भारत में क्रिप्टोकरेंसी का परिदृश्य विकसित हो रहा है। हाल के वर्षों में, बिटकॉइन और अन्य डिजिटल मुद्राओं ने युवाओं और निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) क्रिप्टो के प्रति सतर्क है और डिजिटल रुपये पर जोर दे रहा है। ब्लॉकचेन तकनीक स्टार्टअप्स में लोकप्रिय हो रही है, लेकिन नियामक अनिश्चितता और धोखाधड़ी के जोखिम चुनौतियां हैं।
वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय क्रिप्टो व्यवसायों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। शनिवार को पाकिस्तान वर्चुअल एसेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (PVARA) ने घोषणा की कि अग्रणी क्रिप्टो एक्सचेंज और वर्चुअल एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स (VASPs) अब नए संघीय ढांचे के अंतर्गत लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। स्थानीय समाचार पत्र डॉन के अनुसार, PVARA ने वैश्विक कंपनियों को एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया है।
PVARA के चेयर और क्रिप्टो एवं ब्लॉकचेन मामलों के राज्य मंत्री बिलाल बिन साकिब ने कहा,
यह EOI दुनिया के अग्रणी VASPs को आमंत्रण है ताकि वे पाकिस्तान में एक पारदर्शी और समावेशी डिजिटल वित्तीय भविष्य बनाने में साझेदारी करें।
महत्वपूर्ण बात यह है कि केवल वही कंपनियाँ पात्र होंगी जो पहले से ही मान्यता प्राप्त नियामकों जैसे अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC), ब्रिटेन की फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी (FCA), यूरोपीय संघ का VASP फ्रेमवर्क, संयुक्त अरब अमीरात की वर्चुअल एसेट्स रेगुलेटरी अथॉरिटी तथा सिंगापुर की मौद्रिक प्राधिकरण से लाइसेंस प्राप्त कर चुकी हों।
भारत में क्रिप्टो की स्थिति
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का परिदृश्य अभी भी अस्पष्ट है। भारत ने डिजिटल रुपया (CBDC) की दिशा में तो कदम बढ़ाए हैं, लेकिन निजी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नीति स्तर पर असमंजस बना हुआ है। भारतीय रिज़र्व बैंक कई बार क्रिप्टो के जोखिमों को लेकर चेतावनी दे चुका है, वहीं निवेशकों और युवा उद्यमियों के बीच इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।
क्या आप जानते हैं: भारत क्रिप्टो सुधारों की ओर निर्णायक क़दम बढ़ा रहा है
दो हजार बाईस में सरकार ने क्रिप्टो लाभ पर 30% कर और 1% TDS लगाने की घोषणा की थी। इससे निवेशकों में निराशा जरूर फैली, लेकिन इससे यह स्पष्ट हुआ कि सरकार क्रिप्टो को पूरी तरह प्रतिबंधित करने के बजाय उसे विनियमित करने के पक्ष में है।
भारत को क्रिप्टो-फ्रेंडली बनाने की पहल
नीति आयोग और वित्त मंत्रालय के स्तर पर कई चर्चाएँ चल रही हैं ताकि क्रिप्टो इकोसिस्टम को नियंत्रित और उपयोगी बनाया जा सके। भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सक्रिय है। हाल ही में जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने क्रिप्टो संपत्तियों के लिए एक साझा वैश्विक ढांचा तैयार करने पर जोर दिया। यह पहल दर्शाती है कि भारत विश्व स्तर पर मानक तय करने में अग्रणी भूमिका निभाना चाहता है।
साथ ही, स्टार्टअप और ब्लॉकचेन आधारित कंपनियों को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकारें भी अलग-अलग स्तर पर काम कर रही हैं। आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने ब्लॉकचेन तकनीक को प्रशासनिक और वित्तीय सेवाओं में लागू करने के पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए हैं।
चुनौतियाँ अभी भी गंभीर
फिर भी, भारत के सामने कई चुनौतियाँ हैं।
नियामक अस्पष्टता: अभी तक कोई स्वतंत्र क्रिप्टो नियामक संस्था स्थापित नहीं हुई है, जिससे निवेशकों और कंपनियों में भ्रम की स्थिति है।
कराधान का बोझ: तीस प्रतिशत कर और एक प्रतिशत टीडीएस के कारण छोटे निवेशक और ट्रेडर्स हतोत्साहित हो रहे हैं।
सुरक्षा जोखिम: धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर अपराध जैसे खतरे लगातार बने हुए हैं।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा: जब पाकिस्तान, यूएई और सिंगापुर जैसे देश वैश्विक क्रिप्टो कंपनियों को आकर्षित करने के लिए खुली नीतियाँ बना रहे हैं, भारत को भी अपनी नीतियों में तेजी से स्पष्टता और सुधार करना होगा।
निष्कर्ष
पाकिस्तान का कदम यह दर्शाता है कि दक्षिण एशिया में भी क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल एसेट्स को लेकर प्रतिस्पर्धा शुरू हो चुकी है। भारत यदि इस क्षेत्र में नेतृत्व बनाए रखना चाहता है तो उसे न केवल नियामक ढांचे को स्पष्ट और पारदर्शी बनाना होगा, बल्कि निवेशकों और उद्यमियों के लिए कराधान और संचालन संबंधी नीतियाँ भी सरल करनी होंगी।
भारत की विशाल युवा आबादी, तेजी से डिजिटल हो रहा वित्तीय तंत्र और वैश्विक मंच पर सक्रिय भूमिका, इसे क्रिप्टो-फ्रेंडली राष्ट्र बनने के लिए मजबूत आधार प्रदान करते हैं। प्रश्न यही है कि भारत इन अवसरों को कब और कैसे वास्तविक नीतिगत कदमों में बदलता है।
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