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Rajeev RRajeev R

बिटकॉइन से मीमकॉइन्स तक: 2025 में भारतीय क्रिप्टो पोर्टफोलियो कैसे बदले

कॉइनस्विच की रिपोर्ट बताती है कि 2025 में भारतीय क्रिप्टो निवेशक स्थिरता के साथ-साथ विविधता की ओर बढ़े हैं, जिससे ब्लू-चिप संपत्तियों और मीमकॉइन्स दोनों का संतुलन देखने को मिला है।

बिटकॉइन से मीमकॉइन्स तक: 2025 में भारतीय क्रिप्टो पोर्टफोलियो कैसे बदले
Report

भारतीय क्रिप्टो मार्केट के लिए 2025 महत्वपूर्ण वर्ष रहा, जहाँ निवेशकों के व्यवहार में स्पष्ट बदलाव दिखा है। कॉइनस्विच की नवीनतम रिपोर्ट ‘भारत का क्रिप्टो पोर्टफोलियो 2025: भारत कैसे निवेश करता है’ के अनुसार बिटकॉइन (BTC) ने फिर से भारत में सबसे अधिक होल्ड किया जाने वाला क्रिप्टो एसेट बनकर अपनी प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित किया है और कुल होल्डिंग्स का लगभग 8.1% हिस्सा अब बिटकॉइन में है। यह संकेत है कि भारतीय निवेशक अब अकारण उतार-चढ़ाव वाली संपत्तियों से हटकर स्थिर और भरोसेमंद डिजिटल एसेट की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

यह परिवर्तन पिछले वर्ष के रुझानों से काफी भिन्न है, जब मीमकॉइन्स जैसे Dogecoin ने शीर्ष स्थान हासिल किया था। अब Dogecoin दूसरे स्थान पर है, जबकि Ethereum (ETH) तीसरे स्थान पर। Shiba Inu जैसी मीमकॉइन्स ने भी लगभग 4.5% तक निवेश आकर्षित किया है। इससे स्पष्ट होता है कि भारतीय निवेशक उच्च-जोखिम और उच्च-उपयोगिता वाले कॉइन दोनों को संतुलित कर रहे हैं।

निवेश के पैटर्न में एक और बड़ा बदलाव

2025 में निवेश के पैटर्न में एक और बड़ा बदलाव यह देखने को मिला कि पोर्टफोलियो अब केवल एक या दो क्रिप्टो कॉइन्स तक सीमित नहीं रहे। निवेशकों ने अब औसतन पांच टोकन तक हिस्सेदारी बढ़ा ली है, जो यह दर्शाता है कि विविधीकरण और शोध आधारित निवेश को प्राथमिकता दी जा रही है।

रिपोर्ट के अनुसार Layer-1 टोकन, जैसे सोलाना और एथेरियम नेटवर्क से जुड़े टोकन, भारतीय पोर्टफोलियो का लगभग 43% हिस्सा बनाते हैं, जबकि बिटकॉइन का हिस्सा लगभग 26.5% है और मीमकॉइन्स लगभग 11.8% तक है।

क्रिप्टो में SIP

क्रिप्टो में व्यवस्थित निवेश योजना (SIP) जैसी रणनीतियाँ भी 2025 में भारतीय निवेशकों के बीच लोकप्रिय हुई है। SIP प्रतिबद्धता में 600% से अधिक की वृद्धि देखी गई, जो दर्शाती है कि निवेशक अब बाजार की समयबद्धता को पकड़ने के बजाय नियमित और दीर्घकालिक निवेश को अपनाना पसंद कर रहे हैं।

जहाँ तक क्षेत्र-विशेष रुझानों का सवाल है, रिपोर्ट दर्शाती है कि Tier-2 और Tier-3 शहरों से आने वाले निवेशक अब देश के कुल क्रिप्टो उपयोगकर्ताओं का लगभग 40% बनाते हैं। इसका मतलब यह है कि क्रिप्टो निवेश अब सिर्फ मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रहा बल्कि भारत के छोटे शहरों और कस्बों में भी फैल चुका है।

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ट्रेडिंग पैटर्न भी बता रहे हैं कि भारतीय क्रिप्टो मार्केट में सिर्फ होल्डिंग ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि सक्रिय ट्रेडिंग और अवसर आधारित निवेश भी तेजी से बढ़ रहे हैं। उदाहरण के लिए, पर्यवेक्षकों ने देखा है कि Q1 2025 में Ripple (XRP) जैसी क्रिप्टो संपत्ति ने बिटकॉइन को ट्रेडिंग वॉल्यूम में पीछे छोड़ दिया था, जिससे मार्केट में अल्टकॉइन ट्रेडिंग की बढ़ती लोकप्रियता का संकेत मिला।

हालाँकि क्रिप्टो निवेश में वृद्धि हो रही है, लेकिन साथ ही जोखिम भी मौजूद हैं। भारत में केंद्रीय बैंक ने स्टेबलकॉइन जैसी डिजिटल संपत्तियों के जोखिमों पर चेतावनी दी है और स्टेबलकॉइन को लेकर सतर्क रुख अपनाया है। यह जोखिमों को ध्यान में रखते हुए निवेशकों के लिए संभावित चुनौतियों को रेखांकित करता है।

निष्कर्ष

भारतीय क्रिप्टो निवेशक अब अधिक परिपक्व और रणनीतिक निवेश की दिशा में अग्रसर हैं। बिटकॉइन, जो एक बार मीमकॉइन्स की तुलना में पीछे रहा था, ने 2025 में फिर से शीर्ष स्थान हासिल कर निवेशकों के बीच स्थिरता की चाहत को दर्शाया है।

वहीं मीमकॉइन्स और Layer-1 टोकनों ने भी अपनी जगह बनाई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय पोर्टफोलियो विविधीकरण और शोध-आधारित निवेश को अपना रहे हैं। SIP और विविध निवेश रणनीतियाँ यह संकेत देती हैं कि क्रिप्टो अब केवल काल्पनिक एसेट नहीं रहा, बल्कि भारतीय निवेशकों के दीर्घकालिक वित्तीय पोर्टफोलियो का एक मान्यता प्राप्त हिस्सा बन चुका है।

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