भारत को दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था माना जाता है। 90 करोड़ से ज्यादा मतदाता और कई हफ्तों तक चलने वाले चुनाव इस बात का प्रमाण हैं। लेकिन इतने विशाल चुनाव तंत्र के बावजूद, भारत में वोटिंग प्रक्रिया कई चुनौतियों का सामना करती है, जैसे कि धीमी मतगणना, वोटिंग में गड़बड़ी की आशंका, दूर-दराज़ इलाकों में मतदान की कठिनाइयाँ और पारदर्शिता को लेकर चिंता।
अब जब ब्लॉकचेन तकनीक परिपक्व हो रही है, तो यह भारत के चुनावी ढांचे को बदलने का एक नया मौका दे सकती है। यह न केवल वोटिंग की प्रक्रिया को तेज़ और सुरक्षित बना सकती है, बल्कि नागरिकों का भरोसा भी मज़बूत कर सकती है।
ब्लॉकचेन वोटिंग क्या है?
ब्लॉकचेन एक डिजिटल लेज़र (खाता बही) है, जिसमें दर्ज डेटा को बदलना लगभग नामुमकिन होता है। इसमें हर वोट एक सुरक्षित लेन-देन की तरह रिकॉर्ड होता है, जिसे पहले डाले गए वोट से जोड़ा जाता है, जिससे एक ऐसी चेन बनती है जिसे कोई छेड़ नहीं सकता।
कल्पना कीजिए कि एक हिमालयी गांव या सुंदरबन के किसी दूरस्थ इलाके में एक पोलिंग बूथ है। वहां का मतदाता एक QR कोड स्कैन कर, अपनी उंगलियों के निशान या फेस स्कैन से पहचान कर सकता है और टैबलेट पर वोट डाल सकता है। उसका वोट तुरंत ब्लॉकचेन पर रिकॉर्ड हो जाएगा और पूरे चुनाव नेटवर्क पर सुरक्षित तरीके से दिखाई देगा; नाम गुप्त रहेगा, लेकिन वोट की गिनती सब देख सकेंगे।
तेज़ गिनती और बढ़ा भरोसा
आज भारत में मतगणना में कई दिन लग जाते हैं। इतनी देरी अफवाहों और गलत सूचनाओं को जन्म देती है। ब्लॉकचेन वोटिंग के ज़रिए कुछ ही घंटों या मिनटों में नतीजे आ सकते हैं, जिससे जनता को भरोसा रहेगा और चुनाव के बाद का माहौल शांतिपूर्ण रहेगा।
इसके अलावा, हर राजनीतिक पार्टी, मीडिया और आम नागरिक अपने स्तर पर वोटों की गिनती को जांच सकेंगे। पारदर्शी प्रक्रिया होने से चुनावी सिस्टम में लोगों का भरोसा और बढ़ेगा।
एक सफल शुरुआत: तेलंगाना की पायलट परियोजना
साल 2020 में तेलंगाना में IIT मद्रास और चुनाव आयोग के साथ मिलकर ब्लॉकचेन वोटिंग की एक पायलट टेस्टिंग की गई थी। यह एक नकली चुनाव था, लेकिन परिणाम सकारात्मक रहे। यह साबित हुआ कि दूर बैठे मतदाता भी सुरक्षित तरीके से वोट कर सकते हैं।
हालांकि 2 साल बीतने के बाद भी इस तकनीक को देशभर में लागू नहीं किया गया है।
अभी भी कई चुनौतियाँ
ब्लॉकचेन वोटिंग को पूरे देश में लागू करने से पहले कई बाधाएं हैं; जैसे साइबर सुरक्षा, इंटरनेट की उपलब्धता, डिजिटल साक्षरता और डेटा की गोपनीयता। लेकिन ये सभी समस्याएं हल की जा सकती हैं।
अगर भारत UPI और आधार जैसी बड़ी डिजिटल व्यवस्थाएं बना सकता है, तो ब्लॉकचेन वोटिंग को भी अपनाया जा सकता है।
लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि देश के कई ग्रामीण इलाकों में अब भी तेज़ इंटरनेट उपलब्ध नहीं है। हर मतदान केंद्र पर सुरक्षित उपकरण और इंटरनेट देना एक बड़ा काम होगा।
साथ ही, साइबर सुरक्षा को भी मजबूत बनाना होगा, क्योंकि अगर कोई एक कमजोर कड़ी हैक हो गई, तो पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े हो सकते हैं। इसके लिए कड़ी जांच, एन्क्रिप्शन और निगरानी ज़रूरी होगी।
धीरे-धीरे लेकिन ठोस कदम
भारत को एक झटके में कागज़ की वोटिंग से ब्लॉकचेन वोटिंग पर नहीं जाना चाहिए। शुरुआत राज्य स्तर की पायलट परियोजनाओं से की जा सकती है, जैसे छोटे राज्यों के विधानसभा चुनाव या बड़े शहरों के नगरपालिका चुनाव।
इन पायलट प्रोजेक्ट्स से यह पता चलेगा कि तकनीक, नेटवर्क और मतदाता शिक्षा में क्या-क्या सुधार की ज़रूरत है।
इसके साथ ही चुनाव आयोग को एक स्पष्ट नियमावली और टेक्नोलॉजी स्टैंडर्ड्स भी तय करने होंगे। ओपन सोर्स तकनीक और दुनिया के दूसरे उदाहरणों — जैसे एस्टोनिया और सिएरा लियोन — से भारत सीख सकता है।
लोगों की भागीदारी ज़रूरी
भारत में चुनाव प्रक्रिया में कोई भी बदलाव तभी सफल होगा जब जनता उस पर भरोसा करेगी। इसलिए लोगों को यह समझाना होगा कि ब्लॉकचेन वोटिंग क्या है, और यह पारंपरिक सिस्टम से क्यों बेहतर है।
इसके लिए टीवी, स्थानीय भाषाओं के अखबार, गांवों में वर्कशॉप, सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाना होगा। ग्रामीण इलाकों में, जहां साक्षरता कम है, वहां आसान भाषा और हाथों से दिखाकर समझाना ज़रूरी होगा।
राजनीतिक दलों को भी एकजुट होकर इस तकनीक पर विचार करना होगा, ताकि ये बदलाव किसी एक पार्टी का एजेंडा न लगे।
एक ऐतिहासिक मौका
भारत इस समय दो रास्तों के बीच खड़ा है, एक तरफ पारंपरिक वोटिंग प्रणाली है, जो सालों से चली आ रही है। दूसरी तरफ एक डिजिटल लोकतंत्र की कल्पना है, जिसमें नतीजे जल्दी आएंगे, पारदर्शिता होगी, और देश के हर कोने तक वोटिंग आसानी से पहुंचेगी।
क्या भारत इस डिजिटल बदलाव की ओर कदम बढ़ाएगा? इसका जवाब राजनीति की इच्छाशक्ति, तकनीकी तैयारी और जनता के भरोसे पर निर्भर करेगा।
छोटे स्तर से शुरुआत कर और सोच-समझकर इसे बढ़ाया जाए, तो भारत अपने लोकतंत्र का एक नया, आधुनिक अध्याय लिख सकता है; एक ऐसा अध्याय जिसमें हर वोट सिर्फ डाला नहीं जाएगा, बल्कि गिना भी जाएगा और सभी को उसका भरोसा भी होगा।
अगर भारत इसमें सफल होता है, तो वह सिर्फ अपना लोकतंत्र नहीं मज़बूत करेगा, बल्कि दुनिया के अन्य बड़े देशों को भी एक नई राह दिखाएगा।