भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल क्रांति में पिछले दो दशकों में जो उल्लेखनीय प्रगति की है, अब वही रफ़्तार उसे ब्लॉकचेन तकनीक के क्षेत्र में भी एक बड़ी ताक़त के रूप में स्थापित करने की ओर ले जा रही है। 

विशेषज्ञों का मानना है कि वर्ष 2027 तक भारत दुनिया के अग्रणी ब्लॉकचेन इनोवेटर्स में गिना जाएगा। इसके पीछे कई कारण हैं — सरकारी नीतियों का प्रोत्साहन, निजी निवेश में तेज़ी, युवाओं का तकनीकी कौशल और डिजिटल इंडिया जैसी पहल की गूंज।

भारतीय ब्लॉकचेन एलायंस (IBA) के अध्यक्ष राज कपूर के अनुसार,

2027 तक भारत दुनिया के शीर्ष ब्लॉकचेन इनोवेटर्स में होगा। हम इथीरियम, सोलाना जैसी ग्लोबल टेक्नोलॉजी के अच्छे उपभोक्ता हैं, लेकिन हमारे पास अपना सार्वभौमिक पब्लिक ब्लॉकचेन नहीं है। ब्लॉकचेन यह सुनिश्चित करता है कि AI का डेटा असली, पारदर्शी और नैतिक हो।

एक प्रश्न के उत्तर में कपूर ने कॉइनटेलीग्राफ इंडिया को दिए एक विशेष साक्षात्कार में बताया कि तकनीकी विशेषज्ञों की कमी के कारण नीतियाँ अक्सर अधूरी और गलत बन जाती है। किसी भी नीति को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए उस क्षेत्र से जुड़े गहरे तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है। जब नीति-निर्माण प्रक्रिया में विषय-विशेषज्ञों की भागीदारी नहीं होती या उनकी संख्या सीमित होती है, तो नीतियाँ अधूरी, असंतुलित और कभी-कभी गलत दिशा में जाने वाली साबित होती हैं। 

ब्लॉकचेन क्यों महत्वपूर्ण है

ब्लॉकचेन तकनीक को आम तौर पर क्रिप्टोकरेंसी से जोड़ा जाता है, लेकिन इसका दायरा इससे कहीं बड़ा है। सप्लाई चेन मैनेजमेंट, बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवा, कृषि, भूमि अभिलेख और चुनाव प्रक्रिया तक—ब्लॉकचेन पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने का माध्यम बन सकता है। यही कारण है कि भारत जैसे बड़े लोकतंत्र और विकासशील देश के लिए यह तकनीक केवल वित्तीय नवाचार तक सीमित नहीं, बल्कि सुशासन और सामाजिक समावेशन का साधन भी है।

भारत सरकार ने हाल के वर्षों में ब्लॉकचेन को बढ़ावा देने के लिए कई पहलें की हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी रोडमैप तैयार किया है। कई राज्यों—जैसे तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक—ने ‘ब्लॉकचेन नीति’ लागू कर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। इन पहलों से स्पष्ट है कि भारत ब्लॉकचेन को भविष्य की तकनीकी रीढ़ मानकर आगे बढ़ रहा है।

स्टार्टअप्स और निवेशकों का उत्साह

भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। ब्लॉकचेन आधारित स्टार्टअप्स की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में ही देश में लगभग 450 से अधिक ब्लॉकचेन स्टार्टअप सक्रिय रहे, जिन्होंने फंडिंग के नए रिकॉर्ड बनाए।

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विदेशी निवेशक भारत की बड़ी आबादी, तेज़ी से बढ़ते इंटरनेट उपयोग और ओपन-सोर्स डेवलपर्स की बढ़ती संख्या को देखकर यहां पूंजी लगा रहे हैं।

युवाओं की तकनीकी क्षमता

भारत की 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। यही युवा ब्लॉकचेन और वेब 3.0 तकनीक में करियर बना रहे हैं। आईआईटी, आईआईएम और अन्य शीर्ष संस्थान अब ब्लॉकचेन, क्रिप्टोग्राफी और डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी पर कोर्स उपलब्ध करा रहे हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से लाखों विद्यार्थी ब्लॉकचेन डेवलपमेंट सीख रहे हैं। यह तकनीकी क्षमता आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जाएगी।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

आज ब्लॉकचेन रिसर्च और इनोवेशन में अमेरिका, चीन, सिंगापुर और स्विट्ज़रलैंड जैसे देश अग्रणी माने जाते हैं। लेकिन भारत का बाज़ार आकार और मानव संसाधन क्षमता उसे प्रतिस्पर्धा में आगे खड़ा करती है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम की रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत ने नियामकीय ढांचे को स्पष्ट और उद्योग-मित्रवत बनाए रखा, तो वह 2027 तक ब्लॉकचेन आधारित अनुप्रयोगों में “वैश्विक मानक” स्थापित कर सकता है।

चुनौतियाँ भी कम नहीं

हालाँकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए कुछ चुनौतियों का समाधान करना होगा। इनमें सबसे बड़ी है—स्पष्ट और स्थायी नियामकीय ढांचा। अभी क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन के उपयोग को लेकर क़ानूनी अस्पष्टता बनी हुई है। इसके अलावा, साइबर सुरक्षा, डाटा गोपनीयता और इंटरऑपरेबिलिटी जैसे मुद्दे भी सामने हैं। यदि इन चुनौतियों का समाधान किया गया, तो भारत की प्रगति को कोई रोक नहीं सकेगा।

निष्कर्ष

भारत एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। जिस तरह आईटी सेवाओं और सॉफ़्टवेयर निर्यात ने 1990 के दशक में भारत को वैश्विक पहचान दिलाई थी, उसी तरह ब्लॉकचेन इनोवेशन 2020 के दशक में उसकी नई पहचान बन सकता है। सरकार, उद्योग और युवा—तीनों की साझेदारी से यह संभव है कि वर्ष 2027 तक भारत दुनिया के शीर्ष ब्लॉकचेन इनोवेटर्स की सूची में शामिल हो।

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