मुख्य बिंदु

  • भाषा और संरेखण (alignment) सुधार के लिए पूर्व मसौदा वापस लिया गया

  • संशोधित विधेयक भारत के प्रत्यक्ष कर संहिता में महत्वपूर्ण सुधार का प्रतीक है

एक बड़े विधायी सुधार के तहत लोकसभा ने 11 अगस्त, 2025 को आयकर विधेयक, 2025 के संशोधित संस्करण को पारित कर दिया, जो छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत इस अद्यतन मसौदे में प्रवर समिति (Select Committee) की लगभग सभी सिफ़ारिशें शामिल हैं, जिसका उद्देश्य भारत के प्रत्यक्ष कर संहिता का आधुनिकीकरण, सरलीकरण और स्पष्टता लाना है।

मूल विधेयक 13 फ़रवरी, 2025 को संसद में पेश किया गया था, जिसे भारत के प्रत्यक्ष कर कानून में छह दशकों से भी अधिक समय में सबसे महत्वपूर्ण सुधार बताया गया। इसे तुरंत एक प्रवर समिति को भेज दिया गया, जिसने 285 से अधिक परिवर्तनों और 32 प्रमुख सुधारों की सिफ़ारिश करते हुए एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की।

भाषाई संरेखण, क्रॉस-रेफ़रेंसिंग सुधारों और तकनीकी प्रावधानों के स्पष्टीकरण सहित इन सुझावों को प्रभावी ढंग से शामिल करने के लिए, सरकार ने 8 अगस्त, 2025 को प्रारंभिक मसौदा वापस ले लिया और बाद में एक परिष्कृत संस्करण पुनः प्रस्तुत किया।

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प्रमुख सुधार

संरचनात्मक सरलीकरण: संशोधित विधेयक 1961 के अधिनियम की 819 धाराओं को घटाकर 536 धाराएँ कर देता है, जिन्हें 23 अध्यायों और 16 अनुसूचियों में व्यवस्थित किया गया है। यह एक एकीकृत कर वर्ष अवधारणा को प्रस्तुत करके "पिछले वर्ष" बनाम "आकलन वर्ष" की भ्रामक दोहरी प्रणाली को भी समाप्त करता है।

डिजिटलीकरण: यह विधेयक बिना पहचान वाले, डिजिटल-प्रथम कर निर्धारण को अनिवार्य बनाता है, सीबीडीटी को नियम बनाने का अधिकार देता है, और प्रवर्तन से पहले पूर्व सूचना सुनिश्चित करता है, जिससे मानवीय हस्तक्षेप कम होगा और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।

रिफंड: रिटर्न देर से दाखिल करने पर भी बिना किसी जुर्माने के रिफंड की अनुमति देता है।

टीडीएस अनुपालन: देरी से टीडीएस दाखिल करने पर जुर्माने को समाप्त करता है; कर योग्य आय न रखने वालों के लिए अग्रिम 'शून्य-टीडीएस' प्रमाणपत्र प्रस्तुत करता है।

गुमनाम दान: धार्मिक ट्रस्टों को गुमनाम योगदान पर प्रतिबंध लगाता है, जब तक कि वे सामाजिक सेवा में संलग्न न हों।

संपत्ति आय स्पष्टता: गृह संपत्ति आय पर बेहतर स्पष्टता।

यह विधेयक और उससे संबंधित कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 (एकीकृत पेंशन योजना के अंशधारकों को कर छूट प्रदान करना) दोनों ही विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच बिना किसी औपचारिक बहस के ध्वनिमत से पारित हो गए।

निष्कर्ष

संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित और राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त होने के बाद, आयकर विधेयक, 2025 एक ऐतिहासिक सुधार साबित होगा, जो भारत के कर कानून को सुव्यवस्थित करेगा, करदाताओं के बीच स्पष्टता बढ़ाएगा, समानता को बढ़ावा देगा, विशेष रूप से पेंशनभोगियों के लिए, और डिजिटल शासन को मज़बूत करेगा। यह कराधान (taxation) व्यवस्था में पारदर्शिता, निष्पक्षता और प्रशासनिक दक्षता की ओर एक बदलाव का संकेत देता है।