चीन ने अमेरिकी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वर्ष 2020 में US से जुड़े एक साइबर हमले में 13 अरब डॉलर मूल्य के Bitcoin चोरी किए गए। यह बिटकॉइन एक चीनी मूल के कंबोडियाई उद्योगपति से संबंधित बताए जा रहे हैं।
चीन के नेशनल कंप्यूटर वायरस इमरजेंसी रिस्पॉन्स सेंटर (CVERC) ने अपने हालिया रिपोर्ट में दावा किया है कि दिसंबर 2020 में हुआ यह हैकिंग हमला लुबियन (LuBian) नामक कंपनी से जुड़े बिटकॉइन खातों पर हुआ, जो दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी माइनर्स में से एक है।
रिपोर्ट के अनुसार, चोरी हुए 1,27,272 बिटकॉइन उस समय लगभग 13 अरब डॉलर (करीब 1.08 लाख करोड़ रुपये) मूल्य के थे। यह संपत्ति चेन झी (Chen Zhi) नामक उद्योगपति की बताई गई है, जो कंबोडिया में स्थित Prince Group के चेयरमैन हैं।
निक्केई एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक, चेन झी का जन्म चीन में हुआ था और उन्होंने दक्षिण-पूर्व एशिया में वित्त, रियल एस्टेट और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्रों में तेजी से अपना कारोबारी साम्राज्य खड़ा किया है।
CVERC की रिपोर्ट
CVERC द्वारा अपने आधिकारिक वीचैट अकाउंट पर साझा की गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह चोरी किसी साधारण साइबर अपराधी समूह का काम नहीं थी, बल्कि इसके पीछे राज्य-प्रायोजित तत्वों की भूमिका थी।
रिपोर्ट में कहा गया कि यह हमला दिसंबर 2020 में, यानी तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के अंतिम दिनों में, अंजाम दिया गया था।
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CVERC के अनुसार, चोरी किए गए बिटकॉइन चार वर्षों तक हैकरों के वॉलेट में निष्क्रिय पड़े रहे और हाल ही में अमेरिका के न्याय विभाग (DOJ) द्वारा अचानक जब्त कर लिए गए।
यह वही बिटकॉइन हैं, जिन्हें लेकर अमेरिकी अधिकारियों ने पिछले महीने बयान जारी किया था, परंतु उनकी उत्पत्ति या उन पर नियंत्रण प्राप्त करने की प्रक्रिया को लेकर अब तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।
अमेरिका की कार्रवाई और चीन का प्रतिवाद
अक्टूबर में अमेरिकी न्याय विभाग ने चेन झी के खिलाफ वायर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए थे।
अमेरिकी अभियोजकों ने दावा किया था कि चेन झी और उनके समूह ने कंबोडिया में जबरन श्रम से जुड़े घोटालों का संचालन किया। उसी समय, DOJ ने 1,27,271 बिटकॉइन ज़ब्त करने की घोषणा की थी, जिसे अब तक की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी ज़ब्ती कहा गया।
हालांकि, CVERC की रिपोर्ट का दावा है कि ये बिटकॉइन उन्हीं खातों से जुड़े हैं जो 2020 में साइबर हमले के दौरान हैक किए गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी एजेंसियों ने “हैकिंग और नियंत्रण” के माध्यम से इन्हें अवैध रूप से अपने कब्जे में लिया है।
बिटकॉइन ज़ब्ती की घोषणा के बाद क्रिप्टो बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला और बिटकॉइन की कीमत में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई।
‘संपत्ति की अवैध ज़ब्ती’
चीन के आरोपों के बाद प्रिंस ग्रुप ने मंगलवार को एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए अमेरिकी कार्रवाई को “पूर्णतः अनुचित और अवैध” बताया।
कंपनी ने अमेरिकी लॉ फर्म Boies Schiller Flexner के माध्यम से कहा, “प्रिंस ग्रुप और उसके चेयरमैन चेन झी ने किसी भी गलत कार्य में भाग नहीं लिया है।
अमेरिकी अधिकारियों द्वारा की गई यह ज़ब्ती अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है और इसे चुनौती दी जाएगी।”
कंपनी ने यह भी कहा कि उनके क्रिप्टो संपत्तियों का स्रोत वैध है और सभी लेन-देन अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप किए गए हैं।
कूटनीतिक और डिजिटल तनाव में नई परत
विश्लेषकों का कहना है कि यह मामला उस समय सामने आया है जब बीजिंग और वाशिंगटन के बीच डिजिटल संपत्तियों, साइबर सुरक्षा और प्रौद्योगिकी नियंत्रण को लेकर पहले से ही गहरे मतभेद मौजूद हैं। यह नया आरोप दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव में एक और परत जोड़ता है।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने इसे “साइबर संप्रभुता” की बहस से जोड़ते हुए कहा है कि आने वाले समय में यह विवाद अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय नियमन और डिजिटल संपत्ति सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
चीन ने हाल के वर्षों में बार-बार अमेरिका पर ‘राज्य-प्रायोजित हैकिंग’ के आरोप लगाए हैं, जबकि अमेरिकी एजेंसियां लगातार बीजिंग पर वैश्विक साइबर जासूसी अभियानों को अंजाम देने का आरोप लगाती रही हैं।
निष्कर्ष
हालांकि इस मामले की स्वतंत्र पुष्टि अब तक नहीं हो सकी है, परंतु यदि चीन के आरोप सत्य पाए गए, तो यह विश्व की सबसे बड़ी क्रिप्टो चोरी और अब तक की सबसे विवादास्पद साइबर घटनाओं में से एक होगी।
इस विवाद ने न केवल डिजिटल संपत्ति की सुरक्षा पर सवाल उठाया है, बल्कि महाशक्तियों के बीच डिजिटल युद्ध की दिशा में भी एक नया अध्याय खोल दिया है।
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