Cक्रिप्टोकरेंसी से संबंधित विधेयकों को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन मिलने के बावजूद, प्रतिनिधि सभा में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया विफल हो गई। राष्ट्रपति ट्रंप ने रिपब्लिकन सांसदों से आग्रह किया था कि वे भुगतान स्टेबलकॉइन्स (Stablecoins) को नियंत्रित करने संबंधी कानून पर पहली वोटिंग पूरी करें। इसका उद्देश्य अगस्त अवकाश से पहले क्रिप्टो संबंधी कानूनों को पारित कराना था।

अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर ट्रंप ने सभी रिपब्लिकन सदस्यों को निर्देश दिया था कि वे गाइडिंग एंड एस्टब्लिशिंग नैशनल इनोवेशन फॉर यू एस स्टेबलकॉइन्स (Guiding and Establishing National Innovation for US Stablecoins) यानी जीनियस एक्ट (GENIUS Act) का समर्थन करें। यह विधेयक अमेरिका में भुगतान स्टेबलकॉइन्स को विनियमित करने हेतु तैयार किया गया है।

यह कानून तीन प्रमुख क्रिप्टो विधेयकों में से एक है। शेष दो विधेयक बाजार ढांचे और केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं (CBDC) से संबंधित हैं। इन्हें रिपब्लिकन नेतृत्व वाली "क्रिप्टो सप्ताह" योजना के तहत लाया गया था।

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स्रोत: Donald Trump

हालांकि, पिछले मंगलवार को इन तीन विधेयकों और एक रक्षा विधेयक पर चर्चा हेतु सदन में लाया गया प्रस्ताव आवश्यक बहुमत नहीं जुटा पाया। रिपोर्टों के अनुसार कम-से-कम 13 रिपब्लिकन सांसदों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। हाउस स्पीकर माइक जॉनसन ने कहा कि सदन इस पर फिर से वोटिंग कर सकता है।

ट्रंप की निजी भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि उनके परिवार से जुड़े क्रिप्टो उद्यम वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) ने अपना खुद का स्टेबलकॉइन जारी किया है, जिससे हितों के टकराव की आशंका पैदा हो गई है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया कि बिनेंस (Binance) ने WLF के USD1 स्टेबलकॉइन के निर्माण में मदद की थी, जिसे अबू धाबी स्थित एक निवेश कंपनी ने $2 बिलियन के सौदे में उपयोग किया।

कैलिफोर्निया की प्रतिनिधि मैक्सीन वाटर्स के कार्यालय ने कहा, “वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल को विदेशों से भारी मात्रा में निवेश मिला है, जिससे गंभीर नैतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताएं उत्पन्न हुई हैं।” उन्होंने जोड़ा, “विदेशी निवेश केवल व्यावसायिक सौदा नहीं है, बल्कि यह अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति को दी गई सीधी धनराशि है, ताकि व्हाइट हाउस में प्रभाव स्थापित किया जा सके।”

डेमोक्रेट नेताओं ने रिपब्लिकन की डिजिटल एसेट्स से जुड़ी पहल का जवाब अपने “एंटी-क्रिप्टो करप्शन वीक” एजेंडे के माध्यम से दिया है। वे तीनों विधेयकों में उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूत करने और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं सांसदों द्वारा क्रिप्टो रखने या प्रचार करने पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं, जिससे हितों के टकराव को रोका जा सके।

यह घटनाक्रम अमेरिकी राजनीति में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर गहराते मतभेदों और संभावित हित-संघर्षों की ओर इशारा करता है। जहां एक ओर ट्रंप प्रशासन डिजिटल करेंसी के पक्ष में सक्रिय नजर आ रहा है, वहीं विपक्ष इसके संभावित दुरुपयोग और पारदर्शिता की कमी को लेकर सवाल खड़े कर रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या इस मुद्दे पर कोई साझा राजनीतिक रास्ता निकलता है या यह विवाद और गहराता है।