जहाँ अमेरिका जैसे देश क्रिप्टोकरेंसी को चुनावी चंदा जुटाने के एक नए माध्यम के रूप में आज़मा रहे हैं, वहीं यूनाइटेड किंगडम (UK) में इसके प्रति गंभीर चिंता व्यक्त की जा रही है।
ब्रिटेन के कुछ मंत्रियों ने ट्रेसबिलिटी (धन के स्रोत की पहचान न हो पाने) और विदेशी हस्तक्षेप की आशंकाओं के चलते क्रिप्टो दान पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
हाल ही में, कैबिनेट ऑफिस के मंत्री श्री पैट मैकफैडन ने कहा कि ऐसे दान पर रोक लगाने की वाजिब ज़रूरत है, क्योंकि इनका स्रोत पता लगाना बेहद कठिन होता है।
यह टिप्पणी उन्होंने उस समय दी जब लेबर पार्टी के सांसद श्री लियम बर्न ने संसद में क्रिप्टो चंदे पर प्रतिबंध से संबंधित प्रश्न उठाया। मैकफैडन ने कहा,
ब्रिटेन को अपने कानूनों को समयानुकूल बनाए रखना चाहिए, ताकि जनता को राजनीतिक वित्तपोषण में भरोसा बना रहे। लोकतंत्र का वित्तपोषण अक्सर विवादास्पद विषय होता है, परंतु यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि दानदाता कौन है, क्या वह विधिवत पंजीकृत है, और उस दान की वास्तविकता क्या है। आपने एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया है।
जहाँ अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेता खुले तौर पर डिजिटल एसेट क्षेत्र को समर्थन दे रहे हैं, वहीं ब्रिटेन का यह रुख दर्शाता है कि दुनियाभर की सरकारें क्रिप्टो और लोकतंत्र के संबंध को लेकर भिन्न दृष्टिकोण रखती हैं।
मैकफैडन और बर्न दोनों ने यह सुझाव दिया कि राजनीति में क्रिप्टो के संभावित प्रभावों से निपटने के लिए यूके की नेशनल क्राइम एजेंसी और इलेक्टोरल कमीशन को और अधिक संसाधन और वित्तीय सहायता प्रदान की जाए।
यह बहस ऐसे समय हो रही है जब दो महीने पहले निगेल फराज की रिफॉर्म यूके पार्टी ने घोषणा की थी कि वह बिटकॉइन में राजनीतिक दान स्वीकार करने वाली ब्रिटेन की पहली पार्टी बनेगी।
हाल ही में एक यूके-स्थित गैर-लाभकारी भ्रष्टाचार विरोधी संस्था ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें चेतावनी दी गई कि क्रिप्टो दान को अनुमति देने से विदेशी एजेंसियों या आपराधिक स्रोतों से फंड प्राप्त होने का खतरा बढ़ जाता है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि क्रिप्टो “भविष्य की राजनीतिक हस्तक्षेप योजनाओं” का आधार बन सकता है।
दूसरे देश भी कर रहे हैं क्रिप्टो दान का विरोध
ब्रिटेन अकेला देश नहीं है जो राजनीतिक दलों को क्रिप्टो दान स्वीकारने से रोकने की कोशिश कर रहा है। वर्ष 2022 में आयरलैंड ने लोकतंत्र को विदेशी हस्तक्षेप से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से राजनीतिक संस्थाओं को क्रिप्टो दान पर प्रतिबंध लगाया था। उस संशोधन में भ्रामक जानकारी, पारदर्शिता की अनिवार्यता, और विदेशी दान संबंधी नियमों को भी शामिल किया गया था।
अमेरिका में भी ओरेगन, मिशिगन और नॉर्थ कैरोलिना जैसे कई राज्यों ने चुनाव अभियानों में क्रिप्टो दान पर रोक लगाई है, क्योंकि इसकी निगरानी कठिन है और यह पारदर्शिता एवं चुनावी वित्त कानूनों के अनुरूप नहीं माना जाता। वर्ष 2018 में कैलिफ़ोर्निया ने भी इस पर प्रतिबंध लगाया था, हालांकि 2022 में उस कानून को रद्द कर दिया गया।
एल साल्वाडोर, जो संभवतः दुनिया में बिटकॉइन को सबसे अधिक अपनाने वाला देश है, वहाँ अब तक क्रिप्टो दान पर कोई रोक नहीं है। हालांकि, वर्ष 2022 में एक्सिओन सियूदादाना नामक एक नागरिक समूह ने चेतावनी दी थी कि राजनीतिक वित्तपोषण में निगरानी की कमी के चलते संगठित अपराध और विदेशी शक्तियों के लिए गुप्त रूप से चुनावों को प्रभावित करने का खतरा बढ़ सकता है।
जैसे-जैसे वैश्विक स्तर पर क्रिप्टो दान में तेजी आ रही है, दुनिया भर के सांसद और नीति-निर्माता उन विधायी खामियों से जूझ रहे हैं जो डिजिटल एसेट्स के प्रसार से उजागर हो रही हैं। अकेले अमेरिका के 2024 चुनाव में, क्रिप्टो कंपनियों ने समर्थक उम्मीदवारों को समर्थन देने के लिए लगभग $134 मिलियन खर्च किए जिससे इस माध्यम को गति तो मिली, लेकिन नियामक चिंताएँ भी तेज हुईं।
निष्कर्ष
क्रिप्टो दान पर वैश्विक बहस इस बात का संकेत है कि डिजिटल मुद्राएँ किस तरह पारंपरिक लोकतांत्रिक व्यवस्था को चुनौती दे रही हैं। कुछ देश जहाँ इसे नवाचार और स्वतंत्र वित्तीय प्रणाली के रूप में देख रहे हैं, वहीं अन्य देश पारदर्शिता, निगरानी और बाहरी हस्तक्षेप की आशंकाओं को लेकर सतर्क हो रहे हैं।
आवश्यक है कि आने वाले समय में एक समन्वित वैश्विक नीति ढांचा तैयार किया जाए, जिससे एक ओर तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिले, और दूसरी ओर लोकतंत्र की पवित्रता और जनविश्वास अक्षुण्ण बना रहे।