बिटकॉइन और क्वांटम कंप्यूटिंग को लेकर हाल के महीनों में चर्चाएं तेज हुई हैं। सोशल मीडिया और कुछ रिपोर्टों में यह दावा किया जा रहा है कि भविष्य में क्वांटम कंप्यूटर बिटकॉइन की सुरक्षा को तोड़ सकते हैं। इस बहस के बीच यह सवाल अहम हो जाता है कि क्या यह खतरा वास्तव में मौजूद है या फिर इसे जरूरत से ज्यादा बढ़ा कर दिखाया जा रहा है।
क्वांटम कंप्यूटिंग को लेकर डर अचानक क्यों बढ़ा?
हाल ही में जारी एक विश्लेषण में यह तर्क दिया गया है कि क्वांटम कंप्यूटिंग को लेकर बिटकॉइन के खिलाफ डर फिलहाल हकीकत से ज्यादा कल्पना पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार, आज मौजूद क्वांटम तकनीक बिटकॉइन की क्रिप्टोग्राफी को तोड़ने की स्थिति में नहीं है।
बिटकॉइन की सुरक्षा दो मुख्य तकनीकी स्तंभों पर आधारित है। पहला है इलिप्टिक कर्व डिजिटल सिग्नेचर एल्गोरिदम, जो लेन-देन को अधिकृत करने में इस्तेमाल होता है। दूसरा है SHA-256 हैशिंग एल्गोरिदम, जो नेटवर्क की अखंडता और माइनिंग प्रक्रिया को सुरक्षित रखता है। क्वांटम कंप्यूटिंग से जुड़ी चिंता इस बात को लेकर है कि भविष्य में कुछ क्वांटम एल्गोरिदम इन सुरक्षा प्रणालियों को कमजोर कर सकते हैं।
विशेषज्ञ इस खतरे को कैसे देखते हैं?
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह खतरा अभी बहुत दूर है। इंडियन ब्लॉकचेन अलायंस (IBA) के संस्थापक राज कपूर के अनुसार,
क्वांटम कंप्यूटिंग आज बिटकॉइन के लिए कोई खतरा नहीं है। यह शायद भविष्य में विचार करने लायक मुद्दा हो सकता है, लेकिन वर्तमान जोखिम नहीं है। आज दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई क्वांटम मशीन नहीं है जो बिटकॉइन की क्रिप्टोग्राफी को तोड़ सके। इसके लिए लाखों fault-tolerant क्वांटम क्यूबिट्स की जरूरत होगी और हम उस स्तर से काफी दूर हैं।
राज कपूर का कहना है कि जब कभी यह जोखिम वास्तविक रूप लेगा, तब बिटकॉइन के पास खुद को अपग्रेड करने का विकल्प मौजूद है। “पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी पहले से मौजूद है। जरूरत पड़ने पर बिटकॉइन प्रोटोकॉल को अपग्रेड किया जा सकता है। क्वांटम को एक आसन्न बिटकॉइन किलर कहना समयरेखा की गलत समझ को दर्शाता है, जो डर को बढ़ावा देता है,” उन्होंने कहा।
क्या आप जानते हैं: टॉम ली की Fundstrat ने चेताया, बिटकॉइन $60,000 तक गिर सकता है
क्या क्वांटम कंप्यूटिंग सच में बिटकॉइन को तोड़ सकती है?
तकनीकी विशेषज्ञ भी मानते हैं कि क्वांटम कंप्यूटिंग के मौजूदा स्तर पर बिटकॉइन (BTC) को तोड़ पाना संभव नहीं है। आज के सबसे उन्नत क्वांटम कंप्यूटर सीमित संख्या में क्यूबिट्स पर काम करते हैं, जबकि बिटकॉइन की सुरक्षा को प्रभावित करने के लिए लाखों स्थिर और त्रुटि-रहित क्यूबिट्स की जरूरत होगी। इस स्तर की तकनीक के विकसित होने में अभी कई साल, बल्कि दशक लग सकते हैं।
इसके अलावा, बिटकॉइन नेटवर्क की संरचना भी इसे कुछ हद तक सुरक्षित बनाती है। अधिकांश मामलों में उपयोगकर्ताओं की सार्वजनिक कुंजी तब तक सामने नहीं आती जब तक वे अपने बिटकॉइन खर्च नहीं करते। नियमित रूप से नए पते इस्तेमाल करने से जोखिम और भी कम हो जाता है। साथ ही, बिटकॉइन का ओपन-सोर्स और विकेंद्रीकृत स्वरूप इसे समय के साथ तकनीकी बदलावों के अनुरूप ढलने की क्षमता देता है।
अंतिम निष्कर्ष
विशेषज्ञों का मानना है कि क्वांटम कंप्यूटिंग पर चर्चा जरूरी है, लेकिन इसे मौजूदा खतरे के रूप में पेश करना सही नहीं है। यह बहस भविष्य की तैयारी के लिए उपयोगी हो सकती है, न कि डर फैलाने के लिए।
फिलहाल की स्थिति को देखते हुए, बिटकॉइन उपयोगकर्ताओं और निवेशकों के लिए घबराने की कोई वजह नहीं है। क्वांटम कंप्यूटिंग एक उभरती तकनीक है, लेकिन बिटकॉइन की सुरक्षा आज भी मजबूत बनी हुई है और भविष्य में भी इसे सुरक्षित रखने के लिए विकल्प मौजूद हैं।
ऐसी ही और ख़बरों और क्रिप्टो विश्लेषण के लिए हमें X पर फ़ॉलो करें, ताकि कोई भी अपडेट आपसे न छूटे!

