पिछले कुछ सालों से भारत को क्रिप्टो अपनाने के मामले में दुनिया में शीर्ष देशों में गिना जाता रहा है। चेनालिसिस की रिपोर्ट बताती है कि करीब 9 से 10 करोड़ भारतीयों ने कभी न कभी क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल किया है। यह संख्या देश की आबादी का लगभग 6-7% है। अमेरिका के बाद भारत सबसे बड़ा क्रिप्टो ट्रेडिंग हब बन सकता था।
लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। 2022 में लागू किए गए टैक्स कानूनों ने घरेलू बाजार को लगभग बर्बाद कर दिया। अब हर क्रिप्टो लेन-देन पर 1% टीडीएस काटा जाता है, मुनाफे पर 30% टैक्स है और घाटे को किसी भी तरह से एडजस्ट करने की इजाजत नहीं है। नतीजा यह है कि ज्यादातर गंभीर ट्रेडर्स विदेशी प्लेटफॉर्म्स पर चले गए और भारतीय एक्सचेंजों की वॉल्यूम 80% से ज्यादा गिर गई।
कानून की स्थिति भी अजीब है। क्रिप्टो पर सीधा प्रतिबंध नहीं है, लेकिन रिज़र्व बैंक इसे कानूनी मुद्रा मानने से इनकार करता है। इस धुंधली स्थिति ने क्रिप्टो को यहां “ना पूरी तरह आज़ाद, ना पूरी तरह बंद” की कैटेगरी में धकेल दिया है।
बॉलीवुड और ब्लॉकचेन की जोड़ी: BollyCoin
भारत में जब भी कोई नई तकनीक आती है, तो उसमें बॉलीवुड का तड़का ज़रूर लगाया जाता है। यही हुआ 2021 में, जब फिल्ममेकर अतुल अग्निहोत्री ने सलमान खान के साथ मिलकर BollyCoin लॉन्च किया।
विचार बड़ा ही आकर्षक था:
पुरानी हिंदी फिल्मों से डिजिटल कलेक्टिबल्स
सलमान खान फिल्म्स जैसी प्रोडक्शन हाउस की साझेदारी
और खुद सलमान खान का ट्वीट, “क्या आप तैयार हैं?”
Kya aap excited ho? Salman Khan Static NFTs coming on @bollycoin. https://t.co/auNNbbVoSp 🚀 #BollyCoin #NFTs #ComingSoon
— Salman Khan (@BeingSalmanKhan) October 19, 2021
फैंस वाकई तैयार थे। BollyCoin ने प्री-सेल में 2 करोड़ टोकन सिर्फ एक महीने में बेच दिए और करीब 15 करोड़ रुपये जुटाए। पहला NFT ड्रॉप दबंग फ्रेंचाइज़ी पर आधारित था।
BOLLY टोकन शुरू में Ethereum पर चला, फिर Polygon पर शिफ्ट हुआ। कुल सप्लाई 10 करोड़ टोकन की थी। बाद में स्टेकिंग और कम्युनिटी गवर्नेंस जैसी योजनाएं भी आईं।
लेकिन यह जोश ज्यादा दिन नहीं टिका।
पर्दा गिर गया
2022 के आखिर तक BOLLY टोकन अपनी वैल्यू का 90% खो बैठा। प्लेटफॉर्म पर खरीद-बिक्री लगभग बंद हो गई। आधिकारिक वेबसाइट अब ऑफलाइन है और सोशल मीडिया पर भी जुलाई 2024 के बाद कोई अपडेट नहीं मिला।
BollyCoin अकेला नहीं था। क्रिकेट-थीम्ड NFT प्लेटफॉर्म Rario, जिसमें सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गज जुड़े थे, कुछ समय तक चमका लेकिन टैक्स बोझ और NFT मार्केट की ठंडक ने उसे भी पीछे धकेल दिया।
इसी तरह 2018 में लॉन्च हुआ NanoHealthCare Token (NHCT), जो हेल्थकेयर सेक्टर में ब्लॉकचेन का वादा करता था, 2020 तक ही टिक पाया। 2023 तक दर्जनों गेमिंग और “प्ले-टू-अर्न” प्रोजेक्ट भी दम तोड़ बैठे।
टैक्स और रेगुलेशन की मार
भारत में क्रिप्टो लेन-देन पर टैक्स नियम इतने सख्त हैं कि यह जुए की कमाई जैसे व्यवहार किया जाता है। 30% का सीधा टैक्स और 1% टीडीएस हर ट्रेड पर। अगर आप नुकसान में जाते हैं तो उसे गेन से एडजस्ट भी नहीं कर सकते।
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सरकार का कहना है कि यह नियम पारदर्शिता और निगरानी के लिए ज़रूरी हैं। लेकिन इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि यही नीतियां घरेलू बाजार को खत्म कर रही हैं। दिल्ली स्थित थिंक टैंक “Esya Centre” की रिपोर्ट बताती है कि TDS लागू होने के बाद भारतीय एक्सचेंजों की ट्रेडिंग वॉल्यूम 80% से ज्यादा गिरी।
दूसरी तरफ, रिज़र्व बैंक लगातार यह कहता रहा है कि क्रिप्टो देश की वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा है। इस वजह से अभी तक कोई साफ रेगुलेटरी रोडमैप नहीं बन पाया।
निष्कर्ष
भारत में क्रिप्टो को लेकर उत्साह और संभावनाएं दोनों मौजूद हैं, लेकिन नीतिगत अनिश्चितता और टैक्स बोझ ने इस उभरते उद्योग की रफ्तार रोक दी है। BollyCoin जैसी हाई-प्रोफाइल पहलें भी इस माहौल में टिक नहीं पाईं।
जब तक स्पष्ट और संतुलित रेगुलेशन नहीं आता, तब तक भारत का क्रिप्टो सपना अधूरा ही रहेगा।