हो जाए, तो छोटे उपयोगकर्ता और नवप्रवर्तन, छोटे डैप यूज़र्स, जोखिम में पड़ सकते हैं। इसलिए स्केलेबिलिटी सुधार और प्रभावी फीस मॉडल जन-हित के लिए महत्वपूर्ण हैं। वहीं, बेस फीज़ के बर्न होने से कुछ मामलों में ETH की कुल सप्लाई पर निवारक प्रभाव पड़ा है—जिसका प्रभाव मूल्य-गति पर लंबी अवधि में देखने को मिल सकता है।

उपयोगकर्ता के लिये सलाह

लेन-देन करते समय वॉलेट के गैस-प्राइस सुझाव देखें और अगर संभव हो तो कम-भीड़ वाले समय पर भेजें;  उच्च जटिलता वाले ऑपरेशन्स से पहले गैस-लिमिट और संभावित लागत का आकलन करें; यदि बार-बार छोटे ट्रांज़ैक्शन हैं, तो किसी लेयर-2 या साइडचेन विकल्प पर विचार करें। कई एक्सप्लोरर और गैस-ट्रैकर टूल्स वर्तमान गैस रेट दिखाते हैं, जिनका इस्तेमाल करें।

निष्कर्ष

गैस फीस ब्लॉकचेन के आर्थिक और तकनीकी ढाँचे का मूल तत्व हैं: ये नेटवर्क को सुरक्षित रखते हैं, वैलिडेटर्स को प्रोत्साहित करते हैं और साथ ही उपयोगकर्ताओं के अनुभव व पहुँच को प्रभावित करते हैं। EIP-1559 जैसे सुधारों और लेयर-2 स्केलेबिलिटी से कुछ समस्याओं में कमी आई है, पर गैस फीस का प्रश्न तब तक प्रासंगिक रहेगा जब तक नेटवर्क उपयोग और संसाधन सीमाएँ बनी रहें।

समझदारी से विकल्प चुनकर और नए स्केलिंग समाधानों को अपनाकर उपयोगकर्ता लागत कम कर सकते हैं और नेटवर्क के अधिक समावेशी होने में योगदान दे सकते हैं।

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