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Rajeev RRajeev R

मीमकॉइन्स की वापसी संभव, नए रूप में हो सकता है विकास - जानिए क्यों

2025 में मीमकॉइन्स में भारी गिरावट दिखी, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सेगमेंट खत्म नहीं हुआ। सामाजिक भावना, उपयोगिता और नियमन के साथ मीमकॉइन्स नए रूप में उभर सकते हैं।

मीमकॉइन्स की वापसी संभव, नए रूप में हो सकता है विकास - जानिए क्यों
ऑल्टकॉइन वॉच

2025 में ब्लॉकचेन जगत में मीमकॉइन्स का प्रदर्शन उतना शानदार नहीं रहा जितना कि 2024 में था। प्रमुख टोकन जैसे डॉजकॉइन (DOGE), शेबा इनु (SHIB) और PEPE ने इस वर्ष 65% से लेकर 80% तक मूल्य में गिरावट देखी, जो इस सेगमेंट की भारी अस्थिरता का संकेत है।

आईसीओ और नई टोकन लिस्टिंग में भी भारी गिरावट आई है, जिससे बाजार में निवेशकों का विश्वास कमजोर हुआ है। कुछ चर्चा में यह भी आया है कि 97% मेमे कॉइन्स का ट्रेडिंग वॉल्यूम कम हो चुका है क्योंकि बाजार की धारणा बदल रही है। 

सिर्फ मज़ाक नहीं, ‘भावना’ का टोकनाइज़ेशन

मूनपे (MoonPay) के अध्यक्ष कीथ ग्रॉस्मैन के अनुसार, मेमे कॉइन्स की वास्तविक ताकत उनके तकनीकी और सामाजिक संकेतों में है, न कि केवल मज़ाकिया नामों या मीम संस्कृति में। उनका मानना है कि ब्लॉकचेन तकनीक “ध्यान” को सस्ते और लोकतांत्रिक रूप से टोकनाइज़ करने का अवसर देती है, जो पारंपरिक प्लेटफॉर्मों पर सीमित था।

ग्रॉस्मैन ने मेमे कॉइन्स को सोशल मीडिया के शुरुआती दिनों में इंटरनेट के पतन की तरह बताया, जब कई प्लेटफॉर्म असफल रहे लेकिन बाद में नई कंपनियों ने उसी विचार को विकसित किया। इसी तरह मीमकॉइन्स भी अभी एक संक्रमण काल से गुजर रहे हैं, जिससे दीर्घकालिक संभावनाएँ निकल सकती हैं।

भारत में निवेशकों का बदला हुआ रुख

भारत में 2025 के क्रिप्टो निवेश डेटा से यह स्पष्ट हुआ है कि निवेशक अब ब्लू चिप क्रिप्टो परिसंपत्तियों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जबकि मेमे कॉइन्स का हिस्सा लगभग 17% है, एक उल्लेखनीय लेकिन सतर्क हिस्सा।

यह संतुलन यह दर्शाता है कि दोनों लंबी अवधि के निवेश और शॉर्ट-टर्म स्पेकुलेशन की रणनीतियाँ भारतीय बाजार में जारी हैं। निवेशक स्थिरता और रोमांच के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें मीमकॉइन्स का एक छोटा लेकिन सक्रिय योगदान है।

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उत्साह बनाम जोखिम: विशेषज्ञों की राय बंटी

सभी विशेषज्ञ मेमे कॉइन्स के उज्जवल भविष्य पर एकमत नहीं हैं। कुछ का मानना है कि मीमकॉइन्स धीरे-धीरे एक नए मेमे मार्केट वर्टिकल में विकसित हो रहे हैं, जिसमें तकनीकी और शुद्ध मनोरंजन दोनों का मिश्रण है, जैसे कि NFTs के शुरुआती दिनों में हुआ था।

दूसरी ओर, आलोचक कहते हैं कि अधिकांश मीमकॉइन्स अभी भी अत्यंत अस्थिर और कैसीनो जैसा बाज़ार है, जहाँ निवेश जोखिम बहुत अधिक है। इन विचारों से यह स्पष्ट होता है कि अगले चरण में क्या होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन से प्रोजेक्ट मज़ाक से आगे निकलकर उपयोगिता और सामुदायिक समर्थन प्रदान करता है।

नियमन और संस्थागत भूमिका

मीमकॉइन्स स्पेस तेजी से विकसित हो रहा है और कुछ बड़़े मंच जैसे बाइनेंस ने मेमे टोकन की लिस्टिंग के नियमों को कड़ा किया है ताकि कम गुणवत्ता के प्रोजेक्ट बाज़ार में न आएँ। यह बदलाव संकेत देता है कि नियामक ध्यान और पारदर्शिता की आवश्यकता बढ़ रही है, जो अंततः बाजार की स्थिरता बढ़ा सकता है।

इसी दौरान, कुछ ETF उत्पादों के फिर से लिस्ट होने से संस्थागत निवेशकों के दृष्टिकोण में बदलाव आ रहा है, जिससे मीमकॉइन्स पर पारंपरिक वित्त (TradFi) की नजर भी बनी हुई है।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, 2025 में मीमकॉइन्स ने तीव्र कमजोरी दिखाई है, लेकिन क्रिप्टो विशेषज्ञों का मानना है कि यह सेगमेंट समाप्त नहीं हुआ है। MoonPay जैसे अग्रणी प्लेटफॉर्म से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार, मीमकॉइन्स की मूल तकनीकी संरचना और सामूहिक सामाजिक भावना भविष्य में एक नए और अधिक परिष्कृत स्वरूप में उभर सकती है।

भारतीय और वैश्विक बाजारों में निवेशक अब अधिक संतुलित और रणनीतिक दृष्टिकोण अपना रहे हैं। साथ ही, बढ़ता नियामकीय ढांचा और संस्थागत भागीदारी मेमे कॉइन इकोसिस्टम को अधिक परिपक्व और विश्वसनीय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

अंततः, Memecoins का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि वे क्षणिक उत्साह तक सीमित रह जाते हैं या दीर्घकालिक और टिकाऊ बाजार मूल्य सृजित करने में सफल होते हैं।

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