अगस्त माह में वस्तु एवं सेवा कर (GST) से सरकार को मजबूत राजस्व प्राप्त हुआ है, जो देश की अर्थव्यवस्था में निरंतर सुधार और खपत बढ़ने का संकेत देता है। लगातार बढ़ती कर वसूली न केवल केंद्र और राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ बना रही है, बल्कि यह संगठित कर ढांचे और पारदर्शिता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत भी है।
अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2025 में भारत का GST संग्रह ₹1.86 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 6.5% अधिक है। यह संग्रह लगातार आठवें महीने ₹1.8 लाख करोड़ से ऊपर बना हुआ है।
जबकि सकल घरेलू GST आय 9.6% की वृद्धि के साथ ₹1.37 लाख करोड़ रही, आयात पर GST में हल्की गिरावट (-1.2%) आई, और रिफंड में लगभग 20% की भारी कटौती हुई। रिफंड की कमी ने शुद्ध GST आय को बलपूर्वक बढ़ाते हुए 10.7% की मजबूत वृद्धि के साथ ₹1.67 लाख करोड़ तक पहुंचा दिया।
पिछले वर्षों की तुलना में GST की प्रगति
जीएसटी संग्रह ने वित्त वर्ष 2021 में ₹11.37 लाख करोड़ से बढ़ते हुए वित्त वर्ष 2024-25 में ₹22.08 लाख करोड़ का रिकॉर्ड तोड़ा। FY25 में मासिक औसत संग्रह ₹1.84 लाख करोड़ रहा, जो GST लागू होने के बाद सर्वोच्च है। अप्रैल-अगस्त 2025 के पाँच महीनों में सकल GST संग्रह ₹10 लाख करोड़ के पार चला गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में ₹9.13 लाख करोड़ था ।
सुधार प्रस्ताव
GST Council की अगली बैठक 3–4 सितंबर, 2025 को नई दिल्ली में होने जा रही है, जिसमें GST संरचना में बड़े परिवर्तन—विशेष रूप से स्लैब को दो करों (5% और 18%) में सीमित करने का प्रस्ताव—पर विचार किया जाएगा। "बुराइयों" जैसे तंबाकू, सिगरेट, और मीठे पेय पदार्थों पर 40% की ऊँची दर लागू करने की संस्तुति भी प्रस्ताव में शामिल है।
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मंत्रीसमूह (Group of Ministers ने पहले ही चार-स्लैब प्रणाली (5, 12, 18, 28%) को दो-स्लैब (5% और 18%) में बदलने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव का समर्थन कर दिया है, सिवाय सिने-सामग्री और विलासिता वस्तुओं पर 40% दर की व्यवस्था के। हालांकि, गैर-NDA राज्यों ने यह चेतावनी भी दी है कि इस प्रस्ताव पर अमल करने से केंद्र और राज्य दोनों को ₹85,000 करोड़ से ₹2 लाख करोड़ तक राजस्व हानि हो सकती है।
बाज़ारों का रुख और आर्थिक प्रक्षेपण
मॉर्गन स्टेनली (Morgan Stanley) ने अप्रैल–जून GDP वृद्धि 7.8% और स्थिर कर संग्रहों को देखते हुए FY26 में भारत के आर्थिक विकास का अनुमान बढ़ाकर 6.7% कर दिया है (पहले यह 6.2% था)। उन्होंने उल्लेख किया कि GST दरों में कटौती, त्योहारों से पहले मांग और ग्रामीण पुनरुद्धार बाहरी चुनौतियों जैसे अमेरिकी टैरिफ वृद्धि द्वारा कमजोर निर्यात को संतुलित कर सकते हैं ।
वास्तविक अर्थ और प्रभाव
उपभोक्ता राहत: यदि खाद्य, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स और दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर GST 5% या 18% में समाहित हो जाता है, तो इससे घरेलू बजट पर साफ़ राहत मिलेगी। Diwali सीज़न में यह मांग को और तेज़ कर सकता है।
उद्यम और MSME लाभ: सरल और कम GST दरें व्यवसायों के लिए कर अनुपालन सुगम बनाएंगी, जिससे उत्पादन बढ़ सके और बाजार विस्तार हो सके।
राजस्व तनाव: राज्य सरकारों की चिंता इस बात को लेकर वाजिब है कि वे कर दरों में बड़ी कटौती के बाद वित्तीय संकट का सामना कर सकती हैं। इसलिये संतुलन बनाए रखना राजनैतिक और आर्थिक प्रशासन की बड़ी चुनौती होगी।
GST 3.0 की ओर
GST संग्रह में निरंतर बढ़त और सुधार की इस दिशा से संकेत मिलता है कि भारत न सिर्फ अपनी कर प्रणाली को सरल बना रहा है, बल्कि आर्थिक विकास को स्थिर और समावेशी बनाने की राह पर भी अग्रसर है। भविष्य में GST एकल दर संभव हो सकता है, जैसा कि रिपोर्ट सुझा रही है।
GST संग्रह में अगस्त 2025 की 6.5% वृद्धि, व्यापक कर सुधार प्रस्ताव और सुदृढ़ आर्थिक संकेत—इन सबका मिलाजुला संदेश साफ़ है। भारत की आर्थिक मशीन अब मजबूत और स्मार्ट बन चुकी है।
यदि दो-स्लैब प्रणाली के साथ कर संरचना सरल, पारदर्शी और न्यूनतम हो जाए, तो यह न केवल राजस्व और विकास को संतुलित करेगी, बल्कि भारत को आत्म-निर्भरता और तेज़ आर्थिक वृद्धि की खातिर एक मजबूत पायदान तक पहुंचाएगी।
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