NFT का पूरा नाम Non-Fungible Token यानी गैर-परवर्तनीय टोकन है। सरल भाषा में यह एक ऐसा क्रिप्टोग्राफिक टोकन होता है जो किसी विशिष्ट डिजिटल या भौतिक वस्तु की ‘विशेष और अद्वितीय’ पहचान और मालिकाना हक को ब्लॉकचेन पर रिकॉर्ड करता है।

किसी भी दो NFTs एक-जैसे नहीं होते। इसलिए बिटकॉइन या डॉलर जैसी मुद्राएँ (जो परवर्तनीय हैं) की तरह इन्हें आपस में बदलकर समतुल्य माना नहीं जा सकता।

इतिहास

2014 में डिजिटल कलाकार केविन मैककोय (Kevin McCoy) और अनिल दश (Anil Dash) ने पहला रिकॉर्डेड NFT बनाया जिसका नाम Quantum था। यह Namecoin ब्लॉकचेन पर मिंट किया गया था।

2015 में Ethereum नेटवर्क के लॉन्च के बाद NFT की अवधारणा को नई गति मिली। उसी वर्ष Etheria नामक प्रोजेक्ट शुरू हुआ जिसमें वर्चुअल भूमियों के टुकड़ों को NFT के रूप में ख़रीदा-बेचा जा सकता था।

2017 में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ सामने आईं जैसे CryptoPunks जिसमें 10,000 यूनिक पिक्सेल-आर्ट अवतार बनाए गए। यह प्रोजेक्ट NFT कला और डिजिटल संग्रहण की व्यापक लोकप्रियता का आरंभिक बिंदु माना जाता है।

2017-2018 के बाद NFT मार्केट में तेज़ी से वृद्धि हुई। CryptoKitties जैसे गेम्स ने लोगों को दिखाया कि कैसे NFT सिर्फ कला नहीं बल्कि इंटरैक्टिव और गेमिंग उपयोगों के लिए भी हो सकता है।

और फिर 2021 वह साल रहा जब NFTs ग्लोबली मुख्यधारा में आ गए; Beeple की Everydays: The First 5000 Days ने Christie's नीलामी में लगभग US$ 69 मिलियन में बिकी, जिसने सार्वजनिक ध्यान और निवेश को और बढ़ाया।

कैसे काम करते हैं

NFTs सामान्यतः किसी पब्लिक ब्लॉकचेन जैसे Ethereum पर ‘मिंट’ किए जाते हैं, यानी उनके लिए एक स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट चलता है जो टोकन का यूनिक पहचान-कोड, निर्माता-सूचना, और कभी-कभी मीडिया-फाइल का रेफरेंस/मेटाडाटा स्टोर करता है।

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खरीद-बिक्री, ट्रांज़ैक्शन और मालिकाना हक का ट्रैक ब्लॉकचेन पर सार्वजनिक और अपरिवर्तनीय रहता है, जिससे ‘प्रमाणिकता’ का रिकॉर्ड बन जाता है। पर ध्यान रहे: अक्सर मीडिया-फाइल स्वयं ब्लॉकचेन पर पूरी तरह संग्रहित नहीं रहती; उसका रेफरेंस (URL/IPFS लिंक) ही टोकन में रहता है, जिससे लिंक-रॉट और होस्टिंग-जोखिम बन सकते हैं। 

प्रमुख बिंदु

1. NFT खरीदने पर अक्सर केवल उस टोकन की ‘मालिकाना पहचान’ मिलती है; कलाकार या मूल मालिक के पास मौजूद कॉपी-राइट/प्रकाशन-अधिकार अलग रह सकते हैं जब तक वे विशेष रूप से ट्रांसफर न करें। इसलिए यह समझना ज़रूरी है कि NFT क्या अधिकार देता है और क्या नहीं।

2.  NFTs का प्रयोग डिजिटल आर्ट, संगीत, वीडियो क्लिप, वर्चुअल-रियल-एस्टेट, इन-गेम आइटम, टिकटिंग और पहचान टोकनाइज़ेशन में हो रहा है। कुछ प्लेटफ़ॉर्म पर fractional ownership (कटे-टुकड़ों में हिस्सेदारी) और रॉयल्टी ऑटो-लॉजिक के ज़रिये कलाकारों के लिए निरन्तर आय मॉडल भी तैयार किये जा रहे हैं।

3. Ethereum पर सामान्य NFT मानक ERC-721 और ERC-1155 हैं; ये यह सुनिश्चित करते हैं कि टोकन यूनिक हों और ट्रैक्सन-प्रोसेस संभव हो। हालांकि Ethereum पर गैस-फीस (लेन-देन शुल्क) ऊँची हो सकती है, इसलिए कुछ प्लेटफ़ॉर्म Solana, Flow जैसी सस्ती चेनें भी उपयोग करते हैं। प्लेटफ़ॉर्म और चेन चुनते समय फीस, पारिस्थितिकी और सुरक्षा ध्यान देने योग्य हैं।

4. NFT मार्केट अत्यधिक अर्ध-विभूत और सट्टाई (speculative) रहा है; अनेक संग्रहों का मूल्य शून्य हो सकता है और तरलता कम मिलना स्वाभाविक है। कानूनी रूप से यह स्पष्ट नहीं कि NFT के साथ कौन-से बौद्धिक संपदा (IP) अधिकार स्वतः ट्रांसफर होते हैं - कई न्यायिक क्षेत्र और नियामक अभी नीति-निर्णय कर रहे हैं। साथ ही, कुछ ब्लॉकचेन-प्रक्रियाओं का ऊर्जा-खर्च और सुरक्षा-चुनौतियाँ भी चर्चा का विषय हैं।

NFT बनाम पारंपरिक कला-बाज़ार

पारंपरिक कला-बाज़ार में प्रमाणिकता की जाँच, बीचौलियों की भूमिका और सीमित पहुंच रही है; NFTs ने डिजिटल रचनाकारों को सीधे ग्लोबल-बज़ार तक पहुँचाने का रास्ता खोला है, जहां स्मार्ट-कॉन्ट्रैक्ट के ज़रिये रॉयल्टी ऑटोमैटिक बन सकती है।

पर नया नहीं यह है कि मूल कलाकृति की वैधता, प्रिंट-कॉपीज़ और कानूनी अधिकारों के असमर्थन से विवाद हो सकते हैं - इसलिए पारंपरिक कानूनी ढाँचे और डिजिटल तकनीक के बीच तालमेल अभी बन रहा है। 

व्यवहारिक सलाह

  • किसी NFT की खरीदी से पहले उस टोकन के साथ जुड़े अधिकारों और मेटाडाटा की जाँच करें।

  • प्लेटफ़ॉर्म और वॉलेट की सुरक्षा और फीस-संरचना समझें - किस चेन पर गैस-खर्च कितना होगा।

  • निवेश को केवल ‘सट्टा’ न मानें; Liquidity और वैल्यू में उतार-चढ़ाव बहुत है - जो आप खोने की हिम्मत रखते हैं वही निवेश करें।

निष्कर्ष

NFTs ने डिजिटल संपत्ति के मालिकाना हक और ऑथेंटिकेशन के तरीके को बदलने की क्षमता दिखाई है: कलाकारों के लिए नई आय की राह, कलेक्टिबल्स के लिए नया साधन, और गेम/वर्चुअल वर्ल्ड के लिए नयापन।

फिर भी यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है; तकनीकी सीमाएँ, कानूनी अस्पष्टताएँ और बाज़ार-जोखिम मौजूद हैं। इसलिए NFT से जुड़ने से पहले तकनीक, अधिकार और प्लेटफ़ॉर्म-जोखिम को समझना अनिवार्य है; स्मार्ट-कॉन्ट्रैक्ट और ब्लॉकचेन की पारदर्शिता एक मौका देती है, पर ढेर सारी सावधानी भी चाहिए।

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