भारत की सत्ताधारी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने देश की सरकार से बिटकॉइन रिजर्व पायलट शुरू करने पर विचार करने का आह्वान किया है। उनका कहना है कि यह आर्थिक सुदृढ़ता की दिशा में एक रणनीतिक कदम होगा।
इंडिया टुडे के एक लेख में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि अमेरिका का रणनीतिक बिटकॉइन (BTC) रिजर्व और भूटान के राज्य-नेतृत्व वाले बिटकॉइन माइनिंग (खनन) कार्य यह संकेत देते हैं कि वैश्विक वित्त क्रिप्टो की ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत, अपने बढ़ते नवीनतम 'ऊर्जा के बुनियादी ढांचे' के साथ, एक व्यापक बिटकॉइन रणनीति बनाने के लिए उपयुक्त स्थिति में है।
भंडारी ने लिखा, "यह कोई लापरवाह बदलाव नहीं है। यह डिजिटल संपत्तियों की वैधता को अपनाने की दिशा में एक सोचा-समझा कदम है।"
भारत में क्रिप्टो संपत्ति पर लगता है टैक्स
भारत की क्रिप्टो टैक्स नीति अभी भी अधर में है। भंडारी ने बताया कि भारत में क्रिप्टो पर भारी टैक्स लगता है, लेकिन यह अनियमित (unregulated) है।
सरकार ने बिटकॉइन (BTC) और ईथर (ETH) जैसे वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) पर 30% की फ्लैट दर से टैक्स लगाया है। हालांकि, इसने अभी तक डिजिटल मुद्राओं के लिए एक नियामक ढांचा (regulatory framework) स्थापित नहीं किया है।
देश के आयकर अधिनियम (Income Tax Act) की धारा 115BBH के तहत, क्रिप्टो बेचने से होने वाले मुनाफे पर 30% टैक्स लगता है। जबकि खरीद लागत में कटौती की जा सकती है, अन्य खर्चों या हानियों के लिए कोई प्रावधान नहीं हैं।
क्रिप्टो लेन-देन पर TDS और G20 में भारत की भूमिका
इसके अतिरिक्त, $115 (लगभग ₹9,500) से ऊपर के सभी क्रिप्टो लेन-देन पर 1% का स्रोत पर कर कटौती (TDS) लागू होता है, जिसे खरीदार या विक्रेता में से किसी एक से काटा जाता है।
भंडारी ने बताया कि 2023 में भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान, सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ मिलकर एक क्रिप्टो वर्किंग ग्रुप के समन्वय में मदद की थी। हालांकि, अन्य देश पहले ही तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
भंडारी ने कहा कि जबकि सिफारिशों को अपना रास्ता तय करने में समय लगेगा, रूस, चीन, ब्राजील और अमेरिका के नेतृत्व वाले अन्य G20 देश एक आम सहमति का इंतजार करने के लिए अपने क्रिप्टो प्रयासों को रोक नहीं रहे हैं।
उन्होंने अमेरिकी सरकार की बजट-न्यूट्रल खरीद (budget-neutral purchases) के साथ अपने BTC भंडार का विस्तार करने की योजना का भी हवाला दिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के तीन राज्यों की ओर इशारा किया जिन्होंने पहले ही बिटकॉइन को आरक्षित संपत्ति (reserve asset) के रूप में अधिकृत कर दिया है।
‘बिटकॉइन रिज़र्व पायलट से नवाचार संभव’
भंडारी ने कहा कि भारत के लिए आगे का रास्ता नियामक स्पष्टता (regulatory clarity) से शुरू होना चाहिए, जिसकी शुरुआत एक BTC रिज़र्व पहल (sovereign BTC reserve initiative) से हो।
उन्होंने आगे कहा कि स्पष्ट विनियमन (clear regulation) इस उभरते हुए एसेट क्लास में पारदर्शिता और निरीक्षण (transparency and oversight) ला सकता है और निवेशकों की सुरक्षा करते हुए नवाचार (innovation) को सक्षम बना सकता है।
भंडारी ने लिखा,
भारत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। एक सुविचारित बिटकॉइन रणनीति - शायद एक रिज़र्व पायलट - आर्थिक लचीलेपन को मजबूत कर सकता है और आधुनिकता को प्रदर्शित कर सकता है।