भारत में हाल के वर्षों में युवा निवेशकों की रुचि क्रिप्टोकरेंसी और वायदा और विकल्प (F&O) ट्रेडिंग में ज़बरदस्त बढ़ी है। आसान मोबाइल ऐप्स, तेज़ उतार-चढ़ाव और जल्दी मुनाफे की उम्मीद ने इन निवेश विकल्पों को आकर्षक बना दिया है।
लेकिन जिस चीज़ को अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है, वो है इनकम टैक्स नियमों की जटिलता जिसकी वजह से कई निवेशकों को छुपे हुए टैक्स ट्रैप का सामना करना पड़ता है। इससे बचा जा सकता है परन्तु कैसे।
क्रिप्टो पर टैक्स की असली तस्वीर
केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) की श्रेणी में शामिल किया है और आज क्रिप्टो ट्रेडिंग से मिलने वाले मुनाफे पर एक स्थिर दर 30% टैक्स लगता है। इसके अलावा, हर ट्रांसफर पर 1% TDS भी लागू होता है।
इसके साथ ही, और यह बात निवेशकों के लिए सबसे ज़्यादा समस्यात्मक है, क्रिप्टो ट्रेडिंग में हुए घाटे को टैक्स से सेट-ऑफ नहीं किया जा सकता। मतलब चाहे आप मुनाफे में हों या घाटे में, टैक्स का बोझ हर मुनाफा कमाने पर तय है।
F&O ट्रेडिंग: अलग टैक्स ढांचा, अलग जोखिम
जहां क्रिप्टो को एक असेट या संपत्ति माना जाता है, वहीं F&O ट्रेडिंग को अक्सर व्यवसायिक गतिविधि के रूप में देखा जाता है, खासकर जब ट्रेडिंग नियमित और बारंबार हो।
इसका मतलब है कि Futures and Options (F&O) ट्रेडिंग से मिली आय पर टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा, और साथ में कॉम्प्लायन्स जांच जैसे कि बुक-ऑफ-अकाउंट्स रखना, ऑडिट ट्रिगर होने पर रिकॉर्ड्स देना आदि।
यदि ट्रेडिंग नियमित नहीं, बल्कि एक-दो बार की है, तो टैक्स विभाग अन्य दृष्टिकोण भी अपना सकता है, यानी टैक्स स्लैब या अन्य स्रोत-आय के तहत।
रिकॉर्ड और रिपोर्टिंग
टैक्स नियमों के तहत, सिर्फ मुनाफे पर टैक्स नहीं, बल्कि ट्रांज़ेक्शन का पूरा हिसाब रखना भी ज़रूरी है। ट्रेड डेट, अमाउंट, क्रिप्टो वॉलेट या एक्सचेंज ट्रांज़ेक्शन आईडी आदि। यह लगातार बदलते नियमों, एक प्रतिशत टीडीएस और संभवतः भविष्य में ऑडिट जैसे कारणों से अभी बहुत जरूरी हो गया है।
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समस्याएँ क्यों बढ़ रही हैं?
युवा निवेशकों के बीच क्रिप्टो और F&O की अपार लोकप्रियता के बाद भी, टैक्स सम्बंधित जागरूकता उतनी तेजी से नहीं बढ़ी है। कई लोग शुरुआत में टैक्स को बाद में दिखाएंगे या कभी नहीं दिखाएंगे की सोच में रहते हैं।
लेकिन अब टैक्स विभाग (CBDT) ने उन निवेशकों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है जिन्होंने अपनी क्रिप्टो-कमाई ITR में सही तरीके से नहीं बताई। कई निवेशकों को गंभीर टैक्स नोटिस और पेनल्टी का सामना करना पड़ा है, कभी-कभी टैक्स और जुर्माना दोनों के साथ।
एक अन्य बड़ी परेशानी तब होती है जब लोग क्रिप्टो को शेयर बाजार जितना आसान समझते हैं और फीस, अन्य खर्चों को घटा कर मुनाफा दिखाना चाहते हैं। लेकिन वर्तमान नियमों के तहत, ट्रेडिंग फीस या अन्य व्यय आमतौर पर टैक्स छूट के लिए मान्य नहीं होते।
युवा निवेशकों को क्या करना चाहिए
हर ट्रेड लिख-पढ़ कर रिकॉर्ड करें, चाहे वो क्रिप्टो हो या F&O। तारीख, समय, अमाउंट, वॉलेट-डिटेल, रसीद सब संभाल कर रखें। F&O को व्यवसाय-आय की दृष्टि से देखें। अगर आपकी ट्रेडिंग नियमित है, तो इसे व्यवसाय समझ कर टैक्स स्लैब अनुसार रिटर्न भरें।
क्रिप्टो-मुनाफा हो, तो 30% टैक्स और 1% TDS तय समझें। घाटे को टैक्स-सेटऑफ के लिए मत देखें। आईटीआर भरते वक्त पूरी मुनाफा रिपोर्ट करें। टैक्स विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस और पर्याप्त दस्तावेजीकरण से बचना आसान होगा।
जरूरत पड़ने पर टैक्स सलाहकार से सलाह लें, क्योंकि नियम जटिल हैं और गलत रिपोर्टिंग पर जुर्माना या कानूनी कार्रवाई सम्भव है। इन सब चीजों से बचना आसान है और इसके लिए प्रयास जरूर करना चाहिये।
निष्कर्ष
क्रिप्टो और F&O ने युवाओं के लिए निवेश को आसान, तेज और आकर्षक बना दिया है। लेकिन इसका टैक्स पक्ष अक्सर नजरअंदाज़ रहता है। जैसा कि हाल की खबरों में साफ हो रहा है, फटाफट मुनाफे के पीछे टैक्स के जाल में फँसना खतरनाक हो सकता है।
यदि आप समझ-बूझ कर, सुरक्षित और जागरूक तरीके से निवेश करें, टैक्स नियमों का पालन करें, और रिकार्ड ठीक रखें, तो क्रिप्टो या F&O दोनों ही आपके लिए एक वैध और लाभदायक निवेश साबित हो सकते हैं।
लेकिन टैक्स को “बाद में देखते हैं” वाला रवैया आज के समय में निवेशकों के लिए एक महंगा सबक बन सकता है। युवा निवेशकों को चाहिए कि वे निवेश के साथ साथ टैक्स प्लानिंग को भी उसी स्तर की प्राथमिकता दें। तभी तेज़ कमाई, लंबे समय तक फायदेमंद निवेश बन पाएगा।
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