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Rajeev RRajeev R

Pound Stablecoin के बिना वैश्विक वित्तीय दौड़ में पीछे रह सकता है UK

विशेषज्ञों का कहना है कि बिना GBP स्टेबलकॉइन के UK वैश्विक डिजिटल वित्तीय दौड़ में पिछड़ सकता है। अमेरिका और EU तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं, जबकि ब्रिटिश पाउंड अभी ऑनचेन ढाँचे से दूर है।

Pound Stablecoin के बिना वैश्विक वित्तीय दौड़ में पीछे रह सकता है UK
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United Kingdom लंबे समय से वैश्विक वित्तीय सेवाओं का प्रमुख केंद्र माना जाता रहा है, लेकिन तेजी से बदलते digital परिदृश्य में इस स्थिति को बनाए रखना अब पहले जितना आसान नहीं है। 

ऑनचेन वित्त, इंटरनेट आधारित पूंजी बाजारों और रियल टाइम वैश्विक भुगतान प्रणालियों की ओर बढ़ती दुनिया में British Pound को अपनी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बनाए रखने के लिए नए ढाँचों की आवश्यकता है।

इसी संदर्भ में, क्लियरबैंक के समूह सीईओ और बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर फ़िनटेक के प्रमुख मार्क फेयरलैस ने चेतावनी दी है कि यदि यूके ने अपने राष्ट्रीय मुद्रा पाउंड का स्टेबलकॉइन विकसित नहीं किया, तो वह अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख क्षेत्रों से पीछे रह सकता है।

लिस्बन, पुर्तगाल में वेब समिट 2025 के दौरान क्वॉइनटेलीग्राफ को दिए एक विस्तृत साक्षात्कार में फेयरलैस ने कहा कि

स्टेबलकॉइन अंतरराष्ट्रीय भुगतानों में घर्षण कम करने का एक तार्किक विस्तार हैं।

उनके अनुसार, डॉलर और यूरो आधारित स्टेबलकॉइन पहले से ही वैश्विक भुगतान और डिजिटल परिसंपत्ति पारिस्थितिकी तंत्र के मूल में स्थापित होते जा रहे हैं। इसके मुकाबले ब्रिटिश पाउंड का डिजिटल संस्करण अभी शुरुआती चरणों में भी नहीं है, और यही स्थिति यूके की आर्थिक प्रतिस्पर्धी क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।

फेयरलैस ने यह स्वीकार किया कि पाउंड आधारित स्टेबलकॉइन की मार्केट कैपिटलाइज़ेशन किसी भी हाल में डॉलर या यूरो के बराबर नहीं होगी, क्योंकि पाउंड न तो वैश्विक आरक्षित मुद्रा है और न ही उसके उपयोग का दायरा उतना व्यापक है। 

लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि मुद्दा मार्केट कैप का नहीं, बल्कि वैश्विक वित्तीय ढाँचों में प्रासंगिक बने रहने का है।

उनके शब्दों में,

यूके की क्षमता की दृष्टि से देखें तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रियल-टाइम भुगतान निपटान की सुविधा तभी संभव है जब हमारे पास GBP स्टेबलकॉइन हो। यदि यह नहीं होगा, तो हम अन्य वित्तीय क्षेत्रों से पीछे रह जाएंगे।

यूके की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा स्तंभ वित्तीय सेवाएँ

उन्होंने आगे कहा कि यूके की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा स्तंभ वित्तीय सेवाएँ हैं, और जब दुनिया डिजिटल-प्रथम भुगतान, टोकनाइज्ड संपत्तियों और ऑनचेन लेनदेन की ओर बढ़ रही है, तब पाउंड स्टेबलकॉइन इस परिवर्तन का अगला स्वाभाविक चरण है। 

हालांकि उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि स्टेबलकॉइन बैंकिंग क्षेत्र और पारंपरिक वित्तीय संस्थानों के लिए नए प्रश्न और चुनौतियाँ लेकर आएंगे। “इसका बैंकिंग क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है,” उन्होंने कहा।

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सरकारों पर बढ़ता दबाव और बदलता वैश्विक परिदृश्य

दुनिया के कई देश अब अपनी अर्थव्यवस्थाओं में ब्लॉकचेन और डिजिटल ढाँचों को शामिल करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं। केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं (CBDCs), स्टेबलकॉइनों और टोकनाइज्ड वित्तीय साधनों पर किए जा रहे प्रयोग अब भू-राजनीतिक महत्त्व से भी जुड़े हैं।

फेयरलैस के अनुसार,

फिएट मुद्राओं को अब ऑनचेन स्थानांतरित करना केवल तकनीकी या व्यावसायिक आवश्यकता नहीं है - यह रणनीतिक और भू-राजनीतिक प्राथमिकता बन चुकी है।

अमेरिका की गति के साथ बैंक ऑफ इंग्लैंड

यूके के केंद्रीय बैंक, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भी स्टेबलकॉइन विनियमन को लेकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। बैंक की उप गवर्नर सारा ब्रीडन ने कहा है कि देश स्टेबलकॉइन विनियमन के मामले में अमेरिका के साथ कदमताल करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों और जोखिम प्रबंधन ढाँचों का पालन किया जाए।

ब्रीडन ने एक संतुलित और सतर्क दृष्टिकोण अपनाने की वकालत की है। उनका कहना है कि यदि स्टेबलकॉइन नियम बहुत ढीले हुए, तो बैंकिंग क्षेत्र को प्रणालीगत जोखिम का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें वित्तीय स्थिरता के लिए संभावित खतरे शामिल हैं।

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने इसी सप्ताह एक विस्तृत परामर्श पत्र जारी किया है, जिसमें यूके में स्टेबलकॉइन जारीकर्ताओं के लिए प्रस्तावित नियमों की रूपरेखा पेश की गई है। इसमें संभावित आरक्षित आवश्यकताएँ, जोखिम प्रबंधन मानदंड, परिसंपत्ति वर्गीकरण और उपभोक्ता सुरक्षा के दिशानिर्देश शामिल हैं।

यह परामर्श फरवरी 2026 तक उद्योग प्रतिक्रिया के लिए खुला रहेगा और अंतिम नियमों की घोषणा वर्ष की दूसरी छमाही में होने की उम्मीद है।

निष्कर्ष

दुनिया जिस तेजी से इंटरनेट आधारित वित्त और ब्लॉकचेन ढाँचों की ओर बढ़ रही है, उसमें किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था के लिए अपनी मुद्रा का डिजिटल संस्करण अनिवार्य होता जा रहा है।

ब्रिटेन की आर्थिक शक्ति का एक प्रमुख आधार उसका उन्नत वित्तीय सेवाओं का पारिस्थितिकी तंत्र है। लेकिन यदि ब्रिटिश पाउंड स्टेबलकॉइन की दिशा में कदम नहीं बढ़ाया गया, तो यूके का यह वैश्विक लाभ कमजोर पड़ सकता है।

मार्क फेयरलैस की चेतावनी और बैंक ऑफ इंग्लैंड के नियामकीय प्रयास इस ओर संकेत करते हैं कि भविष्य की वित्तीय प्रतिस्पर्धा अब केवल आर्थिक नीतियों से नहीं, बल्कि डिजिटल नवाचारों और ऑनचेन ढाँचों से तय होगी।

ब्रिटेन के लिए समय की यही मांग है कि वह इस दौड़ में पीछे न रहे, बल्कि वैश्विक डिजिटल वित्त के नए युग में सक्रिय, सुरक्षित और सशक्त भूमिका निभाए।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि UK आज एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। डिजिटल वित्त की वैश्विक दौड़ में अमेरिका और यूरोप पहले ही आगे बढ़ चुके हैं। यदि ब्रिटिश पाउंड को ऑनचेन नहीं लाया गया, तो उसकी अंतरराष्ट्रीय प्रासंगिकता धीरे-धीरे कम हो सकती है। मार्क फेयरलैस जैसे फिनटेक नेताओं की चेतावनी यही बताती है कि GBP स्टेबलकॉइन सिर्फ तकनीकी नवाचार नहीं, बल्कि ब्रिटेन की आर्थिक शक्ति और प्रतिस्पर्धात्मक भविष्य का प्रश्न बन चुका है।


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