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भारत के युवा होंगे क्रिप्टो की अगली लहर के प्रमुख चालक

TRM लैब्स के अनुसार भारत ने 2025 में क्रिप्टो और स्टेबलकॉइन अपनाने में लगातार तीसरे वर्ष वैश्विक शीर्ष स्थान बनाए रखा, जो घरेलू निवेशकों की बढ़ती रुचि को दिखाता है।

भारत के युवा होंगे क्रिप्टो की अगली लहर के प्रमुख चालक
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भारत में क्रिप्टोकरेंसी निवेश और डिजिटल संपत्तियों का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है, और इस बदलाव के केंद्र में देश की युवा पीढ़ी है। वैश्विक क्रिप्टो प्लेटफॉर्म बिटगेट (Bitget) के सीएमओ इग्नासियो एगुइरे फ्रेंको के अनुसार, भारत की युवा और तकनीकी रूप से पारंगत आबादी डिजिटल संपत्ति के उदय में एक निर्णायक भूमिका निभा सकती है।

टीआरएम लैब्स (TRM Labs) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2025 में विश्व स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी अपनाने और स्टेबलकॉइन उपयोग में लगातार तीसरे वर्ष शीर्ष रैंक बनाए रखा है, जो घरेलू निवेशकों और उपयोगकर्ताओं की बढ़ती दिलचस्पी को दर्शाता है।

भारत निवेशकों में जनसांख्यिकीय बदलाव

भारत में क्रिप्टो निवेशकों में एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय बदलाव देखा जा रहा है। कॉइनस्विच की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, Gen-Z (18–25 वर्ष) अब देश के क्रिप्टो निवेशकों में सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं, जिनकी संख्या कुल निवेशकों का करीब 37.6% है, जबकि मिलेनियल्स सिर्फ 37.3% है। यह पहली बार है जब इतनी युवा आबादी क्रिप्टो ट्रेडिंग की दिशा को आगे बढ़ा रही है।

इसके अलावा, एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में लगभग 2 करोड़ से अधिक क्रिप्टो निवेशक हैं, जिनमें लगभग 75% की आयु 18 से 35 वर्ष के बीच है। यह युवाओं की डिजिटल निवेश में गहरी दिलचस्पी का स्पष्ट संकेत है।

यह युवा वर्ग न केवल निवेश कर रहा है बल्कि ब्लॉकचेन, DeFi, NFT और Web3 आधारित उद्यमों में भी सक्रिय भागीदारी ले रहा है। बाइनेंस द्वारा आयोजित बाइनेंस केस चैलेंज और अन्य ब्लॉकचेन शिक्षा कार्यक्रमों ने युवाओं को तकनीकी समाधान और नवाचार के साथ जोड़ने का काम किया है।

नियमन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा

हालाँकि युवा निवेशकों की भागीदारी बढ़ रही है, भारत में क्रिप्टो के प्रति नियामक धारणा अभी भी स्पष्ट नहीं है। वैश्विक क्रिप्टो प्लेटफॉर्म बिटगेट (Bitget) के सीएमओ इग्नासियो एगुइरे फ्रेंको के अनुसार, नियामक स्पष्टता क्रिप्टो उद्योग के विस्तार के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है, क्योंकि बिना स्पष्ट नीति के वैश्विक क्रिप्टो प्लेटफॉर्म सक्रिय रूप से परिचालन नहीं कर पा रहे हैं।

बिटगेट जैसे प्लेटफॉर्म वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) की लाइसेंसिंग का इंतजार कर रहे हैं ताकि वे भारत में बड़े पैमाने पर सेवाएं प्रदान कर सकें। हालाँकि, भारत सरकार ने कर नियमों को और अधिक स्पष्ट किया है। जैसे कि केंद्रीय बजट 2025 के तहत अघोषित क्रिप्टो लाभ पर कराधान से जुड़े नए संशोधन, जिससे यह संकेत मिलता है कि नियामक ढांचा धीरे-धीरे विकसित हो रहा है।

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मार्केट रीयलिटी और जोखिम

क्रिप्टो बाजार के सामने चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। वैश्विक स्तर पर बिटकॉइन और इथेरियम में उतार-चढ़ाव ने बाजार में अस्थिरता पैदा की है और निवेशकों के लिए जोखिम भी बढ़ा दिया है। हाल ही में बिटकॉइन का मूल्य $90,000 के आसपास रहा और कुछ प्रमुख अल्टकॉइन्स ने अपनी ऊँचाइयों से भारी गिरावट देखी है, जो संकेत करता है कि बाजार अभी एक स्वस्थ समायोजन चरण से गुजर रहा है।

भविष्य की दिशा और अवसर

जहां युवा सहभागिता क्रिप्टो अपनाने का अग्रदूत बन रहे हैं, वहीं डीफाई, टोकनाइज्ड एसेट्स और रियल-वर्ल्ड एसेट्स (RWA) निवेशकों को अलग-अलग मौके दे रही है। बिटगेट जैसे प्लेटफॉर्म यूनिवर्सल एक्सचेंज (UEX) मोड के ज़रिए क्रिप्टो और पारंपरिक फाइनेंस (TradFi) को एकीकृत कर रहे हैं, जिससे यूज़र्स को एक ही इंटरफेस पर व्यापक निवेश विकल्प मिलते हैं।

निष्कर्ष

भारत का क्रिप्टो इकोसिस्टम एक निर्णायक मोड़ पर है, जहां युवा निवेशक, तकनीकी जागरूकता और वैश्विक मंचों की भागीदारी मिलकर अगले दशक में भारत को क्रिप्टो नवाचार का एक प्रमुख केंद्र बना सकते हैं। इसके लिए नियमन की स्पष्टता, सुरक्षा ढांचे का मजबूतीकरण और शिक्षा आधारित पहलें आवश्यक होंगी, ताकि यह लहर सतत् और सुरक्षित रूप से विकसित हो सके।


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