वैश्विक वित्तीय बाजार में एक बुरा सुर शुरू हुआ है। Bitcoin कीमत $1 00,000 से नीचे गिर गई और एशिया-प्रशांत शेयर बाजारों में दबाव बढ़ा रहा है। इसका मुख्य कारण है बढ़ती मुद्रास्फीति और इसके परिणामस्वरूप Federal Reserve (फेडरल रिज़र्व) द्वारा मौद्रिक नीति ढीली करने के विकल्पों में कमी होना।
रिपोर्ट के अनुसार, बिटकॉइन लगभग 2.9 % गिरकर कर $99,063 पर आ गया, जबकि Ether और XRP क्रमशः 6.9 % और 7.6 % तक नीचे आए। कुल क्रिप्टो मार्केट कैप लगभग $3.41 ट्रिलियन रहा, जो 3.8 % की गिरावट दर्शाता है।
साथ ही, अमेरिकी शेयर-फ्यूचर्स में भी दर्ज किया गया। जापान में Nikkei 225 1.77 % गिरा, ऑस्ट्रेलिया में S&P/ASX 200 1.35 % नीचे गया और न्यूजीलैंड में बेंचमार्क 1.58 % टूटा।
फेडरल रिज़र्व की दरों में कटौती
ये पूरे परिदृश्य हमें बताता है कि बाजार जोखिम से बचाव की ओर लौट रहा है। निवेशक अब ऐसी स्थितियों में अधिक तटस्थ होकर चलना चाह रहे हैं जहाँ मुद्रास्फीति ने दोबारा गति पकड़ ली है, और फेड की दर-कटौती (rate-cuts) की संभावना कम होती दिख रही है।
मुद्रास्फीति के बढ़ने से फेड के लिए यह दुविधा खड़ी हो गई है कि क्या उसे अभी दरें कम करनी चाहिए जिससे आर्थिक वृद्धि को सहारा मिल सकता है या उन्हें उसी तरह ऊँचा रखकर पूर्वशर्त पूरी करनी चाहिए कि कीमत स्थिरता कायम रहे। उदाहरण के लिए, एटलांटा फेड के प्रेसीडेंट Raphael Bostic ने कहा है कि कीमत-स्थिरता मुद्दा अभी रोजगार-वृद्धि से अधिक तत्काल है।
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इसी तरह, क्लीवलैंड फेड की प्रमुख Beth Hammack ने भी आगे दरों में कटौती के खिलाफ आवाज़ उठाई है क्योंकि मुद्रास्फीति अभी भी 2 % लक्ष्य से काफी ऊपर है।
दर-कटौती की संभावना कम होना, पारंपरिक रूप से जोखिम-संपत्तियों जैसे क्रिप्टोकरेंसी व उच्च-क्रिया वाले शेयरों हेतु नकारात्मक साबित हो रहा है क्योंकि दरों में कटौती से मिलने वाला सस्ता पैसा अब बाजार को नहीं मिलना दिख रहा।
क्रिप्टो मार्केट पर असर
क्रिप्टो खासकर इस पर अधिक संवेदनशील है क्योंकि वहाँ निवेश का स्वरूप काफी जोखिम आधारित होता है। और जब दरें बनी रहें या कटौती में देर हो जाए तो जोखिम संपत्ति पर बिकवाली का दबाव बढ़ता है, जो कि मार्केट में अभी साफ देखा जा रहा है।
दूसरी ओर, एशिया में चीन में ग्रोथ की धीमी गति ने निवेशकों की आशाएं ठंडा कर दी हैं। यह संकेत देता है कि वैश्विक वृद्धि के वातावरण में कमजोरी भी आ रही है। ऐसे में मुद्रास्फीति को ठंडा करने हेतु केंद्रीय बैंकें नीति-समर्थन हेतु तत्पर नहीं हो सकतीं। यही स्थिति जोखिम-संपत्तियों को और कमजोर बना रही है।
इस प्रकार, हम बाजार के लिए एक प्रकार का डबल झटका देख रहे हैं। एक ओर, मुद्रास्फीति-चिंताओं ने दर-कटौती की उम्मीदों को कम किया। दूसरी ओर, वैश्विक वृद्धि में आ रही ढील ने निवेश रुझानों को जोखिम-उन्मुख से बचाव-उन्मुख में बदल दिया।
क्रिप्टो मार्केट में यह विशेष रूप से स्पष्ट है: संस्थागत प्रवाह कम हुआ है। उदाहरण के लिए बिटकॉइन-इटीएफ में पिछले 9 ट्रेडिंग दिनों में लगभग $963.7 मिलियन का नेट आउटफ्लो देखा गया है। यह दिखाता है कि बड़े निवेशक अभी इस फील्ड में प्रवेश करने हेतु सहमति बनाने से पहले और संतुष्ट होना चाह रहे हैं कि आगे बढ़ने का बेस साफ़ है।
निष्कर्ष
मौडलिंग यही संकेत दे रही है कि निवेशकों को अब सस्ते पैसे की उम्मीद धीरे-धीरे छोड़नी होगी और अधिक सतर्कता अपनानी होगी। क्रिप्टो व जोखिम-संपत्ति की दुनिया में आग उगलने वाला माइक्रो-मोमेंट अब यही है। क्या मुद्रास्फीति व आर्थिक कमजोरी का मिश्रण फेड को दरें बढ़ाए रखने या उन्हें लंबे समय तक ऊँचे रखने के लिए बाध्य कर देगा? इस सवाल का जवाब फिलहाल हाँ के करीब नजर आ रहा है।
भारत सहित एशिया-प्रशांत निवेशक विशेष सतर्क रहें। यदि अमेरिकी दरें तेजी से नहीं कम हुईं और वैश्विक वृद्धि निराश करती रही, तो जोखिम-संपत्तियाँ और पीछे जा सकती हैं। दूसरी ओर, यदि जल्दी ही मुद्रास्फीति पर नियंत्रण दिखे और फेड ने फिर दरें घटाने का संकेत दिया, तो आपूर्ति-लाभ अवसर फिर उभर सकते हैं। लेकिन अब वक्त उम्मीद से आगे निकलने का नहीं, बल्कि स्थिति को समझने व प्रतिक्रिया देने का है।
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