मुख्य बिंदु

  • हेयेस ने कहा कि पारंपरिक चार वर्षीय बिटकॉइन चक्र अब समाप्त हो चुका है। यह समय नहीं, बल्कि पैसे की आपूर्ति पर निर्भर करता है।

  • मौजूदा चक्र अमेरिकी और चीनी मौद्रिक नीतियों के कारण पहले से अलग है; ब्याज दरों में कटौती और बैंकिंग विनियमन में ढील से बिटकॉइन को नई गति मिल सकती है।

  • चीन की भूमिका अब पहले जैसी नहीं, पर उसकी “मुद्रास्फीति समाप्त करने” की नीति बिटकॉइन के लिए बाधा नहीं बनेगी।

हलांकि कुछ विशेषज्ञ अभी भी मानते हैं कि चार वर्षीय चक्र किसी न किसी रूप में जारी रहेगा।

जब भी बिटकॉइन अपने नए शिखर की ओर बढ़ता है, तो निवेशक और विश्लेषक उसके पुराने पैटर्नों को खोजने लगते हैं। अब तक यह विश्वास प्रचलित था कि बिटकॉइन हर चार साल में एक बड़े चक्र से गुजरता है — ‘हॉल्विंग’ के बाद कीमतें उछाल लेती हैं, फिर गिरावट आती है, और यह सिलसिला बार-बार दोहराया जाता है। परंतु इस बार कुछ अलग है।

बिटमेक्स (BitMEX) के सह-संस्थापक आर्थर हेयेस का कहना है कि यह पारंपरिक चक्र अब समाप्त हो गया है। उन्होंने अपने हालिया ब्लॉग में लिखा:

चार वर्ष का बिटकॉइन चक्र इस बार विफल होगा, क्योंकि यह समय नहीं बल्कि मौद्रिक नीति से संचालित होता है।

हेयेस का विश्लेषण इस बात पर केंद्रित है कि बिटकॉइन की कीमतें उन परिस्थितियों में बढ़ती हैं जब डॉलर या युआन की आपूर्ति में तेजी आती है। उनका कहना है कि पिछले सभी बुल रन तभी समाप्त हुए जब अमेरिका या चीन ने पैसे की आपूर्ति को सख्त किया। यानी, यह केवल तकनीकी ‘हॉल्विंग’ का असर नहीं था, बल्कि नकदी प्रवाह और ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव का परिणाम था।

उन्होंने विस्तार से बताया कि इस बार अमेरिका की नीतियां बिटकॉइन के पक्ष में हैं। अमेरिकी ट्रेजरी लगभग $2.5 ट्रिलियन बाजार में डाल रही है । राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप “आसान मौद्रिक नीति” से कर्ज घटाने की दिशा में काम कर रहे हैं और फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती शुरू कर दी है,  जबकि महंगाई अभी भी लक्ष्य से ऊपर है।

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भविष्यवाणियों के अनुसार, अक्टूबर और दिसंबर में दो और कटौतियों की संभावना है। इसका मतलब है कि बाजार में पैसे की उपलब्धता और बढ़ेगी, जो बिटकॉइन जैसे वैकल्पिक संपत्ति वर्गों के लिए ईंधन का काम करेगी।

हेयेस ने यह भी बताया कि पिछली तीन बुल रनों में चीन की भूमिका अहम रही थी — 2013 में क्वांटिटेटिव ईजिंग, 2017 में युआन क्रेडिट बूम और 2020 में कोविड-19 काल की अमेरिकी लिक्विडिटी।

लेकिन इस बार चीन न तो अत्यधिक पैसा छाप रहा है, न ही उसका रुख पूरी तरह सख्त है। उनके अनुसार, “चीन अब डिफ्लेशन खत्म करने की नीति अपना रहा है, जिससे अमेरिकी विस्तारवादी नीति को संतुलन मिलेगा, न कि विरोध।”

हेयेस ने अपने ब्लॉग के अंत में लिखा: “वॉशिंगटन और बीजिंग से जो संकेत मिल रहे हैं, वे स्पष्ट हैं: पैसा सस्ता और अधिक उपलब्ध होने वाला है। इसलिए बिटकॉइन बढ़ता रहेगा। पुराना राजा मर गया, नया राजा अमर रहे।”

निष्कर्ष

आर्थर हेयेस का यह तर्क वैश्विक वित्तीय जगत में एक नए विमर्श को जन्म देता है — क्या बिटकॉइन का भविष्य अब ‘चार साल’ की घड़ी से नहीं, बल्कि केंद्रीय बैंकों की नीतियों से तय होगा?

जहाँ कुछ विश्लेषक अभी भी पुराने चक्र पर विश्वास रखते हैं, वहीं हेयेस के समर्थक मानते हैं कि डिजिटल संपत्ति का युग अब मौद्रिक चक्रों के युगमेंप्रवेश कर चुका है। बिटकॉइन के लिए यह न केवल एक नया चक्र है, बल्कि आर्थिक सोच में एक नई क्रांति भी।

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