GENIUS Act ने यू.एस. में सुरक्षित ट्रीज़री संपत्ति द्वारा स्थिर सिक्कों का आरक्षित होना अनिवार्य कर दिया है, और उन पर संघीय तथा राज्य‑स्तरीय निगरानी लागू की है।
इस अधिनियम के तहत भुगतान‑स्थिर सिक्कों को ‘सिक्योरिटी’ के रूप में नहीं माना जाता, जिससे उनका उपयोग तेज़ और पारदर्शी भुगतान के लिए बढ़ने की संभावना है।
GENIUS Act (Guiding and Establishing National Innovation for US Stablecoins Act) ने बड़े तकनीकी और बैंकिंग प्लेयर्स को सीमित किया है—अगर गैर‑बैंक स्थिर सिक्के जारी करना चाहते हैं, तो उन्हें स्वतंत्र इकाई बनानी होगी और ट्रेज़री विभाग की मंजूरी लेनी होगी।
ग्लोबल प्रभाव और उद्योग की प्रतिक्रिया
यह कानून दुनिया भर में स्थिर सिक्कों को 'वित्तीय ढांचे' का हिस्सा बनाने की दिशा में पहला कदम है। इसके कुछ दिनों बाद ही स्थिर सिक्कों का मार्केट कैप करीब $4 अरब तक बढ़ गया, और संस्थागत भागीदार जैसे Bank of America, Anchorage Digital व क्रिप्टो‑फर्मों ने कानूनी रूप से अपने उत्पाद जारी करना शुरू कर दिया।
Sygnum जैसे विशेषज्ञ कहते हैं कि यह कानून यू.एस. को वैश्विक स्थिर सिक्कों के मानक तय करने वाले देशों में शामिल कर रहा है और नए भुगतान इको‑सिस्टम की नींव रख रहा है।
भारत के संदर्भ में क्या संदेश है?
भारत में अभी तक क्रिप्टो उद्योग को नियामकीय रूप से संबद्ध करने की दिशा में कोई ठोस कानून नहीं है; निवेशक सुरक्षा के लिहाज़ से व्यापक अंतर अभी भी बरकरार है।
भारतीय एक्सचेंज CoinDCX पर जुलाई 2025 में हुआ $44 मिलियन (करीब ₹378 करोड़) का साईबर हमला भारतीय क्रिप्टो परिसंपत्तियों में सुरक्षा और जवाबदेही की लगातार कमी को उजागर करती है।
भारतीय केंद्रीय बैंक, RBI, निजी क्रिप्टो पर वित्तीय स्थिरता में खतरों और मौद्रिक नीति पर प्रभाव की चिंता व्यक्त करता आया है। e‑Rupee (CBDC), जो नवंबर 2022 में शुरू हुई, RBI का प्राथमिक डिजिटल विकल्प बना हुआ है।
भारत में अभी तक कोई समर्पित stablecoin क़ानून नहीं है। Virtual Digital Assets (VDA) पर 30% टैक्स प्लस 1% TDS का प्रावधान है, लेकिन यह निवेशक सुरक्षा, लाईसेंस सिस्टम या ऑडिट नियम लागू नहीं करता।
भारतीय निवेशकों के लिए GENIUS Act एक संकेत है कि कानूनी स्पष्टता, संरक्षित आरक्षित प्रणाली, प्रामाणिक ऑडिट और नियामकीय संस्थाकरण क्रिप्टो‑बाजार के लिए कितना जरूरी है।
अमेरिका में GENIUS Act क्रिप्टो उद्योग को एक वैध और संरचित प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है, जबकि भारत में अभी तक नियामक स्पष्टता, संस्थागत नियंत्रण और निवेशक सुरक्षा का अभाव है।
भारतीय निवेशकों को वैश्विक तकनीकी विकास का अवलोकन करते हुए अपने स्थानीय जोखिमों को खुद समझना और बचाव के उपाय अपनाना आज की आवश्यकता है।