मुख्य बिंदु

  • कर विभाग 400 से अधिक उच्च नेट-वर्थ व्यक्तियों को निशाना बना रहा है, जिन्होंने कथित तौर पर Binance के ऑफशोर वॉलेट में अपने क्रिप्टो लाभ छुपाए।

  • सीबीडीटी ने जांच टीमों से 17 अक्टूबर तक रिपोर्ट मांगी है

  • आरोप है कि ये व्यापारी अपनी विदेशी वॉलेट्स और क्रिप्टो होल्डिंग्स आयकर रिटर्न में घोषित नहीं करते थे, जिससे भारी कर देयता छिपाई गई।

  • Binance ने भारत में FIU (Financial Intelligence Unit) में अपनी पंजीकरण प्रक्रिया पूरी की है, जिससे अधिकारियों को इन वॉलेट्स की जानकारी ट्रेस करने में मदद मिली।

भारतीय आयकर विभाग (I-T) ने एक बड़े कदम के रूप में 400 से अधिक उच्च नेट-वर्थ व्यक्तियों पर कार्रवाई करने की तैयारी शुरू कर दी है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने अपने क्रिप्टो मुनाफों को ऑफशोर Binance वॉलेट में छुपाया था। ये जांच वर्ष 2022-23 से 2024-25 के बीच की क्रिप्टो गतिविधियों के संदर्भ में होगी।

सूत्रों के अनुसार, अनेक ऐसे निवेशक जिन्होंने विदेशी वॉलेट्स में डिजिटल परिसंपत्तियाँ रखी थीं, वे उन्हें अपने आयकर रिटर्न में शामिल नहीं करते थे, विशेष रूप से उन वॉलेट्स को जो Binance जैसे प्लेटफार्म पर स्थित थे। ये कर चोरी की एक चाल मानी जा रही है, क्योंकि भारत में क्रिप्टो लाभ पर कर दरें अपेक्षाकृत ऊँची हैं।

CBDT  ने अपने अधीन निदेशालयों को निर्देश दिया है कि वे इस मामले में अपनी-अपनी रिपोर्टें 17 अक्टूबर तक प्रस्तुत करें।  इस आदेश का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि जांच कार्य समयबद्ध हो और छुपे हुए लाभ आसान रूप से उजागर हो सकें।

जांच में यह पाया गया है कि कई व्यापारी जटिल लेन-देनों (multi-layered transactions) का सहारा लेते थे,  जैसे USDT (एक स्थिर मुद्रा) को विदेश भेजना, फिर उसे बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टो में बदलना, और फिर कई स्वैप (crypto-to-crypto) करना, जिनमें वे कभी सीधे रुपये में परिवर्तन नहीं करते थे।  इस तरह की लेन-देन संरचनाएँ टैक्स विभाग के नजरिए से “ग्रे ज़ोन” बन जाती थीं।

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एक और अहम बिंदु यह है कि Binance ने भारत में FIU (वित्तीय खुफिया इकाई) के सामने खुद को एक रिपोर्टिंग संस्था के रूप में पंजीकृत किया है। इस पंजीकरण के परिणामस्वरूप, अधिकारियों को Binance के लेन-देन डेटा तक पहुँच मिली, जिससे अब छुपे हुए वॉलेट्स और ट्रांज़ैक्शन पथों का पता लगाना आसान हो गया है।

विभिन्न शहरों में I-T विभागों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे ऐसे मामलों की सूची तैयार करें, ट्रांज़ैक्शन पुष्टियाँ जमा करें, और यदि कोई कर चोरी सुनिश्चित हो, तो आवश्यक नोटिस और वसूली कार्यवाही शुरू करें।

विशेषज्ञों का कहना है कि कर विभाग को यह शक्ति है कि वह संशोधन या पुनःविवेचना की मांग करे, ब्याज और दंड लगाये, और ऐसे मामलों में समन जारी कर विनिर्दिष्ट विवरण मांगे।

निष्कर्ष

CBDT कायहकदम भारत की क्रिप्टो और डिजिटल संपत्ति लेन-देन पर कर अनुपालन को सख्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है। विदेशी वॉलेट्स और प्लेटफार्मों पर स्थित डिजिटल लाभों को छुपाने की रणनीति अब पूरी तरह से छुप नहीं पाएगी, विशेष रूप से जब Binance ने FIU पंजीकरण के बाद डेटा साझा करना शुरू किया है।

उन निवेशकों और व्यापारियों के लिए चेतावनी स्पष्ट है; यदि आपने अपने विदेशी क्रिप्टो होल्डिंग्स या स्वैप लेन-देन को अपनी आयकर रिटर्न में नहीं दिखाया है, तो अब समय आ गया है कि आप स्वयं सुधार करें अन्यथाआपके खिलाफकार्रवाई हो सकती है।