भारत सरकार अब सिर्फ डिजिटल पेपरवर्क ही नहीं, बल्कि भविष्य की शासन व्यवस्था को रूप देने वाले एडवांस्ड टेक्नोलॉजीज़ जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ब्लॉकचेन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) को अपनाने में सक्रिय है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने हाल ही में “राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन”  में कहा कि ये तकनीकें देश की गवर्नेंस परिदृश्य को गहराई से आकार देगी।

जहाँ पहले लोग शिकायतें दर्ज करवाने, पेंशन सर्टिफिकेट लेने या सरकारी फाइलों की प्रक्रिया के लिए कई बार सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाते थे, आज स्थिति बदल रही है। केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (CPGRAMS) सालाना 26 लाख से अधिक शिकायतों को निबटाता है और लगभग ९५ प्रतिशत निपटान दर प्राप्त कर चुका है।

इसके साथ ही ‘ई-ऑफिस’ (e-office) ने केंद्रीय सचिवालय में ९५% से अधिक कागजी फाइलों को डिजिटल रूप में बदल दिया है, जिससे कार्यालयों में कागज की आवाजाही में भारी कमी आई है। एक अन्य उदाहरण है ‘डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट’ जिससे वरिष्ठ नागरिकों को बैंक या कार्यालय जाने की जगह घर से ही सेवा प्राप्त हो सकती है।

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भविष्य की बात करें तो, मंत्री सिंह ने कहा कि AI प्रशासन में पूर्वानुमान की सुविधा देगा, ब्लॉकचेन पारदर्शिता बढ़ाकर भ्रष्टाचार को कम करेगा, और IoT से सेवा-वितरण मजबूत होगा। वे यह भी कहते हैं कि “हर कार्य को डिजिटाइज़ करना है, लेकिन हर सेवा को मानवीय बनाना है।”  यानि टेक्नोलॉजी के उपयोग में तकनीकी सुविधा के साथ सहानुभूति और जनसंवाद भी महत्वपूर्ण है।

इस परिवर्तन के पीछे कई सुधारकारी कदम हैं। उदाहरण के लिए पुराने नियमों का खारिज़ होना, दस्तावेज़ों के लिए ज़रूरी गज़ेटेड अधिकारियों द्वारा सत्यापन की प्रथा ख़त्म होना, और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में संशोधन जिसमें रिश्वत देने वालों को भी अपराधी मानने का प्रावधान शामिल है।

निष्कर्ष

संक्षेप में, भारत की शासन व्यवस्था एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। नई टेक्नोलॉजीज़ सिर्फ उपकरण नहीं, बल्कि शासन तंत्र को अधिक उत्तरदायी, पारदर्शी, त्वरित और नागरिक-केन्द्रित बनाने का माध्यम बन रही हैं।

AI भविष्य बताने, ब्लॉकचेन भरोसा बढ़ाने, IoT सेवा को पहुंचाने में सहायक है, लेकिन इनमें मानवीय संवेदनशीलता, नैतिकता और अधिकारों की रक्षा का दायित्व भी समान रूप से है। यदि ये संतुलन बना रहा, तो 2047 में “विकसित भारत” का सपना सिर्फ दृष्टिकोण ही नहीं, बल्कि वास्तविकता बन जाएगा।

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