बिटकॉइन को कानूनी मुद्रा के रूप में अपनाने वाला दुनिया का पहला देश, एल साल्वाडोर, लगातार अपनी बिटकॉइन होल्डिंग्स बढ़ा रहा है। ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, देश ने अब तक कुल 6,258 बिटकॉइन जमा कर लिए हैं, जिनकी वर्तमान कीमत 718 मिलियन डॉलर (लगभग ₹6,000 करोड़) से भी अधिक है।

यह जानकारी क्रिप्टो न्यूज़ पोर्टल Cointelegraph ने एक ट्वीट के ज़रिए साझा की, जिसमें कहा गया कि एल साल्वाडोर की सरकार अपनी “डेली बिटकॉइन बायिंग स्ट्रैटेजी” के तहत नियमित रूप से बिटकॉइन खरीद रही है।

क्यों कर रहा है एल साल्वाडोर ये खरीद?

एल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायिब बुकेले लंबे समय से बिटकॉइन के समर्थक रहे हैं। 2021 में देश ने बिटकॉइन को आधिकारिक मुद्रा का दर्जा दिया था। उसके बाद से सरकार ने हर गिरावट पर बिटकॉइन की खरीदारी की रणनीति अपनाई है।

बुकेले का मानना है कि यह निवेश दीर्घकालिक रूप से देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूती देगा और पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम पर निर्भरता को कम करेगा।

वैश्विक क्रिप्टो परिदृश्य में मायने

एल साल्वाडोर की इस आक्रामक खरीद नीति को क्रिप्टो बाजार में “सॉवरेन लेवल सपोर्ट” के रूप में देखा जा रहा है। यह न केवल बिटकॉइन में विश्वास को दर्शाता है, बल्कि अन्य देशों के लिए एक उदाहरण भी प्रस्तुत करता है कि वे भी डिजिटल संपत्तियों को अपनाने के बारे में सोचें।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की लगातार खरीद से बाजार में सकारात्मक सेंटिमेंट बनता है और बिटकॉइन की दीर्घकालिक वैल्यू को मज़बूती मिलती है।

क्या हैं जोखिम?

जहां एक ओर यह रणनीति क्रांतिकारी मानी जा रही है, वहीं आलोचकों का कहना है कि इतनी बड़ी मात्रा में बिटकॉइन पर निर्भरता देश की अर्थव्यवस्था को अस्थिर बना सकती है, खासकर तब जब बाजार में उतार-चढ़ाव तेज़ हो।

हालांकि, अब तक एल साल्वाडोर ने अपनी होल्डिंग्स को लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट मानते हुए बेचा नहीं है।

निष्कर्ष

एल साल्वाडोर की यह नई उपलब्धि यह साबित करती है कि देश क्रिप्टो फाइनेंस में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। जहां एक ओर दुनिया भर के देश बिटकॉइन को लेकर असमंजस में हैं, वहीं एल साल्वाडोर रोज़ बिटकॉइन खरीदकर भविष्य की डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर मज़बूत क़दम बढ़ा रहा है।