संयुक्त राज्य की प्रमुख क्रिप्टो एक्सचेंज Coinbase ने भारत में हुई अटकलों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि उसकी CCI (Competition Commission of India) में हाल की नियामक फाइलिंग कोई नए अधिग्रहण का संकेत नहीं है, बल्कि यह पहले किए गए निवेश को औपचारिक रूप से पूरा करने का एक कदम है।

कॉइनबेस ने यह फाइलिंग DCX ग्लोबल सर्विसेज, जो CoinDCX की मूल कंपनी है, में पहले घोषित अल्पसंख्यक निवेश के संदर्भ में की है। यह निवेश Coinbase द्वारा 2020, 2022 और 2025 में किया गया था और वर्तमान में उसकी हिस्सेदारी लगभग 2.34%–2.5% के आसपास है।

“यह सिर्फ प्रक्रिया है, अधिग्रहण नहीं” - Coinbase

इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए, Coinbase ने पुनरावृत्ति की है कि उसकी CCI में हुई फाइलिंग सिर्फ एक नियमित, प्रक्रियात्मक कदम है और इसका मकसद इस निवेश को पूरी तरह से कानूनी रूप देना है, न कि CoinDCX को खरीदने का कोई बड़ा सौदा करना।

आज की स्थिति में, भारत का क्रिप्टो बाजार वैश्विक एक्सचेंजों के लिए एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है, बावजूद इसके कि यहाँ कर और नियमन बहुत जटिल हैं। उदाहरण के लिए, CoinDCX का हालिया मूल्यांकन $2.45 अरब हो गया है, जिसे Coinbase के ताज़ा निवेश ने और मजबूती दी है।

कॉइनबेस की इस फाइलिंग की समय-रूपरेखा भी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उसी समय आई है जब उसने भारत की वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) के साथ फिर से पंजीकरण किया है, जो पिछले कुछ समय से उसके संचालन में बाधा बन रही थी। इस पुनः पंजीकरण के बाद ही उसने स्थानीय क्रिप्टो ट्रेडिंग की शुरुआत करने की योजना बनाई है।

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CoinDCX पर प्रभाव? कंपनी ने स्थिति स्पष्ट की

CoinDCX के सह-संस्थापक और CEO सुमित गुप्ता ने कहा कि Coinbase की बढ़ती सहभागिता से न तो कॉइन-डीसीएक्स की स्वायत्तता को खतरा है और न ही यह भारत में किसी प्रतिस्पर्धात्मक संकट को जन्म देगा।

वे यह भी मानते हैं कि वैश्विक खिलाड़ी भारतीय क्रिप्टो पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाएंगे और यह नीति निर्माताओं पर नियमन में स्पष्टता लाने का दबाव बनाएगा।

यह निवेश और CCI फाइलिंग Coinbase की भारत में दीर्घकालीन प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उसकी यह रणनीति न केवल व्यापार के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह संकेत भी देती है कि विदेशी एक्सचेंज भारत के क्रिप्टो बाजार को गंभीरता से ले रहे हैं, भले ही भारत में अभी व्यापक क्रिप्टो-विशिष्ट कानून न हों।

निष्कर्ष

कॉइनबेस की CCI फाइलिंग ने बाजार में उठी अधिग्रहण अटकलों को शांत करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि यह कदम विस्तार या नियंत्रण लेने का नहीं, बल्कि पहले किए गए निवेश की नियमितीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा है।

भारत के क्रिप्टो इकोसिस्टम में उसकी बढ़ती हिस्सेदारी और कानूनी अनुपालन की दिशा में उठाया गया यह कदम यह संदेश देता है कि वैश्विक एक्सचेंज भारत को सिर्फ बाजार के रूप में नहीं, बल्कि एक लंबे प्रतिबद्धता वाले भागीदार के रूप में देख रहे हैं। 

ऐसे में भारतीय नियामक और नीति-निर्माता भी धीरे-धीरे अधिक संरचित और स्पष्ट नियामक ढांचा बनाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।

यहां यह बताना महत्वपूर्ण है कि कॉइनबेस एक प्रमुख अमेरिकी क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज है, जिसकी स्थापना 2012 में ब्रायन आर्मस्ट्रांग ने की थी। यह प्लेटफ़ॉर्म बिटकॉइन, एथेरियम सहित कई डिजिटल संपत्तियों की खरीद-फरोख्त और सुरक्षित कस्टडी सेवाएँ प्रदान करता है।

कॉइनबेस वैश्विक स्तर पर नियामक अनुपालन पर जोर देने के लिए जाना जाता है और कई देशों में लाइसेंस प्राप्त सेवा प्रदाता है। कंपनी ग्राहकों को सरल, सुरक्षित और उपयोगकर्ता अनुकूल इंटरफ़ेस के माध्यम से क्रिप्टो ट्रेडिंग की सुविधा देती है।

2021 में यह नैस्डैक पर सूचीबद्ध होने वाला पहला बड़ा क्रिप्टो एक्सचेंज बना, जिससे उद्योग में इसकी साख और प्रभाव और मजबूत हुआ।

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