प्रस्तावना

वेब3 इंटरनेट की वह नई परिकल्पना है जिसमें डेटा और मूल्य का नियंत्रण कुछ बड़ी कंपनियों के बजाय उपयोगकर्ताओं और समुदायों के पास होता है। इसका आधार पब्लिक ब्लॉकचेन, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स और टोकन-आधारित प्रोत्साहन हैं। सरल भाषा में कहें तो वेब3 ऐसा इंटरनेट है जहां आप ऐप्स का उपयोग ही नहीं, बल्कि उनके संचालन, स्वामित्व और नीतियों में भी भाग ले सकते हैं।

शब्द की उत्पत्ति

“Web3” शब्द 2014 में एथेरियम के सह-संस्थापक गैविन वुड ने दिया था। उन्होंने इसे “ब्लॉकचेन पर आधारित एक विकेंद्रीकृत ऑनलाइन इकोसिस्टम” के रूप में परिभाषित किया। 2021 के बाद इस विचार को तकनीकी समुदाय, वीसी और क्रिप्टो उद्योग से व्यापक ध्यान मिला।

वेब1 → वेब2 → वेब3: एक झलक

  • वेब1: पढ़ने-लायक वेब पेज, सीमित इंटरएक्शन।

  • वेब2: सोशल मीडिया और यूज़र-जेनरेटेड कंटेंट, पर डेटा/मौद्रीकरण पर बड़ी कंपनियों का नियंत्रण।

  • वेब3: ओपन-सोर्स, ब्लॉकचेन-आधारित ढांचा जहां पहचान, संपत्ति और नियम स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स से संचालित होते हैं और निर्णय समुदाय करता है। 

वेब3 के मुख्य घटक

  1. ब्लॉकचेन और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्सब्लॉकचेन एक वितरित लेज़र है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स ऐसे प्रोग्राम हैं जो तय नियमों के अनुसार अपने-आप निष्पादित होते हैं। एथेरियम जैसे नेटवर्क पर हजारों ऐप, टोकन और वित्तीय सेवाएं इन्हीं से चलती हैं।

  2. क्रिप्टो वॉलेट्स (कस्टोडियल/नॉन-कस्टोडियल, हॉट/कोल्ड)वॉलेट आपकी प्राइवेट-कीज़ को सुरक्षित रखता है और dApps में साइन-इन, ट्रांज़ैक्शन और पहचान का इंटरफ़ेस देता है। वॉलेट खुद “कॉइन” नहीं रखता, बल्कि आपकी चाबियों के जरिए ब्लॉकचेन पर मौजूद फंड्स तक पहुंच बनाता है।

  3. डीफाई (DeFi)डीफाई ऐसे खुले वित्तीय प्रोटोकॉल्स का समुच्चय है जहां कोई भी उधार-लेनदेन, ट्रेडिंग, सेविंग आदि कर सकता है। ये सेवाएं 24×7 चलती हैं, पर स्मार्ट-कॉन्ट्रैक्ट जोखिम और नियामकीय अनिश्चितता जैसी चुनौतियां भी साथ आती हैं।

  4. NFTs (नॉन-फंजिबल टोकन)NFTs ऐसे डिजिटल टोकन हैं जो किसी संपत्ति की विशिष्टता/स्वामित्व को दर्शाते हैं - जैसे कला, गेम-एसेट आदि - आमतौर पर ERC-721 जैसे मानकों पर। इनके कानूनी/उपयोग अधिकार अलग-अलग हो सकते हैं, इसलिए समझना ज़रूरी है कि टोकन क्या अधिकार देता है।

  5. DAOs (डिसेंट्रलाइज़्ड ऑटोनॉमस ऑर्गनाइज़ेशंस)DAO वह संरचना है जिसमें ट्रेज़री और नियम स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स में परिभाषित होते हैं और परिवर्तन केवल टोकन-होल्डर वोटिंग से ही संभव है। शुरुआती इतिहास में “The DAO” हैक ने सुरक्षा-ऑडिट के महत्व को रेखांकित किया।

  6. डिसेंट्रलाइज़्ड स्टोरेज (IPFS/Filecoin)वेब3 ऐप्स केवल ब्लॉकचेन पर नहीं चलते; कंटेंट-एड्रेस्ड, पीयर-टू-पीयर स्टोरेज जैसे IPFS डेटा को टुकड़ों में वितरित करके उपलब्ध कराते हैं, जिससे सेंसरशिप-प्रतिरोध और सत्यापन बढ़ता है।

  7. ऑरेकल्सऑन-चेन स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स को ऑफ-चेन डेटा (प्राइस फ़ीड, मौसम, खेल परिणाम) देने के लिए ऑरेकल्स काम आते हैं। चेनलिंक जैसे नेटवर्क डीसेंट्रलाइज़्ड ऑरेकल्स प्रदान करते हैं ताकि एकल स्रोत का भरोसा न करना पड़े।

  8. लेयर-2 और स्केलिंगबड़े-पैमाने पर उपयोग के लिए एथेरियम पर रोलअप-आधारित L2 समाधान (ऑप्टिमिस्टिक/ज़ीके रोलअप) प्रमुख स्केलिंग तकनीक बन चुके हैं - सस्ते डेटा ब्लॉब्स के साथ फीस और थ्रूपुट में सुधार होता है।

  9. डिसेंट्रलाइज़्ड डिजिटल आइडेंटिटी (DID)W3C के DID मानक उपयोगकर्ता-नियंत्रित, सत्यापन योग्य पहचान को सक्षम करते हैं, जो केंद्रीकृत आईडी प्रोवाइडर्स से मुक्त होती है।

वेब3 कैसे काम करता है: एक साधारण फ्लो

आप वॉलेट बनाते हैं, जिसमें आपकी प्राइवेट-की रहती है। किसी dApp पर जाते हैं, वॉलेट से साइन-इन करते हैं और कोई कार्रवाई करते हैं - जैसे टोकन भेजना, NFT मिंट करना, कर्ज लेना। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट आपकी शर्तें चेक करके ट्रांज़ैक्शन को ब्लॉकचेन पर रिकॉर्ड कर देता है। अगर ऐप को ऑफ-चेन डेटा चाहिए, ऑरेकल वह डेटा लाकर देता है। भारी फाइलें IPFS पर जा सकती हैं और ट्रांज़ैक्शन का सार ब्लॉकचेन में रहता है। 

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वैश्विक परिदृश्य: डेवलपर्स, नीतियां और उपयोग

दुनिया भर में वेब3 डेवलपर्स का वितरण तेज़ी से बदल रहा है - इलेक्ट्रिक कैपिटल की 2024 रिपोर्ट के अनुसार एशिया डेवलपर-शेयर में #1 है और 2024 में भारत ने सबसे अधिक नए क्रिप्टो डेवलपर्स जोड़े। अमेरिका 19% हिस्सेदारी के साथ #1 देश है, पर 2015 के 38% से कम हुआ है। यह संकेत देता है कि बिल्डर-इकोसिस्टम बहुध्रुवीय हो चुका है।

नीतिगत स्तर पर 2023 के जी-20 भारत अध्यक्षता वर्ष में क्रिप्टो-एसेट पॉलिसी रोडमैप को IMF-FSB ने रूपरेखा दी, जो सदस्य देशों को जोखिम-आधारित, समन्वित नियमन की दिशा देता है। 2024 की स्टेटस रिपोर्ट इस रोडमैप के क्रियान्वयन की प्रगति को ट्रैक करती है। 

भारत में वेब3: स्थिति, नीति और अवसर

भारत में वेब3 का उपयोग तेज़ी से बढ़ा है। भारत वेब3 एसोसिएशन के परिदृश्य अध्ययन के अनुसार 2022 तक वैश्विक वेब3 डेवलपर पूल का ~11% भारत में था और ब्लॉकचेन जॉब्स में 2018 से 138% वृद्धि दिखी। ट्रांज़ैक्शन वॉल्यूम के आधार पर भारत विश्व के सबसे बड़े क्रिप्टो बाज़ारों में रहा है।

कराधान: 2022 के यूनियन बजट में क्रिप्टो लाभ पर 30% फ्लैट टैक्स और प्रत्येक बिक्री पर 1% TDS का प्रावधान लाया गया, जिससे ट्रेडिंग/लिक्विडिटी पर प्रभाव पड़ा पर रिपोर्टिंग स्पष्ट हुई।

CBDC (ई-रुपया): RBI ने 2022-23 में रिटेल/व्होलसेल पायलट शुरू किए। 2025 तक ई-रुपया के थोक पायलट में 14 प्रतिभागी संस्थाएं शामिल बताई गईं, और रिटेल उपयोग बढ़ाने के लिए UPI लिंकिंग व नॉन-बैंक ऑपरेटर्स को जोड़ने जैसी पहलें सामने आईं। मार्च 2025 को RBI की रिपोर्ट में ई-रुपया परिसंचरण ₹1,016 करोड़ तक पहुँचने की बात आई और क्रॉस-बॉर्डर पायलट की तैयारी का संकेत मिला।

डेवलपर/स्टार्टअप मोर्चा: भारत में L1/L2, डीफाई, गेमिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑरेकल्स, NFT-कॉमर्स और टोकनाइजेशन जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप्स उभर रहे हैं। प्रतिभा-आधार मज़बूत है, पर नीति स्पष्टता, टैक्स रेजीम और बैंकिंग-ऑन-रैम्प की सुलभता विकास की गति तय करते हैं।

वेब3 के फायदे और चुनौतियां

फायदे

  • यूज़र-ओनरशिप और इंटरऑपरेबिलिटी: संपत्ति/पहचान का नियंत्रण उपयोगकर्ता के पास, dApps के बीच पोर्टेबिलिटी।

  • ओपन-फाइनेंस: डीफाई के जरिए वैश्विक, खुली वित्तीय सेवाएं।

  • सेंसरशिप-रेज़िस्टेंट डेटा: IPFS जैसे प्रोटोकॉल सामग्री की उपलब्धता बढ़ाते हैं।

चुनौतियां

  • स्केलेबिलिटी/फीस: L2 रोलअप्स से सुधार हो रहा है, पर UX और लागत अभी भी क्षेत्र-विशेष है।

  • सुरक्षा/धोखाधड़ी: स्मार्ट-कॉन्ट्रैक्ट बग्स, फ़िशिंग, ब्रिज-हैक जैसी घटनाएं; DAO का इतिहास सावधान करता है।

  • नियामकीय स्पष्टता: कराधान व अनुपालन ढांचे विकसित हो रहे हैं; जी-20 रोडमैप समन्वय बढ़ाता है।

  • NFT वास्तविक अधिकार: NFT स्वामित्व की तकनीकी/कानूनी व्याख्या अलग-अलग हो सकती है, इसलिए सावधानी ज़रूरी है।

आगे का रास्ता: भारत और दुनिया

दुनिया में वेब3 का निर्माण तेजी से “एशिया-फर्स्ट” परिदृश्य की ओर झुक रहा है और भारत नए डेवलपर्स जोड़ने में अग्रणी दिखा है। अगर भारत में ऑन-रैम्प, टैक्स-सरलीकरण और कॉर्पोरेट-बैंकिंग सहयोग बढ़ता है, तो टोकनाइजेशन (रियल-वर्ल्ड एसेट्स), डिसेंट्रलाइज़्ड पहचान, डीफाई-प्लस-UPI इंटीग्रेशन, और सार्वजनिक-उपयोग के dApps जैसे क्षेत्रों में वैश्विक-स्तरीय उत्पाद बनने की क्षमता है। साथ ही, ई-रुपया के क्रॉस-बॉर्डर पायलट और डिजिटल-पब्लिक-इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) का संगम भारत को वेब3 के “इन्फ्रा-लैब” की भूमिका में ला सकता है।

निष्कर्ष

वेब3 केवल “क्रिप्टो ट्रेडिंग” नहीं है; यह इंटरनेट की स्वामित्व-परक, पारदर्शी और प्रोग्रामेबल परत है, जहां उपयोगकर्ता-समुदाय नियम लिखते हैं और मूल्य का प्रवाह कोड से संचालित होता है। ब्लॉकचेन, वॉलेट, डीफाई, NFT, DAO, ऑरेकल, IPFS और L2 स्केलिंग मिलकर वह ढांचा बनाते हैं, जिस पर अगली पीढ़ी के ऐप्स खड़े होंगे।

वैश्विक स्तर पर मानक-निर्माण और नियमन में समन्वय बढ़ रहा है, और भारत प्रतिभा तथा डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के बल पर अग्रणी भूमिका निभा सकता है - यदि नीति स्पष्टता, कर-ढांचा और सुरक्षा-अनुपालन की चुनौतियों को संतुलित तरीके से सुलझाया जाए।

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