दिसंबर 2025 में स्टेबलकॉइन बाजार ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है, जब कुल बाजार मूल्य $310 अरब तक पहुँच गया। यह सिर्फ संख्यात्मक उपलब्धि नहीं है, बल्कि डिजिटल संपत्ति के अपनापन में एक मौलिक बदलाव का संकेत है।
स्टेबलकॉइन क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है
स्टेबलकॉइन एक ऐसा डिजिटल परिसंपत्ति है जिनका मूल्य स्थिर रखने के लिए किसी पारंपरिक संपत्ति, जैसे कि अमेरिकी डॉलर, यूरो या कभी-कभी सोना, से जोड़ा होता है। इससे क्रिप्टोकरेंसी की अस्थिरता को कम करते हुए उसे रोजमर्रा के भुगतान, लेनदेन और भंडार मूल्य के रूप में उपयोग योग्य बनाया जा सकता है।
जब एक व्यक्ति $100 भेजता है, तो वह चाहता है कि प्राप्तकर्ता को भी $100 ही मिले, न तो कम, न ज्यादा। पारंपरिक बैंकिंग व्यवस्था में इसमें कई मध्यस्थ और विदेशी विनिमय शुल्क शामिल होते हैं, जबकि स्टेबलकॉइन मिनटों में कम शुल्क पर यह काम कर सकता है।
बाजार में नेतृत्व और अपनापन
बाजार का एक बड़ा हिस्सा दो प्रमुख स्टेबलकॉइन के पास है – टेदर का यूएसडीटी और सर्कल का यूएसडीसी। इन दोनों का संयुक्त लेनदेन गतिविधि का लगभग 80 प्रतिशत भाग है, जो यह दर्शाता है कि उपयोगकर्ता नेटवर्क की विश्वसनीयता तथा स्थिरता को तकनीकी नवीनता से भी अधिक महत्व देते हैं।
यहाँ यह बताना ज़रूरी है कि स्टेबलकॉइन अब केवल ट्रेडिंग का माध्यम नहीं है। ये प्रमुख क्रिप्टो एक्सचेंजों पर कुल व्यापार का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा बन चुका है, जिससे ये डिजिटल संपत्ति बाजार की कैश के रूप में कार्य कर रहा है।
वैश्विक भुगतान और वित्तीय समावेशन
स्टेबलकॉइन की सबसे क्रांतिकारी भूमिका क्रॉस-बॉर्डर भुगतान में दिखती है। पारंपरिक अंतरराष्ट्रीय स्थानांतरण तीन से पाँच कार्य दिवस ले सकते हैं और इसमें 2–3 प्रतिशत तक शुल्क हो सकता है, जबकि स्टेबलकॉइन मिनटों में और बहुत कम लागत पर लेनदेन संभव करते हैं।
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उच्च मुद्रास्फीति वाले देशों, जैसे अर्जेंटीना और वेनेज़ुएला, में लोग स्टेबलकॉइन का उपयोग स्थानीय मुद्रा के अस्थिर होने पर मूल्य के संरक्षण के रूप में कर रहे हैं, जो वित्तीय समावेशन की दिशा में एक बड़ा कदम है।
संस्थागत अपनापन और बुनियादी ढाँचे का विकास
अब स्टेबलकॉइन का उपयोग केवल खुदरा उपयोगकर्ताओं तक सीमित नहीं है। बड़ी संस्थाएँ भी संचालन कार्यों में इन्हें अपना रही हैं। बैंक और वित्तीय संस्थान अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं और व्यापार भुगतानों के लिये स्टेबलकॉइन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इसके अलावा, कंपनियों द्वारा स्टेबलकॉइन से जुड़ी नई तकनीकी बुनियादी ढाचाएँ विकसित की जा रही हैं, जिससे ये गति, क्षमता और उपयोगिता के लिहाज़ से और अधिक मजबूत बन रहे हैं।
स्टेबलकॉइन और विकेंद्रीकृत वित्त
विकेंद्रीकृत वित्त प्रणाली में स्टेबलकॉइन का महत्व और भी बढ़ गया है। कई प्रमुख प्रोटोकॉल स्टेबलकॉइन को ऋण, व्यापार और तरलता पूलों के मुख्य आधार के रूप में उपयोग करते हैं। 2025 में, DeFi के कुल मूल्य का आधा भाग स्टेबलकॉइन में ही बँधा हुआ पाया गया, जो इससे जुड़ी प्रणाली की मजबूती का प्रमाण है।
भविष्य की संभावनाएँ और चुनौतियाँ
हालांकि $310 अरब की ऊँचाई बड़ी उपलब्धि है, स्टेबलकॉइन का उपयोग अभी अधिक व्यापक वित्तीय आवश्यकताओं के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचाओं के विकसित होने पर निर्भर करता है, जैसे बैंकिंग प्रणालियों के साथ सीधा जुड़ाव, व्यापारिक स्वीकार्यता और उपयोगकर्ता अनुकूल इंटरफेस।
विश्लेषकों का अनुमान है कि यदि स्टेबलकॉइन का समग्र एकीकरण व्यापक वित्तीय प्रणालियों में हो जाता है, तो यह चार वर्षों में $2 ट्रिलियन तक पहुँच सकते हैं, जिससे इन्हें वैश्विक डिजिटल मुद्रा के रूप में और अधिक स्वीकार्यता मिलेगी।
निष्कर्ष
स्टेबलकॉइन का $310 अरब तक विस्तार केवल एक सांख्यिकीय उपलब्धि नहीं है बल्कि यह डिजिटल अर्थव्यवस्था के वास्तविक दुनिया उपयोग की दिशा में एक निर्णायक कदम है। यह पारंपरिक वित्त और उभरती डिजिटल प्रणालियों के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु का काम कर रहा है और भविष्य में वैश्विक भुगतान, आर्थिक समावेशन तथा वित्तीय नवाचार में स्टेबलकॉइन की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होने का संकेत देता है।
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