वित्तीय दुनिया में हलचल मचाते हुए जेपी मॉर्गन ने हाल ही में कहा है कि बिटकॉइन को अभी तक सही मूल्यांकन नहीं मिला है और इसकी वास्तविक क्षमता सोने की तुलना में कहीं अधिक है। बैंक के विश्लेषकों का मानना है कि बिटकॉइन न केवल "डिजिटल गोल्ड" बन चुका है बल्कि आने वाले वर्षों में यह पारंपरिक सुरक्षित निवेश विकल्प यानी सोना की बराबरी कर सकता है। इसी तर्क के आधार पर जेपी मॉर्गन ने बिटकॉइन का नया लक्ष्य एक लाख छब्बीस हज़ार डॉलर प्रति कॉइन तय किया है।
बिटकॉइन ने निवेशकों की कल्पनाओं को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया
पिछले एक दशक में बिटकॉइन ने निवेशकों की कल्पनाओं को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। शुरुआत में इसे केवल तकनीकी उत्साही और सीमित वर्ग के लोग ही महत्व देते थे, लेकिन आज यह वॉल स्ट्रीट से लेकर दिल्ली और दुबई तक निवेश की प्रमुख चर्चा का विषय है। खास बात यह है कि महंगाई और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के दौर में निवेशक जिस तरह से सोने की ओर भागते थे, उसी तरह अब बिटकॉइन में भी सुरक्षा और दीर्घकालिक लाभ की संभावना देखने लगे हैं।
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जेपी मॉर्गन की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, पिछले छह महीनों में बिटकॉइन का अस्थिरता सूचकांक 60% से घटकर 30% हो गया है। इस प्रकार, बिटकॉइन वर्तमान में सोने की तुलना में दोगुना अस्थिर है, जो इसकी शुरुआत के बाद से अब तक का सबसे छोटा अंतर है। अपनी कम अस्थिरता के बीच सोने की तुलना में बिटकॉइन का मूल्यांकन काफी कम होने के कारण, जेपी मॉर्गन ने कहा कि बिटकॉइन का मुख्यधारा में अपनाया जाना आगे बढ़ने की अच्छी स्थिति में है।
डिजिटल मुद्रा अब भी काफी पीछे है
हालाँकि जेपी मॉर्गन का मानना है कि यदि सोने में कुल वैश्विक निवेश और बिटकॉइन में प्रवाह की तुलना की जाए, तो डिजिटल मुद्रा अब भी काफी पीछे है। सोने का बाजार कई खरब डॉलर का है, जबकि बिटकॉइन का मार्केट कैप फिलहाल लगभग एक ट्रिलियन डॉलर के आसपास है। परंतु यदि बिटकॉइन धीरे-धीरे सोने के हिस्से का भी कुछ अंश अपने पक्ष में खींच लेता है, तो इसकी कीमत सहज ही कई गुना बढ़ सकती है।
इसके अलावा, क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी नियामकीय स्पष्टता, संस्थागत निवेशकों की बढ़ती रुचि और ब्लॉकचेन की पारदर्शी तकनीक, बिटकॉइन को और मजबूती देती है। जेपी मॉर्गन का विश्लेषण इस विश्वास पर टिका है कि बिटकॉइन केवल सट्टेबाजी का साधन नहीं रह जाएगा, बल्कि दीर्घकाल में यह वैश्विक वित्तीय ढांचे का स्थायी हिस्सा बन सकता है।
हालाँकि आलोचकों का कहना है कि बिटकॉइन की अस्थिरता, ऊर्जा खपत और नियामकीय जोखिम इसे सोने जैसा स्थिर निवेश नहीं बनने देंगे। फिर भी समर्थकों का मानना है कि जैसे इंटरनेट ने व्यापार और संचार का स्वरूप बदल दिया था, वैसे ही क्रिप्टोकरेंसी वैश्विक अर्थव्यवस्था की नई बुनियाद रख रही है।
निष्कर्ष
जेपी मॉर्गन काएक लाख छब्बीस हज़ारडॉलरप्रतिकॉइनकालक्ष्यकेवल एक संख्या नहीं, बल्कि यह संकेत है कि पारंपरिक निवेश दृष्टिकोण में बदलाव की आहट तेज हो रही है। सोना जहाँ बीते युगों में सुरक्षित निवेश का प्रतीक रहा, वहीं बिटकॉइन धीरे-धीरे उसी भूमिका में उभर रहा है। यदि वैश्विक निवेशक इस डिजिटल संपत्ति को स्थायी विकल्प मानने लगते हैं, तो भविष्य का "सोना" शायद चमकदार धातु नहीं, बल्कि ब्लॉकचेन पर चलने वाला एक डिजिटल सिक्का होगा।