भारत में क्रिप्टोकरेंसी का परिदृश्य धीरे-धीरे लेकिन निरंतर विकसित हो रहा है। इसमें आम लोगों की बढ़ती रुचि और फिनटेक प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से इसका बढ़ता उपयोग प्रमुख विशेषताएं हैं।
बिटकॉइन और एथेरियम जैसे डिजिटल परिसंपत्तियों ने खुदरा(रिटेल) निवेशकों और वित्तीय तकनीकी प्लेटफॉर्म्स के बीच अच्छी पकड़ बनाई है, लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अब भी सतर्क रुख अपनाए हुए है। RBI ने क्रिप्टो की अस्थिरता, अवैध गतिविधियों में संभावित उपयोग और वित्तीय स्थिरता पर इसके प्रभाव को लेकर बार-बार चिंता जताई है।
2022 में भारत सरकार ने क्रिप्टो से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर और लेन-देन पर एक प्रतिशत टीडीएस लागू किया था। यह कदम क्रिप्टो को कानूनी मान्यता दिए बिना उसके अस्तित्व को स्वीकार करने जैसा था। साथ ही, लॉजिस्टिक्स, कृषि और सार्वजनिक प्रशासन जैसे क्षेत्रों में ब्लॉकचेन तकनीक को अपनाने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं।
जैसे-जैसे भारत वित्तीय डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहा है और अपनी केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (Central Bank Digital Currency-CBDC) विकसित कर रहा है, देश में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य नीति-निर्माण और बहस का विषय बना हुआ है।
RBI वैश्विक स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े घटनाक्रमों पर पैनी नजर बनाए हुए है, खासकर अमेरिका जैसे प्रमुख देशों में आए राजनीतिक और नियामकीय बदलावों के मद्देनजर। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का क्रिप्टो को लेकर रुख बदलना इस बदलाव का प्रमुख कारण रहा है—जहाँ वह पहले इसके विरोधी थे, अब वे इसके प्रबल समर्थक बन चुके हैं।
ट्रंप ने न केवल इस क्षेत्र में निजी निवेश किया है, बल्कि इसके व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में भी समर्थन दिया है। उनके नेतृत्व में अमेरिका एक राष्ट्रीय बिटकॉइन भंडार बनाने की दिशा में काम कर रहा है जो डिजिटल संपत्तियों को औपचारिक रूप से मुख्यधारा की वित्तीय प्रणाली में शामिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
साथ ही, अमेरिकी संसद में भी क्रिप्टो समर्थक कानूनों के लिए माहौल बन रहा है, जिनका उद्देश्य नियामकीय स्पष्टता प्रदान करना और ब्लॉकचेन व डिजिटल वित्त में नवाचार को प्रोत्साहित करना है।
इन वैश्विक बदलावों को देखते हुए, RBI लगातार सतर्क बना हुआ है क्योंकि ऐसे घटनाक्रम भारत की मौद्रिक नीति, वित्तीय स्थिरता और नियामकीय ढांचे को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि भारत अब तक क्रिप्टो को लेकर सतर्क नीति पर कायम है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे बदलाव निकट भविष्य में घरेलू नीति को नई दिशा दे सकते हैं।