भारत के तेजी से विकसित हो रहे Crypto बाज़ार में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अमेरिकी क्रिप्टो दिग्गज Coinbase ने भारत में अपनी मौजूदगी मजबूत करने के प्रयासों को औपचारिक रूप से नई दिशा दे दी है।
कंपनी ने भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज CoinDCX की मूल कंपनी DCX Global Services में अल्प हिस्सेदारी खरीदने के लिए नियामकीय मंजूरी का आवेदन दायर कर दिया है। यह फाइलिंग भारत की प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के पास जमा की गई है। इसे कॉइनबेस के भारत में अब तक के सबसे महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
यह निवेश केवल एक वित्तीय सौदा नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल परिसंपत्ति बाजार में अपनी पकड़ और गहरी करने की कॉइनबेस की वर्षों पुरानी रणनीति का निर्णायक चरण है।
अब तक कंपनी को भारत में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ा है, चाहे वह नियामकीय अनिश्चितता हो या फंडिंग दौरों की जटिलताएँ, लेकिन इस नए आवेदन ने उद्योग में चल रही अटकलों को विराम दे दिया है कि कॉइनबेस अब कॉइन डीसीएक्स में अधिक गंभीरता से निवेश बढ़ाने की तैयारी में है।
साझेदारी की नई कहानी
कॉइनबेस और कॉइन डीसीएक्स का रिश्ता नया नहीं है। अमेरिकी एक्सचेंज पहली बार 2020 में कॉइन डीसीएक्स का समर्थक बना था। इसके बाद 2022 और फिर अक्टूबर 2025 में कॉइनबेस ने इसमें अतिरिक्त निवेश किए। इन सभी दौरों को मिलाकर वर्तमान में कंपनी की हिस्सेदारी लगभग 2.34% है।
नए सौदे के मसौदे में कॉइन डीसीएक्स का मूल्यांकन पोस्ट-मनी 2.45 बिलियन डॉलर तय किया गया है, जो इसे भारत की सबसे महंगी और प्रभावशाली क्रिप्टो कंपनियों में शामिल करता है।
दिलचस्प बात यह है कि पिछले कुछ महीनों से उद्योग में इस संभावित डील की चर्चा थी। जुलाई में सीसीएन ने अधिग्रहण की अफवाहों पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसे उस समय कॉइन डीसीएक्स के सह-संस्थापक सुमित गुप्ता ने सार्वजनिक रूप से खारिज किया था।
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लेकिन अब कॉइनबेस द्वारा सीसीआई के साथ आधिकारिक प्रक्रिया शुरू किए जाने से यह साफ हो गया है कि यह मामला अब सिर्फ चर्चा नहीं, बल्कि औपचारिक रूप ले चुका है।
कॉइनबेस के मुख्य व्यवसाय अधिकारी शान अग्रवाल ने हाल ही में कहा था कि भारत मध्य-पूर्व के साथ कंपनी की लंबी अवधि की विकास रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनका मानना है कि भारत आने वाले वर्षों में क्रिप्टो के भविष्य को आकार देने में एक निर्णायक भूमिका निभाएगा।
अनिश्चित नियामकीय माहौल के बीच निवेश बढ़ती दिलचस्पी
यह कदम ऐसे समय आया है जब कॉइनबेस ने हाल ही में भारत की वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) में पुनर्पंजीकरण कराया है। यह वही प्रक्रिया है जिसके तहत उसे पिछले नियामकीय विवादों के कारण लगभग एक वर्ष तक भारत में अपने संचालन को रोकना पड़ा था।
इसके बावजूद, भारत क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 1.4 अरब की विशाल जनसंख्या, जिसमें से आधे से अधिक 30 वर्ष से कम आयु के हैं, भारत को लगातार तीन वर्षों से वैश्विक क्रिप्टो अपनाने के शीर्ष देशों में बनाए हुए है।
विरोधाभासों से भरा
देश में क्रिप्टो अपनाने की दर दुनिया में सबसे अधिक, लेकिन कोई व्यापक और स्पष्ट क्रिप्टो कानून नहीं है। स्टार्टअप तेजी से बढ़ बढ़ रहा है, लेकिन 30% लाभ कर और हर ट्रेड पर 1% टीडीएस उद्योग पर भारी बोझ हुयी है।
निवेशकों की संख्या करोड़ों में है, लेकिन सरकार की नीति अब भी हिचकिचाहट भरी है। फिर भी, 2017 के बाद से भारत कई क्रिप्टो यूनिकॉर्न्स का घर रहा है। वैश्विक एक्सचेंज नियामकीय असमंजस के बावजूद भारतीय बाजार में प्रवेश और विस्तार को लेकर उत्साहित बने हुए हैं।
क्या वैश्विक दबाव भारत को नियमन की ओर ले जाएगा?
नई दिल्ली अभी तक पूर्ण क्रिप्टो कानून लाने में सतर्क रुख अपनाती रही है। सरकार डिजिटल परिसंपत्तियों को सट्टात्मक मानते हुए उच्च कर नीतियों को बनाए रखती है। इसके चलते उद्योग लंबे समय से अधिक स्पष्टता और स्थायी नीति के इंतजार में है।
बाज़ार विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी कंपनियों की लगातार बढ़ती दिलचस्पी भारत पर दबाव बढ़ा रही है कि वह धीरे-धीरे एक व्यापक और सुसंगत नियामकीय ढांचा तैयार करे। कॉइनबेस का नया निवेश इस प्रवृत्ति को और आगे बढ़ा सकता है।
जैसे-जैसे बड़े वैश्विक एक्सचेंज भारत में अपने ऑपरेशन का विस्तार कर रहे हैं और अधिक पारदर्शी नियमों की मांग कर रहे हैं, भारत के नीति निर्माता भी इस उद्योग को अनदेखा करना मुश्किल पाएँगे।
कॉइनबेस की यह फाइलिंग न सिर्फ निवेश का संकेत है, बल्कि इस बात का भी कि भारत वैश्विक क्रिप्टो परिदृश्य में कितना महत्वपूर्ण बन चुका है।
समग्र रूप से देखें तो यह विकास न केवल कॉइनबेस और कॉइन डीसीएक्स के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत के क्रिप्टो बाज़ार के अगले अध्याय की भी आधारशिला साबित हो सकता है।
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