भारतीय कर अधिकारियों ने पिछले दो वित्तीय वर्षों में क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन से जुड़ी करीब ₹630 करोड़ की अघोषित आय का पता लगाया है, जिससे तेजी से बढ़ते वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) क्षेत्र में कर चोरी को लेकर बढ़ती चिंताएं उजागर हुई हैं।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 5 अगस्त को राज्यसभा को बताया कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 में वर्चुअल डिजिटल एसेट लेन-देन से लगभग ₹630 करोड़ की अघोषित आय का पता लगाया है।

मंत्री के अनुसार, तलाशी एवं जब्ती कार्यवाहियों तथा सर्वेक्षण कार्यवाहियों के दौरान “VDA लेन-देन में खोजी गई अघोषित आय लगभग ₹630 करोड़” रही है।

भारत सरकार ने VDA से हुई आय पर 2022-23 और 2023-24 में कुल ₹706 करोड़ से अधिक कर एकत्र किया। पंकज चौधरी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 में ₹269.09 करोड़ और 2023-24 में ₹437.43 करोड़ का कर VDA से हुई आय पर एकत्र किया गया।

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मंत्री ने यह विवरण 21 जुलाई 2025 को लोकसभा में सांसद लवु श्री कृष्ण देवेरायालु और जी.एम. हरीश बालायोगी द्वारा ‘VDA और क्रिप्टोकरेंसी आय पर आयकर’ संबंधी पूछे गए प्रश्न के लिखित उत्तर में साझा किया।

चौधरी ने कहा, “आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 115BBH के तहत VDA के हस्तांतरण से होने वाली आय पर कर लगाने का प्रावधान वित्तीय वर्ष 2022-23 से लागू किया गया।” वित्तीय वर्ष 2024-25 के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि इस अवधि के आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि अभी नहीं बीती है।

जागरूकता अभियान

VDA का खुलासा करने और कर भुगतान के प्रति करदाताओं में जागरूकता लाने के लिए CBDT ने ‘NUDGE’ (Non-Inclusive Usage of Data to Guide and Enable) अभियान शुरू किया है।

इस पहल के तहत 44,057 ईमेल और संदेश उन चुनिंदा करदाताओं को भेजे गए, जिन्होंने VDA में निवेश और व्यापार किया लेकिन अपने आयकर रिटर्न (ITR) के शेड्यूल में इन लेन-देन का उल्लेख नहीं किया, मंत्री ने कहा।

भारत का क्रिप्टो परिदृश्य

क्रिप्टो अपनाने के मामले में भारत विश्व में अग्रणी है। ब्लॉकचेन विश्लेषण फर्म चेनऐलिसिस के अनुसार, भारत में लगभग 11.9 करोड़ क्रिप्टो उपयोगकर्ता हैं, जो वैश्विक कुल का करीब 20% है। अमेरिका 5.3 करोड़ उपयोगकर्ताओं के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि इंडोनेशिया 3.9 करोड़ उपयोगकर्ताओं के साथ तीसरे स्थान पर है।

विशेषज्ञों का कहना है कि संस्थागत निवेश के बजाय जमीनी स्तर पर अपनाने में वृद्धि, भारत में भारी मात्रा में बिटकॉइन स्वामित्व का प्रमुख कारण है। भारी कराधान और कानूनी अस्पष्टताओं के बावजूद भारत वैश्विक क्रिप्टो अपनाने के सूचकांकों में पहले स्थान पर है, जो मजबूत सहभागिता को दर्शाता है।