भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए क्रिप्टो और ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को टीम इंडिया की जर्सी पर मुख्य स्पॉन्सर बनने से प्रतिबंधित कर दिया है। यह निर्णय उस समय आया है जब हाल ही में केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2025 लागू किया, जिसके तहत कई ऑनलाइन मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगा दी गई है।
बीसीसीआई ने 2 सितम्बर को विज्ञप्ति जारी कर जर्सी स्पॉन्सरशिप अधिकारों के लिए बोली प्रक्रिया की घोषणा की। इस दौरान बोर्ड ने स्पष्ट कर दिया कि किन प्रकार की कंपनियाँ आवेदन कर सकती हैं और किन्हें बाहर रखा जाएगा। विज्ञप्ति के अनुसार, केवल वही कंपनियाँ बोली लगाने की पात्र होंगी जिनका वार्षिक टर्नओवर कम से कम 300 करोड़ रुपये हो।
ड्रीम11 के हटने के बाद नई तलाश
बीसीसीआई को नए स्पॉन्सर की तलाश तब शुरू करनी पड़ी जब फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म ड्रीम11 ने अचानक अनुबंध समाप्त कर दिया। ड्रीम11 ने अगस्त 2025 में बोर्ड से हाथ खींच लिया, जबकि उनके अनुबंध की अवधि लगभग एक वर्ष शेष थी। कंपनी ने 25 अगस्त को घोषणा की कि नए कानूनों के चलते उनके कारोबार पर बड़ा असर पड़ा है, जिसकी वजह से वे स्पॉन्सरशिप जारी रखने में सक्षम नहीं हैं।
एशिया कप 2025 बिना मुख्य स्पॉन्सर?
बीसीसीआई ने कंपनियों को 16 सितम्बर तक आवेदन जमा करने की समयसीमा दी है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि टीम इंडिया आगामी एशिया कप 2025 में बिना किसी मुख्य जर्सी स्पॉन्सर के मैदान पर उतरेगी। यह स्थिति बीसीसीआई जैसे धनी क्रिकेट बोर्ड के लिए असामान्य है, लेकिन मौजूदा हालात में यह पूरी तरह संभव लग रही है।
स्पॉन्सरशिप पर बदलता परिदृश्य
भारतीय क्रिकेट लंबे समय से कंपनियों के लिए ब्रांडिंग का सबसे बड़ा मंच रहा है। जर्सी स्पॉन्सरशिप न केवल करोड़ों रुपये का सौदा होती है बल्कि इससे कंपनी को करोड़ों दर्शकों तक सीधी पहुँच मिलती है। पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो कंपनियों ने इस क्षेत्र में भारी निवेश किया था। लेकिन अब कानूनी बदलावों के चलते यह परिदृश्य तेजी से बदल गया है।
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मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि बीसीसीआई के इस फैसले से पारंपरिक कंपनियों—जैसे वित्तीय संस्थान, ई-कॉमर्स ब्रांड्स, उपभोक्ता वस्तु कंपनियाँ और ऑटोमोबाइल सेक्टर—को एक नया अवसर मिलेगा। हालांकि, यह भी सच है कि ऑनलाइन गेमिंग और क्रिप्टो कंपनियाँ बीते समय में सबसे बड़े बोलीदाता साबित हुई थीं, जिससे बीसीसीआई को भारी राजस्व प्राप्त हुआ था।
कंपनियों पर दबाव और भविष्य की दिशा
क्रिप्टो और ऑनलाइन गेमिंग कंपनियाँ भारत में पहले से ही टैक्स, नियमन और कानूनी स्पष्टता की कमी जैसी चुनौतियों से जूझ रही थीं। अब सरकार के सख्त कानून और बीसीसीआई की रोक ने उनके ब्रांडिंग के रास्ते और भी सीमित कर दिए हैं। वहीं दूसरी ओर, बीसीसीआई का कहना है कि उनका मकसद भारतीय क्रिकेट को ऐसे विज्ञापनों से जोड़ना है जो “नैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से उपयुक्त” हों।
निष्कर्ष
बीसीसीआई का यह कदम भारतीय क्रिकेट की स्पॉन्सरशिप संरचना को नया मोड़ दे सकता है। जहाँ एक ओर यह निर्णय क्रिकेट को विवादास्पद क्षेत्रों से दूर रखने की कोशिश है, वहीं दूसरी ओर यह बोर्ड के लिए वित्तीय चुनौती भी पेश करता है। ड्रीम11 के हटने के बाद जर्सी स्पॉन्सरशिप की खाली जगह अब बड़े कॉर्पोरेट घरानों द्वारा भरी जाएगी या टीम इंडिया को एशिया कप 2025 में बिना स्पॉन्सर के खेलना होगा—यह आने वाला समय ही बताएगा। इतना तय है कि बीसीसीआई के इस फैसले ने खेल और व्यवसाय के रिश्ते पर नई बहस को जन्म दिया है।
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