वैश्विक मंचों और आर्थिक विश्लेषकों के लिए एक अहम इशारा सामने आया है, जब Børge Brende, जो कि वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम (WEF) के अध्यक्ष हैं, ने बुधवार को ब्राजील के साओ पाउलो में संवाददाताओं से कहा कि हमें तीन प्रमुख जोखिमों यानी बुलबुलों पर नजर रखने की जरूरत है: पहला क्रिप्टो बुलबुला, एआई बुलबुला और तीसरा कर्ज का बुलबुला।
ब्रेंडे ने बताया कि यह वक्त तकनीकी शेयरों में आई तेज गिरावट के बीच है, जब बाजार रिकॉर्ड ऊँचाइयों को छू रहे थे और कुछ मूल्यांकन बहुत अधिक प्रतीत हो रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारें 1945 के बाद से इतने भारी कर्ज में नहीं रही है।
ब्रेंडे ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश की उछाल और बाजार में दाँव-पेंच धीरे-धीरे उस तरह की स्थिति बना सकते हैं जिसे हम बुलबुला कहेंगे। क्रिप्टो बाजार में उतार-चढ़ाव पहले से ही बड़े स्तर पर दिखाई दे रहे हैं। जब निवेशकों को ‘फोम’ जैसा माहौल दिखने लगे यानी उत्साह बहुत बढ़ जाए, कीमतें बहुत तेजी से बढ़ें लेकिन अंत में ठहराव या उलट हो तो जोखिम ज्यादा हो जाता है।
एआई को लेकर वैश्विक रूप से बहुत ही सकारात्मक उम्मीदें हैं। ब्रेंडे ने कहा कि एआई वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यवसायों की संभावनाओं को बदल सकता है, लेकिन इससे साथ एक बड़ी चुनौती भी जुड़ी है और वह है व्हाइट-कॉलर नौकरियों पर असर। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बड़ी कंपनियों ने हाल में नौकरी कटौती की घोषणाएँ की हैं, जैसे कि Amazon और Nestlé।
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इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि बदतर स्थिति में उन बड़े शहरों में जो पहले से “बैक ऑफिस” वर्करों पर आधारित हैं, वहाँ एक तरह का “रस्ट बेल्ट” मंच तैयार हो सकता है जहाँ एआई एवं बढ़ी हुई उत्पादकता की वजह से काम बदल जाए।
यानी, सिर्फ एआई द्वारा वह ‘बर्क’ (उत्पादकता बढ़ना) नहीं बल्कि सामाजिक-आर्थिक असर भी हो सकता है। जब नौकरियाँ खत्म हों, श्रम संरचना बदले, तो विकास की दिशा भी प्रभावित हो सकती है। ब्रेंडे ने कहा है कि इतिहास से हम जानते हैं कि तकनीकी परिवर्तन समय के साथ उत्पादकता बढ़ाते हैं और यही लंबे समय में समृद्धि का एकमात्र रास्ता है।
सबसे चिंताजनक संकेत हो सकता है सरकारों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा उठाए गए भारी कर्ज का जिसका स्तर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कभी इतना नहीं रहा था, जैसा कि ब्रेंडे ने कहा। इस कर्ज-बड़ेपन के बीच अगर ब्याज दरें बढ़ें, आर्थिक विकास धीमा हो जाए, या मुद्रास्फीति और व्यापार तनाव तेज हो जाएं, तो यह बुलबुले के फटने जैसा प्रभाव दे सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि अभी यह स्थिति घबराहट का नहीं, बल्कि सतर्क रहने का कारण है। बाजार थोड़े ऊँचे मूल्यांकन पर चल रहे हैं, इस लिए यह सही समय है कि जो निवेश हैं, उन्हें समीक्षा कीजिए।
भारत के लिए क्या मायने रखते हैं ये चेतावनियाँ
भारत जैसे तेजी से बढ़ते अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी यह संकेत महत्वपूर्ण है। जब वैश्विक तकनीक-उपकरणों और एआई पर निवेश बढ़ रहा हो, साथ ही कर्ज-स्तर भी उच्च हों तो इससे भारत को दोहरे फ्रंट पर सतर्क रहने की जरूरत है।
टेक्नोलॉजी निवेश एवं एआई आधारित अवसरों को सही दिशा में ले जाना। वित्त-संधि एवं कर्ज-वित्त प्रबंधन को मज़बूत बनाना ताकि किसी बाहरी आर्थिक झटके से अप्रत्याशित गिरावट न हो।
यदि भारत जैसे देश में क्रिप्टो या एआई में अत्यधिक बुखार बना हुआ है, तो जोखिम-सहिष्णुता व निवेश-शिक्षा को और बढ़ाना होगा। और कर्ज-संबंधी नीति-निर्माताओं को यह देखना होगा कि सार्वजनिक और निजी कर्ज का स्तर स्थिर और टिकाऊ बने।
निष्कर्ष
ब्रेंडे की चेतावनी केवल डर पैदा करने के लिए नहीं है बल्कि संकेत है कि हम जोखिमों को नज़रअंदाज नहीं कर सकते। क्रिप्टो, एआई और कर्ज-संबंधी बुलबुले सिर्फ अर्थशास्त्र की अवधारणाएँ नहीं रह गए बल्कि ये आज के निवेश-परिस्थितियों और तकनीकी उड़ानों में वास्तविक रूप से प्रकट हो रहे हैं।
मूल रूप से, यह वक्त है बड़े विचारों के साथ-साथ, विवेकशील निवेश, नीति-सुधार और समय-सापेक्ष तैयारी की जरूरत। यदि इन बुलबुलों पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो आगामी वर्षों में अर्थव्यवस्था, नौकरी-बाजार और वित्तीय-सुधार को बड़ी चुनौतियाँ मिल सकती है।
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