बिटकॉइन (BTC) को डिजिटल दुनिया का “सोना” माना जाता है, और इसकी सुरक्षा को अब तक अटूट समझा गया है। लेकिन क्वांटम कंप्यूटिंग तकनीक की तेज़ी से बढ़ती ताकत के चलते अब इस पर एक नया, अभूतपूर्व खतरा मंडरा रहा है। हाल ही में बिटकॉइन कोर डेवलपर्स ने एक साहसिक बिटकॉइन इम्प्रूवमेंट प्रपोजल (BIP) पेश किया है, जिसका मकसद भविष्य में क्वांटम कंप्यूटर्स के चलते 'बिटकॉइन सुरक्षा' पर मंडराते खतरे से निपटना है।

इस प्रस्ताव के तहत न केवल क्वांटम-असुरक्षित एड्रेस प्रकारों को धीरे-धीरे खत्म करने की योजना है, बल्कि आने वाले पांच वर्षों में सभी पुराने प्रारूप वाले करीब 25% बिटकॉइन को फ्रीज करने की बात भी कही गई है, जिसमें सातोशी नाकामोटो द्वारा होल्ड किए गए 10 लाख BTC भी शामिल हैं। यह संभावित “क्वांटम संकट” बिटकॉइन की तकनीकी ताकत और समुदाय की एकजुटता दोनों की परीक्षा लेने वाला है।

क्वांटम का खतरा: बिटकॉइन की सुरक्षा पर मंडराते काले बादल

बिटकॉइन जिस एलिप्टिक कर्व डिजिटल सिग्नेचर एल्गोरिदम ( Elliptic Curve Digital Signature Algorithm -ECDSA) पर आधारित है, वह अगर क्वांटम कंप्यूटर्स के ज़रिए तोड़ी गई, तो यह न केवल वॉलेट्स को असुरक्षित बना सकती है, बल्कि बाजार में भारी बिकवाली का कारण भी बन सकती है।

डेलोाईट (Deloitte) की एक रिसर्च के अनुसार, लगभग 25% बिटकॉइन ऐसे एड्रेस पर पड़े हैं जो पब्लिक के लिए पहले ही सार्वजनिक हो चुके हैं, और ये क्वांटम हमले के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं। अगर अगले 10 वर्षों में क्वांटम अटैक संभव हुआ, तो सातोशी नाकामोटो के 10 लाख BTC भी चोरी हो सकते हैं, जिससे पूरी क्रिप्टो अर्थव्यवस्था हिल जाएगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती दौर में इस्तेमाल किए गए पे-टू –पब्लिक-की (Pay-to-Public-Key -P2PK) फॉर्मेट वाले बिटकॉइन सबसे ज्यादा जोखिम में हैं। यदि उपयोगकर्ता समय रहते अपने फंड्स को नए क्वांटम-सेफ एड्रेस में ट्रांसफर नहीं करते, तो उनका नुकसान होना तय है।

लौप्प (Lopp) का समाधान: मजबूरी में अपग्रेड करवाने की योजना

कासा (Casa) के सी टी ओ (CTO) जेमेसन लौप्प(Jameson Lopp) और अन्य डेवलपर्स ने एक तीन-चरणीय रणनीति प्रस्तावित की है ताकि यूजर्स को पुराने एड्रेस से नए क्वांटम-सुरक्षित एड्रेस पर शिफ्ट होने के लिए प्रेरित किया जा सके।

पहला चरण पुराने, असुरक्षित एड्रेस पर बिटकॉइन भेजने पर प्रतिबंध लगाएगा। दूसरा चरण एक पांच साल की समयसीमा तय करेगा जिसके बाद भी अगर किसी ने अपने फंड को नए एड्रेस में ट्रांसफर नहीं किया, तो उसके फंड्स को अस्थायी रूप से फ्रीज कर दिया जाएगा। तीसरा चरण उपयोगकर्ताओं को क्वांटम-सेफ सिग्नेचर के ज़रिए अपने फ्रीज किए गए फंड्स को वापस हासिल करने का विकल्प देगा।

इस प्रस्ताव का मकसद है कि लोग देर किए बिना अपनी होल्डिंग्स को सुरक्षित कर लें। अगर ऐसा नहीं किया गया और क्वांटम हमला सफल हुआ, तो बिटकॉइन इकोसिस्टम को भारी आर्थिक झटका लग सकता है।

रुकावटें: तकनीकी चुनौतियां और सामुदायिक सहमति

हालांकि इस योजना के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। क्वांटम-सुरक्षित सिग्नेचर का  साइज़ मौजूदा सिस्टम की तुलना में कई गुना बड़ी होती है, जिससे ट्रांजैक्शन डेटा और ब्लॉकचेन की क्षमता पर बोझ बढ़ सकता है। इसके अलावा, पुराने होल्डर्स को अपने प्राइवेट की इस्तेमाल कर फंड्स शिफ्ट करने के लिए मनाना भी आसान नहीं होगा।

अगर पांच साल की समयसीमा के बाद भी कई यूजर्स अपने फंड्स को अपग्रेड नहीं करते, तो उन फंड्स को फ्रीज करना कानूनी और नैतिक विवादों को जन्म दे सकता है।

क्वांटम कंप्यूटिंग: खतरा या जरूरत से ज्यादा डर?

कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि क्वांटम कंप्यूटिंग का खतरा फिलहाल बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। एवालांश (Avalanche) के संस्थापक एमिन गन सिरेर (Emin Gün Sirer) का कहना है कि क्वांटम कंप्यूटर्स भले ही कुछ गणनाओं में तेज हों, लेकिन बिटकॉइन जैसे नेटवर्क में लाइव ट्रांजैक्शन के दौरान प्राइवेट कीज को इतनी जल्दी तोड़ पाना लगभग असंभव है।

फिर भी, कई संस्थाएं जैसे ब्लैकरॉक (BlackRock) ने क्वांटम कंप्यूटिंग को एक प्रमुख जोखिम के तौर पर चिन्हित किया है और उद्योग से आग्रह किया है कि समय रहते क्वांटम-सेफ तकनीकों को अपनाया जाए।

निष्कर्ष: क्या बिटकॉइन क्वांटम तूफान को झेल पाएगा?

बिटकॉइन के लिए यह प्रस्ताव एक निर्णायक क्षण है। यदि Lopp और अन्य डेवलपर्स का यह बिटकॉइन इम्प्रूवमेंट प्रपोजल (Bitcoin Improvement Proposal -BIP) सफलतापूर्वक लागू हो गया, तो यह बिटकॉइन को क्वांटम युग में भी सुरक्षित रखने में मदद करेगा। लेकिन इसके लिए न केवल तकनीकी नवाचार की जरूरत होगी बल्कि पूरी बिटकॉइन कम्युनिटी की एकजुटता और सहमति भी अनिवार्य होगी।