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Rajeev RRajeev R

Quantum computing में बड़ा कदम, IBM ने पेश किए नाइटहॉक और लून, दो नए chips

IBM का लक्ष्य है 2026 तक Quantum Advantage हासिल करना और 2029 तक त्रुटि-रोधी क्वांटम कंप्यूटर तैयार करना।

Quantum computing में बड़ा कदम, IBM ने पेश किए नाइटहॉक और लून, दो नए chips
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तकनीकी दिग्गज IBM ने अपनी क्वांटम कंप्यूटिंग में एक महत्वपूर्ण छलाँग लगाते हुए दो अत्याधुनिक प्रोसेसर Nighthawk और Loon का अनावरण किया है। यह घोषणा कंपनी की वार्षिक Quantum Developer Conference में की गई, जिसमें उसने यह स्पष्ट किया कि वह 2026 तक क्वांटम एडवांटेज और 2029 तक फॉल्ट-टॉलरेंट (त्रुटि-रोधी) क्वांटम कंप्यूटर की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।

IBM के अनुसार, Nighthawk उनकी अब तक की सबसे उन्नत क्वांटम चिप है। इसमें 120 क्यूबिट्स हैं और ये एक विशेष वर्ग लैटिस संरचना में जुड़े हुए हैं। इसके कनेक्टर्स की संख्या 218 है, जिन्हें “टीनेबल कूपलर्स” कहा जाता है, जो पिछली पीढ़ी की चिप Heron की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है।

बेहतर कनेक्टिविटी यह सुनिश्चित करती है कि क्वांटम सर्किट्स अधिक जटिल हो सके। IBM का दावा है कि नाइटहॉक में 30 प्रतिशत अधिक जटिलता वाले सर्किट्स चलाए जा सकते हैं, वह भी कम त्रुटि दरों के साथ। प्रारंभ में यह चिप 5,000 दो-क्यूबिट गेट्स तक के क्वांटम गणनाओं को संभाल सकती है।

IBM ने आगे भविष्यवाणी की है कि आने वाले वर्षों में नाइटहॉक की क्षमताओं में और विस्तार होगा। 2026 तक ~7,500 गेट्स तक पहुंचने की उम्मीद है और 2027 में लगभग 10,000 गेट्स। 2028 तक लंबे-रेंज कूपलर्स के इस्तेमाल से 1,000 से अधिक क्यूबिट्स वाले सिस्टम में 15,000 गेट्स तक संभव हो सकते हैं।

IBM का यह मानना है कि नाइटहॉक क्वांटम एडवांटेज का प्रदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा यानी ऐसे कामों में जहाँ क्वांटम कंप्यूटर क्लासिकल (परंपरागत) कंप्यूटरों से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

लून प्रोसेसर

दूसरी ओर, Loon नामक यह प्रोसेसर अधिक प्रयोगात्मक है, लेकिन इसकी महत्व बहुत बड़ी है क्योंकि यह त्रुटि-रोधी क्वांटम कंप्यूटिंग की दिशा में IBM का आधार दिखाता है। IBM के बयान के मुताबिक, लून में क्वांटम एरर करेक्शन के सभी ज़रूरी हार्डवेयर घटक मौजूद हैं।

Loon चिप में “c-couplers” नामक विशेष लिंकिंग लेयर्स हैं, जो एक ही चिप पर दूर-दराज के क्यूबिट्स को जोड़ने की सुविधा देते हैं। इसके अलावा इसमें क्विबिट्स को दोबारा रीसेट करने की क्षमता भी है, जिससे उन्हें एक सर्किट के बाद साफ करके पुनः उपयोग किया जा सकेगा।

सबसे खास उपलब्धि यह है कि IBM ने qLDPC (quantum Low-Density Parity-Check) कोड के लिए एरर-डिकोडिंग को क्लासिकल कंप्यूटर पर 480 नैनोसेकंड से भी कम समय में करने में सफलता पाई है और यह लक्ष्य निर्धारित समय से एक साल पहले पूरा किया गया।

अन्य तकनीकी और सामुदायिक पहल

IBM ने न केवल चिप्स पेश किए हैं, बल्कि क्वांटम सॉफ़्टवेयर और एल्गोरिदमिक सुधारों में भी प्रगति की है। कंपनी का Qiskit प्लेटफॉर्म अब और अधिक बेहतर हो गया है। इसमें डायनामिक सर्किट्स की सटीकता में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और एरर मिटिगेशन की लागत कई गुना कम हो गई है।

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इसके अलावा, IBM ने 300 मिमी वाफर फैब्रिकेशन सुविधा में भी निवेश किया है। इस नए निर्माण केंद्र ने उनकी चिप विकास गति को दोगुना कर दिया है और चिप की भौतिक जटिलता को 10 गुना तक बढ़ाया है, खासकर फॉल्ट-टॉलरेंट एरर करेक्शन रोडमैप के लिए।

रूपरेखा को पारदर्शी बनाने के लिए, IBM ने एक सार्वजनिक Quantum Advantage Tracker भी लॉन्च किया है। इस ट्रैकर में IBM, Algorithmiq, Flatiron Institute और BlueQubit जैसे सहयोगी शामिल हैं और वे सभी मिलकर क्वांटम एडवांटेज के दावों का समुदाय-आधारित परीक्षण और सत्यापन करेंगे।

क्रिप्टो-स्थिति और सुरक्षा चिंता

कोइनटेलग्राफ रिपोर्ट में यह भी ध्यान दिलाया गया है कि क्वांटम कंप्यूटिंग का महत्व सिर्फ वैज्ञानिक प्रयोगों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह क्रिप्टोकरेंसी की सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती पेश कर सकती है। कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि क्वांटम कंप्यूटर भविष्य में बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टो परिसंपत्तियों की एन्क्रिप्शन को दरक सकते हैं। 

निष्कर्ष

IBM की ये नई घोषणाएँ क्वांटम कंप्यूटिंग की दुनिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ हैं। जहां नाइटहॉक क्लासिकल कंप्यूटरों को पीछे छोड़ने की दिशा में “क्वांटम एडवांटेज” की ओर अग्रसर है, वहीं लून उस सपना की नींव रखता है जहाँ कंप्यूटर अपनी खुद की त्रुटियों का पता लगा कर उन्हें सुधार सके।

IBM का आक्रामक रोडमैप, पारदर्शी सामुदायिक ट्रैकिंग, सॉफ़्टवेयर और चिप निर्माण में तेजी यह संकेत देता है कि क्वांटम कंप्यूटर सिर्फ एक सिद्धांत नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों में व्यावहारिक यथार्थ बन सकता है।

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