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भारत बन सकता है वैश्विक Crypto राजधानी: Binance CEO Richard Teng

तकनीकी रूप से जागरूक युवा पीढ़ी, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्पष्ट वेब3 नियमन भारत को दुनिया के क्रिप्टो भविष्य का नेतृत्व करने की स्थिति में ला सकते हैं।

भारत बन सकता है वैश्विक Crypto राजधानी: Binance CEO Richard Teng
राय

Binance के सीईओ रिचर्ड तेंग का मानना है कि भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी अपनाने का अगुवा बन सकता है। तेंग के अनुसार, देश की तकनीकी रूप से सशक्त और डिजिटल रूप से जुड़ी युवा आबादी तथा संभावित वेब3 नियमन की स्पष्टता, भारत को वैश्विक क्रिप्टो पारिस्थितिकी का केंद्र बना सकती है।

CNBC को दिए एक साक्षात्कार में तेंग ने कहा कि आज क्रिप्टो "मेनस्ट्रीम" बन चुका है। उन्होंने बताया कि वैश्विक स्तर पर संस्थागत निवेशकों की भागीदारी, नियामक स्पष्टता और डिजिटल संपत्तियों के प्रति भरोसा तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे तेज़ी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था है, इस बदलाव के अगले अध्याय में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

तेंग के अनुसार, "भारत के पास सबसे बड़ा जनसांख्यिकीय आधार और दुनिया की सबसे तकनीकी रूप से जागरूक आबादी में से एक है।" उनका तर्क है कि जहां-जहां युवा और कनेक्टेड आबादी है, वहां क्रिप्टो अपनाने की गति सर्वाधिक होती है। यदि भारत स्पष्ट नियमन लाता है, तो वह इस वैश्विक रेस में नेतृत्व कर सकता है।

Binance भारत को अपने प्राथमिक बाज़ारों में देखता है। देश की 1.4 अरब की जनसंख्या, तेजी से विस्तार करता डिजिटल ढांचा और समृद्ध डेवलपर इकोसिस्टम इसे विश्व स्तर पर अद्वितीय बनाते हैं। चेनालिसिस ग्लोबल क्रिप्टो एडॉप्शन इंडेक्स में भारत लगातार शीर्ष देशों में रहा है।

तेंग ने कहा,

भारत की अपनाने की दर पहले से ही प्रभावशाली है, लेकिन अब इसे ट्रेडिंग, स्टेबलकॉइन्स, कस्टडी और ब्लॉकचेन एप्लिकेशन्स पर स्पष्ट नीति चाहिए। तभी देश की वास्तविक वेब3 क्षमता खुल सकेगी।

Binance भारतीय नियामकों के साथ सक्रिय संवाद में है ताकि उपभोक्ता सुरक्षा के साथ-साथ नवाचार को प्रोत्साहित करने वाला नीति ढांचा तैयार किया जा सके। तेंग ने जोर देकर कहा कि “स्मार्ट नियमन नवाचार को धीमा नहीं करता, बल्कि उसे तेज़ करता है।”

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क्रिप्टो का नया चरण

पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टो उद्योग ने खुद को “रिटेल गेम” से “संस्थागत निवेश क्षेत्र” में परिवर्तित किया है। वैश्विक क्रिप्टो अपनाने की दर आज लगभग 7.5% तक पहुंच चुकी है, जो इसके व्यापक विकास की क्षमता को दर्शाती है।

तेंग के अनुसार, 2024 और 2025 वह मोड़ साबित हुए जब पारंपरिक वित्तीय संस्थान, कॉरपोरेट हाउस और संप्रभु फंड्स ब्लॉकचेन आधारित परिसंपत्तियों, टोकनाइजेशन और स्टेबलकॉइन्स की ओर बढ़े।

उन्होंने कहा,

जब सरकारें स्पष्टता देती हैं, तब संस्थान आत्मविश्वास से भाग लेते हैं। यही कारण है कि आज क्रिप्टो ‘मेनस्ट्रीम’ बन गया है।

नियामक रुझान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के क्रिप्टो-समर्थक रुख को तेंग ने एक वैश्विक बदलाव बताया। उन्होंने कहा, “हम बाइडेन प्रशासन के एंटी-क्रिप्टो माहौल से ट्रम्प प्रशासन के समर्थक रुख की ओर आए हैं। इससे वैश्विक स्तर पर संस्थागत विश्वास और स्टेबलकॉइन नवाचार को नई दिशा मिली है।”

Binance आज 22 वैश्विक क्षेत्राधिकारों में लाइसेंस प्राप्त कर चुका है और दुनिया के सबसे अधिक नियंत्रित क्रिप्टो एक्सचेंजों में से एक है। तेंग का कहना है कि यह नियामकों के साथ सहयोग बढ़ाने में कंपनी की विश्वसनीयता को मजबूत करता है, जिसमें भारत भी शामिल है।

रिचर्ड तेंग ने Binance के संस्थापक चांगपेंग “सीजेड”झाओ को राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा दी गई माफी को “उद्योग के लिए शानदार खबर” बताया। उन्होंने कहा,

लोग सीजेड के योगदान को पहचानते हैं। यह संकेत है कि अमेरिका अब वैश्विक क्रिप्टो राजधानी बनने की दिशा में अग्रसर है।

तेंग ने स्पष्ट किया कि सीजेड अभी भी बिनेंस के बहुमत शेयरधारक हैं, लेकिन कंपनी अब पूरी तरह नियामक निगरानी और कॉर्पोरेट गवर्नेंस के तहत काम करती है।

भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे उच्च-विकास वाले क्षेत्रों में Binance अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है ताकि टोकनाइजेशन, ब्लॉकचेन विकास और संस्थागत-ग्रेड इंफ्रास्ट्रक्चर का समर्थन किया जा सके।

तेंग ने कहा,

भारत की युवा पीढ़ी, नवाचार मानसिकता और उद्यमशीलता की भावना इसे क्रिप्टो की अगली लहर को परिभाषित करने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थिति में रखती है। यदि नियामक स्पष्टता और सहयोग बना रहा, तो भारत न केवल एक प्रमुख बाजार होगा, बल्कि वैश्विक क्रिप्टो हब बनेगा।

रिचर्ड तेंग का यह दृष्टिकोण केवल आशावाद नहीं बल्कि एक यथार्थवादी संभावना भी दर्शाता है। भारत के पास जनसंख्या, तकनीकी कौशल और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की वह त्रयी है जो किसी भी नए आर्थिक प्रतिमान को परिभाषित करने के लिए आवश्यक होती है। 

प्रश्न यह नहीं है कि भारत क्रिप्टो लीडर बन सकता है या नहीं बल्कि यह कि कब और कैसे वह इस अवसर को नीति, पारदर्शिता और नवाचार के माध्यम से साकार करता है।

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