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ऑस्ट्रेलिया में नया कानून: डिजिटल एसेट एक्सचेंज अब बैंक नियमों के तहत

ऑस्ट्रेलिया ने नया डिजिटल एसेट बिल पेश किया। क्रिप्टो एक्सचेंज और कस्टडी प्लेटफॉर्म अब बैंक-जैसे लाइसेंस और सुरक्षा मानकों के तहत आएंगे। समझें मुख्य नियम।

ऑस्ट्रेलिया में नया कानून: डिजिटल एसेट एक्सचेंज अब बैंक नियमों के तहत
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हाल ही में असिस्टेंट ट्रेज़रर डैनियल मुलिनो ने निगम संशोधन (डिजिटल संपत्ति फ्रेमवर्क) विधेयक 2025 ऑस्ट्रेलिया के संसद में पेश किया।

प्रस्तावित कानून के तहत अब क्रिप्टो प्लेटफ़ॉर्म, जिनमें एक्सचेंज और कस्टडी सेवाएँ प्रदान करने वाली कंपनियाँ शामिल हैं, को पारंपरिक वित्तीय संस्थानों की तरह अनिवार्य लाइसेंसिंग और नियामकीय मानकों का पालन करना होगा।

दो नई श्रेणियाँ: DAPs और TCPs

नए बिल के तहत दो नई श्रेणियाँ बनायी जा रही हैं:

  • डिजिटल एसेट प्लेटफार्म्स (Digital Asset Platforms – DAPs) और

  • टोकनाइज़्ड कस्टडी प्लेटफार्म्स (Tokenized Custody Platforms – TCPs)।

दोनों को अब ASIC से AFSL (Australian Financial Services Licence) लेना अनिवार्य होगा।

जिन प्लेटफार्मों के ग्राहक आधार या लेन-देन कम हो, जैसे प्रति ग्राहक AUD 5,000 से कम हो या सालाना लेन-देन AUD 10 मिलियन से कम हो, उन्हें इस लाइसेंसिंग से राहत दी गई है। यानी छोटे या कम जोखिम वाले प्लेटफार्म अभी भी छूट में रहेंगे।

क्यों लाई गई यह कानून

सरकार का कहना है कि डिजिटल एसेट्स, जैसे क्रिप्टोकरेंसी, स्टेबलकॉइन और टोकनाइज़्ड रियल-वर्ल्ड एसेट्स, केवल तकनीकी नवाचार नहीं, बल्कि वित्तीय सिस्टम का भविष्य हैं।

इस कानून का उद्देश्य इन नवाचारों को संरक्षित वातावरण देना है ताकि निवेशकों का भरोसा बना रहे और घपलों से बचाव हो सके।

इसके साथ ही, बिल का उद्देश्य उन खतरे को समाप्त करना है, जिनके कारण बीते वर्षों में कई डिजिटल-एसेट संगठन विफल हुए, जहां ग्राहकों की संपत्ति संरक्षित नहीं थी और धोखाधड़ी या दिवालियापन का खतरा था।

एक अनुमान के अनुसार, यदि यह नया फ्रेमवर्क लागू हो गया और डिजिटल फाइनेंस सेक्टर सुचारू रूप से विकसित हुआ, तो ऑस्ट्रेलिया को सालाना लगभग 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक का आर्थिक लाभ और उत्पादकता बढ़ोतरी हो सकती है।

बिल के मुख्य प्रावधान

1. क्रिप्टो एक्सचेंज, कस्टडी प्लेटफार्म्स हेतु ऑस्ट्रेलियाई वित्तीय सेवा लाइसेंस (AFSL) आवश्यक

2. डिजिटल एसेट प्लेटफॉर्म (DAPs), टोकनाइज्ड कस्टडी प्लेटफॉर्म (TCPs) शामिल

3. प्लेटफार्म्स को कुशल, ईमानदार एवं निष्पक्ष तरीके से काम करना होगा

4. ग्राहक फंड सुरक्षित रखना होगा, लेन-देन, सेटलमेंट और कस्टडी मानकों का पालन 

5. प्लेटफार्म को ग्राहकों को उसकी सेवा, फीस, जोखिम आदि के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी

6. छोटे-मोटे या कम-जोखिम वाले प्लेटफार्म, जिनका ट्रांजैक्शन वॉल्यूम सीमित है, उन्हें लाइसेंसिंग से छूट मिलेगी

7. लाइसेंस पाने के लिए 18 महीने की राहत अवधि दी गई है

8. नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त दंड

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उद्योग और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

कई क्रिप्टो एक्सचेंजों और डिजिटल एसेट प्लेटफार्म्स ने प्रारंभ में इस बिल का समर्थन किया था, यह बताते हुए कि लंबे समय से नियम व्यवस्था की कमी थी। लेकिन उन्होंने बिल में सुधार और स्पष्टता की मांग भी की थी ताकि नियम इतने जटिल न हों कि नवोदित कंपनियां प्रभावित हों।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह कानून क्रिप्टो को वित्तीय व्यवस्था में पूरी तरह से शामिल” करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह क्रिप्टो अब बैंकिंग-जैसी विश्वसनीय और नियंत्रित सेवाओं के स्तर पर आएगा।

हालांकि, कुछ चिंताएं भी जताई जा रही हैं कि छोटे स्टार्ट-अप या नवाचार उन्मुख प्लेटफार्मों के लिए लाइसेंसिंग की लागत और अनुपालन बोझ बढ़ जाएगा, जिससे नवाचार धीमा हो सकता है।

निष्कर्ष

ऑस्ट्रेलिया का यह नया बिल न सिर्फ निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि डिजिटल वित्तीय नवाचार को व्यवस्थित और स्थिर आधार देता है। इससे क्रिप्टो-उद्योग में पारदर्शिता, जवाबदेही और संरक्षक नियम स्थापित होंगे।

अगर इसे कुशलतापूर्वक लागू किया गया, तो ऑस्ट्रेलिया को अरबों डॉलर के निवेश, रोजगार और वित्तीय आधुनिकता का लाभ हो सकता है।

वहीं, उद्योग के लिए यह एक संकेत है कि क्रिप्टो अब विकल्प नहीं, बल्कि वित्तीय प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बनता जा रहा है, जहां सुरक्षा, नियमन और ग्राहक हित सर्वोपरि होंगे।

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