भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, कॉइनस्विच (CoinSwtich) द्वारा प्रकाशित 'भारत का क्रिप्टो पोर्टफोलियो: Q2 2025' में निहित अवलोकन दर्शाते हैं कि क्रिप्टो देश के वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में धीरे-धीरे मुख्यधारा में आ रहा है और Tier II और Tier III शहरों में आश्चर्यजनक रूप से प्रवेश कर रहा है।

कॉइनस्विच के उपाध्यक्ष, बालाजी श्रीहरि के अनुसार, अधिकांश निवेशक वॉलेट लाभ में हैं, जो दर्शाता है कि यह पारिस्थितिकी तंत्र कितनी दूर तक पहुँच गया है। श्रीहरि का मानना है कि यह गति वास्तविक है, इसे अपनाने की गति बढ़ रही है, और यह भारत को दुनिया के सबसे गतिशील क्रिप्टो बाजारों में से एक बना रहा है।

युवा निवेशकों और बिटकॉइन की बढ़ती पकड़

रिपोर्ट बताती है कि भारत के क्रिप्टो निवेश का 26.6 प्रतिशत से अधिक तीन सबसे बड़े महानगरों - दिल्ली (14.6%), बेंगलुरु (6.8%), और मुंबई (5.2%) में केंद्रित है। शीर्ष 10 शहरों में, कोलकाता में सबसे अधिक प्रतिशत लाभ में है, जहाँ 75.61% निवेशकों ने सकारात्मक रिटर्न दर्ज किया है।

जयपुर, लखनऊ और पटना जैसे टियर 2 और टियर 3 शहरों में क्रिप्टो को अपनाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जो जमीनी स्तर पर विकास को दर्शाता है। यह बदलाव दर्शाता है कि क्रिप्टो जागरूकता और भागीदारी टियर 1 शहरों से आगे कैसे बढ़ रही है।

क्रिप्टो अपनाने में 35 वर्ष से कम आयु वर्ग के निवेशकों का दबदबा है, जो कुल उपयोगकर्ता आधार का लगभग 71.7% है। 26-35 आयु वर्ग 44.4% के साथ सबसे आगे है, उसके बाद 18-25 आयु वर्ग 27.3% के साथ दूसरे स्थान पर है। निवेशक आधार में महिलाओं की हिस्सेदारी 12.02% है।

निवेश व्यवहार, जोखिम प्राथमिकताएँ और शहर-वार ट्रेंड्स

जहां तक निवेशकों की पसंद का सवाल है, बिटकॉइन (BTC) सबसे पसंदीदा क्रिप्टो परिसंपत्ति के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखता है, जिसने निवेशकों की रुचि का 6.5% हिस्सा हासिल किया है, इसके बाद Dogecoin (6.49%) और एथेरियम (5.2%) का स्थान है।

कुल क्रिप्टो निवेश में मीम कॉइन का हिस्सा 13.2% रहा, जिसमें डॉगकॉइन सबसे आगे रहा, उसके बाद शीबा इनु (4.7%) और पीईपीई (2%) का स्थान रहा। बिटकॉइन (BTC) 7.2% के साथ सबसे अधिक कारोबार वाली परिसंपत्ति भी रही, इसके बाद रिपल (XRP) और एथेरियम (ETH) का स्थान रहा, जिनमें से प्रत्येक ने ट्रेडिंग वॉल्यूम में 4.2% का योगदान दिया।

रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई के क्रिप्टो निवेशक बड़ी कंपनियों की ओर एक मजबूत झुकाव दिखाते हैं, 70.67% आवंटन ब्लू-चिप और लार्ज-कैप परिसंपत्तियों में करते हैं, जो स्पष्ट रूप से आजमाए हुए विजेताओं को पसंद करते हैं। हैदराबाद सावधानी बरत रहा है। इसके क्रिप्टो निवेशक स्थिरता और विकास के संतुलित मिश्रण को पसंद करते हैं, जिसमें 37.25% लार्ज-कैप परिसंपत्तियों और 25.62% ब्लू-चिप टोकन के लिए आवंटित किया गया है।

पुणे लार्ज-कैप निवेशों की स्थिरता को प्राथमिकता देता है, जो जोखिम-जागरूक लेकिन विकास-उन्मुख निवेशक मानसिकता को दर्शाता है। जयपुर का क्रिप्टो पोर्टफोलियो लार्ज-कैप और मिड-कैप परिसंपत्तियों के लिए स्पष्ट प्राथमिकता दर्शाता है, जो विकास की गुंजाइश वाले मजबूत बुनियादी सिद्धांतों में शहर के विश्वास को दर्शाता है, जबकि कोलकाता सबसे अधिक संख्या में हरे रंग के पोर्टफोलियो के साथ अग्रणी है, जो लार्ज-कैप और मिड-कैप परिसंपत्तियों में मजबूत निवेश द्वारा समर्थित है - एक स्मार्ट, विकास-उन्मुख रणनीति का प्रदर्शन करता है।

कॉइनस्विच के सह-संस्थापक आशीष सिंघल कहते हैं, "क्रिप्टो का हाशिये से वित्तीय मुख्यधारा तक का सफर अब निर्विवाद है। कभी इसे एक प्रति-संस्कृति सनक (counter culture fad) के रूप में खारिज कर दिया गया था, क्रिप्टो अब एक व्यापक रूप से स्वीकृत परिसंपत्ति वर्ग के रूप में परिपक्व हो रहा है। राष्ट्रपति ट्रम्प का क्रिप्टो समर्थक रुख, अमेरिकी बिटकॉइन रिजर्व के प्रस्ताव और यूरोपीय संघ द्वारा MiCA नियमों का क्रियान्वयन, ये सभी इस वैश्विक बदलाव को रेखांकित करते हैं।"

सिंघल कहते हैं:

जैसे-जैसे क्रिप्टो को लेकर वैश्विक चर्चाएँ विकसित हो रही हैं, भारत अपनी बढ़ती हुई जमीनी स्तर की स्वीकार्यता और डिजिटल रूप से कुशल आबादी के लिए अलग नज़र आ रहा है। भारत में क्रिप्टो के महत्व और व्यापक बाज़ार परिदृश्य को समझते हुए, हमने निवेशकों के व्यवहार पर गहन वार्षिक विश्लेषण के रूप में 'भारत कैसे निवेश करता है' रिपोर्ट लॉन्च की है।

"2025 में, हमने समयबद्ध अंतर्दृष्टि और उभरते रुझानों को समझने के लिए एक त्रैमासिक संस्करण के साथ इस पहल का विस्तार किया है। यह रिपोर्ट 2025 की दूसरी तिमाही की प्रमुख अंतर्दृष्टि (insights) प्रस्तुत करती है, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारतीय क्रिप्टो निवेशक बाज़ार में कैसे काम कर रहे हैं, वे क्या खरीद रहे हैं, और देश में डिजिटल परिसंपत्तियों के भविष्य को आकार देने वाले व्यवहारिक बदलाव की और इंगित करता है," सिंघल ने कहा।