लेन-देने के लालच में फंसा व्यापारी
कोलकाता-हावड़ा इलाके से रखने वाले व्यापारी बृजेश पांडे को 28 अक्टूबर 2025 को एक क्रिप्टो ट्रेडिंग लेन-देने के बहाने फँसाया गया। मामला बेलेर का है, जहाँ पांडे इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का काम करते हैं। पुलिस के मुताबिक, एक व्यक्ति इमो नाम से पांडे को आकर्षित करता है कि एक क्रिप्टो निवेश के जरिए लाभ कमाया जा सकता है। इसके बाद पांडे को कोलकाता के पार्क सर्कस इलाके ले जाया गया, जहाँ उसके सामने दूसरा आरोपी सद्दाम मौजूद था।
अपहरण और लूट की chilling घटना
पुलिस के अनुसार, इमो-सद्दाम और उनके चार अन्य साथियों ने मिलकर पांडे को कार में जबरन बैठाया और ईएम बाईपास के निकट ले गए। वहाँ उन्होंने पांडे को मारपीट की, उसके पास मौजूद बैग छीन लिया जिसमें लगभग ₹ 8.90 लाख नकद थे। फिर उसे चलते वाहन से बाहर फेंक दिया गया।
घटना के बाद आरोपी फरार हो गए, लेकिन पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। मुख्य आरोपी के रूप में सूरज सिंह नाम का व्यक्ति सामने आया है, जिसके ऊपर पहले भी लगभग एक करोड़ रुपये की फर्जीवाड़े की कार्रवाई दर्ज थी।
गिरफ्तारी और जांच-प्रक्रिया
पुलिस ने सुरज सिंह को सिखिम में गिरफ्तार किया, जब वह नेपाल की राजधानी काठमांडू में एक व्यवसाय शुरू करने की कोशिश कर रहा था। इसके साथ-साथ बाकी चार आरोपियों की तलाश जारी है।
पुलिस के मुताबिक यह गिरोह संगठित तरीके से काम करता था। फर्जी क्रिप्टो निवेश के बहाने व्यापारियों को फँसाना, उन्हें अलग जगह ले जाना, और फिर उनसे नकद एवं संपत्ति लूटने का मॉडल उन्होंने अपनाया था।
क्रिप्टो Fraud का बढ़ता खतरा
यह मामला सिर्फ एक लूट तक सीमित नहीं है, बल्कि दर्शाता है कि क्रिप्टो लेन-देने के बहाने किस प्रकार अत्याधुनिक धोखाधड़ी हो रही है। लेन-देने की प्रक्रिया में सावधानी की कमी, आकर्षक लाभ का वादा, और जल्दबाजी में निर्णय जैसे कारक अपराधियों के लिये मोका बन रहे हैं।
विशेष रूप से व्यापारी वर्ग के लिए यह चेतावनी है कि ‘तेजी से लाभ’ का लालच उन्हें जोखिम में डाल सकता है।
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आगे की दिशा
पुलिस का कहना है कि इस तरह के मामलों में तुरंत रिपोर्ट करना बहुत जरूरी है ताकि अपराधी जल्दी पकड़े जा सकें। साथ ही, क्रिप्टो निवेश करते समय लाइसेंस-प्रमाण या भरोसेमंद एक्सचेंज का चयन आवश्यक है।
वहीं व्यापारी और सामान्य निवेशक दोनों को यह समझना होगा कि क्रिप्टो लेन-देने में पारदर्शिता कम हो सकती है और शर्तें अक्सर बदली जा सकती हैं।
भारत की उलझी हुई नीति और नया न्यायिक संकेत
पिछले कुछ वर्षों में भारत की क्रिप्टो नीति लगातार अस्पष्ट रही है। जहाँ भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कई बार यह कहा है कि वह निजी डिजिटल मुद्राओं को मान्यता नहीं देगा, वहीं सेबी (SEBI) ने इस क्षेत्र के नियमन में रुचि दिखाई है। सरकार ने अभी तक किसी स्पष्ट ढांचे की घोषणा नहीं की है, जिससे निवेशकों और स्टार्टअप्स में असमंजस बना हुआ है।
इसी बीच, मद्रास हाई कोर्ट के हालिया फैसले ने क्रिप्टोकरेंसी को भारतीय कानून के तहत “संपत्ति” के रूप में मान्यता देकर एक महत्वपूर्ण उदाहरण पेश किया है। अदालत ने कहा कि डिजिटल परिसंपत्तियों को स्वामित्व में रखा जा सकता है और उन्हें कानूनी संरक्षण प्राप्त है। यह फैसला भारत में डिजिटल संपत्तियों की दिशा तय करने वाला एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
निष्कर्ष
कोलकाता-हावड़ा इलाके में हुए इस घटना में क्रिप्टो निवेश का लालच व्यापारी को भारी पड़ गया। बृजेश पांडे का मामला दिखाता है कि कैसे फर्जी निवेश के बहाने अपहरण और लूट तक के रास्ते खुल सकते हैं। ऐसे समय में निवेशक-व्यापारी को बहुत सतर्क रहने की जरूरत है।
अगर आप क्रिप्टो लेन-देने की सोच रहे हैं, तो पूरी तह-तक जाँच करें, सीमित राशि से शुरुआत करें और किसी भी तरह के दबाव या जल्दी के वादे से बचें।
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