भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफ़ॉर्म CoinSwitch द्वारा जारी तिमाही रिपोर्ट के मुताबिक, पहली बार भारत में 18-25 वर्ष के युवा यानी Gen Z समूह देश की क्रिप्टो निवेशक आबादी में शीर्ष स्थान पर आ गया है। इस आयु-वर्ग ने लगभग 37.6 % हिस्सेदारी हासिल कर ली है, जबकि 26-35 वर्ष के ‘मिलेनियल’ समूह की हिस्सेदारी 37.3 % रही। 36-45 वर्ष का समूह अब लगभग 17.8 % तक सीमित हो गया है।
युवा क्यों अग्रणी बन रहे हैं
CoinSwitch की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में क्रिप्टो निवेश अब सिर्फ मेट्रो-शहरों तक सीमित नहीं रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली ने निवेश का 19.3 % हिस्सा संभाला है। इसके बाद बेंगलुरु 8.9 % तथा मुंबई 7.0 % के साथ आ रहे हैं। हालांकि नए-उभरते टियर-2 शहरों जैसे जयपुर, लखनऊ, पटना आदि ने भी तेजी से हिस्सेदारी बढ़ाई है।
विश्लेषकों के अनुसार, Gen Z इस बदलाव के पीछे तकनीक-परक सहजता, डिजिटल ज्ञान और सोशल मीडिया-आधारित जागरूकता जैसी खूबियों के कारण हैं। उन्हें पारंपरिक वित्तीय ढांचे से अपेक्षाकृत कम बंधन महसूस होते हैं और वे नए निवेश-मॉडल्स जैसे क्रिप्टो को स्वीकार कर रहे हैं।
निवेश व्यवहार में बदलाव
रिपोर्ट में यह भी देखा गया है कि अब निवेशक बड़ी हिस्सेदारी established टोकन्स में ले रहे हैं। बिटकॉइन, डॉजकॉइन, एथेरियम जैसी मुद्राएँ अब प्रमुख रूप से पोर्टफोलियो का हिस्सा बनी हैं। उदाहरण के लिए, बिटकॉइन लगभग 7.2 %, डॉजकॉइन 6.1 % तथा एथेरियम 4.9 % हिस्सेदारी के साथ शीर्ष में हैं।
इसके अलावा, निवेशक अब सिर्फ छोटे-मौके के मुनाफे पर भरोसा नहीं कर रहे बल्कि लंबे-समय और उपयोग-आधारित (utility-driven) निवेश को महत्व दे रहे हैं। CoinSwitch के उपाध्यक्ष Balaji Srihari कहते हैं कि:
भारत का क्रिप्टो मार्केट अब एक परिपक्व अवस्था में प्रवेश कर रहा है। हम सिर्फ मेट्रो निवेश नहीं देख रहे बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी क्रिप्टो भागीदारी बढ़ रही है।
चुनौतियाँ और अवसर
युवा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी सकारात्मक संकेत है लेकिन इसके साथ जोखिम भी हैं। क्रिप्टो बाजार बहुत ही उतार-चढ़ाव वाला है और अब भी नियामकीय दिशा-निर्देश अस्पष्ट हैं। इसके कारण शुरुआती मुनाफे के पीछे संभावित जोखिम छिपे हो सकते हैं।
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विश्लेषकों का कहना है कि इस नई लहर को स्थायी बनाने के लिए निवेशकों को शिक्षित निर्णय लेने होंगे। उन्हें निवेश से पहले प्लेटफॉर्म्स, टोकन्स और संभावित जोखिमों की समझ होनी चाहिए। साथ ही, नियामक संस्थाओं को इस तेजी का लाभ उठाते हुए सुरक्षित निवेश माहौल तैयार करना होगा।
भारत की उलझी हुई नीति और नया न्यायिक संकेत
पिछले कुछ वर्षों में भारत की क्रिप्टो नीति लगातार अस्पष्ट रही है। जहाँ भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कई बार यह कहा है कि वह निजी डिजिटल मुद्राओं को मान्यता नहीं देगा, वहीं सेबी (SEBI) ने इस क्षेत्र के नियमन में रुचि दिखाई है। सरकार ने अभी तक किसी स्पष्ट ढांचे की घोषणा नहीं की है, जिससे निवेशकों और स्टार्टअप्स में असमंजस बना हुआ है।
इसी बीच, मद्रास हाई कोर्ट के हालिया फैसले ने क्रिप्टोकरेंसी को भारतीय कानून के तहत “संपत्ति” के रूप में मान्यता देकर एक महत्वपूर्ण उदाहरण पेश किया है। अदालत ने कहा कि डिजिटल परिसंपत्तियों को स्वामित्व में रखा जा सकता है और उन्हें कानूनी संरक्षण प्राप्त है। यह फैसला भारत में डिजिटल संपत्तियों की दिशा तय करने वाला एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
भारत के लिए इसका अर्थ
Gen Z का अग्रणी बनना यह दर्शाता है कि भारत में क्रिप्टो अपनाने की गति अब आने वाले वर्षों में और तेज होगी। निवेश-परिदृश्य में बदलाव के साथ यह संभावना है कि डिजिटल अधिकार, वॉलेट-उपयोग और वेब3 नवाचार की दिशा में भारत और सक्रिय हो जाएगा। इस बदलाव से भारत वैश्विक क्रिप्टो मानचित्र में महत्वपूर्ण स्थान बना सकता है।
यदि इस निवेश-प्रवृत्ति को सही दिशा मिले और जोखिम-प्रबंधन के साथ आगे बढ़ाया जाए, तो भारत का युवा वर्ग ही आने वाले समय में क्रिप्टो नवाचार की अगुवाई कर सकता है।
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