ऑस्ट्रेलिया में क्रिप्टोकुरेंसी अब पारंपरिक रिटायरमेंट सिस्टम का हिस्सा बनने लगी है। कॉइनबेस और OKX जैसे प्रमुख क्रिप्टो एक्सचेंज अब स्व-प्रबंधित सुपरएनुएशन फंड (SMSFs) के लिए समर्पित उत्पाद लॉन्च कर रहे हैं। SMSFs ऑस्ट्रेलिया के रिटायरमेंट पूल का एक चौथाई हिस्सा है और मार्च 2025 तक इनमें A $1.7 बिलियन (करीब US $1.1 बिलियन) मूल्य की डिजिटल संपत्तियाँ थीं, जो 2021 से सात गुणा अधिक है।

कॉइनबेस ने अपने SMSF उत्पाद के लिए एक वेटिंग लिस्ट खोली है, जिसमें 500 से अधिक निवेशक पहले से शामिल हो चुके हैं और ज्यादातर A $100,000 तक की डिजिटल संपत्ति निवेश की योजना बना रहे हैं। दूसरी ओर, OKX ने जून 2025 में अपना SMSF-समर्पित सेवा प्रस्तुत की और इसने अपनी उम्मीदों से अधिक मांग देखी है।

ये एक्सचेंज केवल क्रिप्टो की सुविधा नहीं दे रहे, बल्कि कानूनी और अकाउंटिंग सलाह से लेकर कस्टडी और रिकॉर्ड-कीपिंग तक का एक एकीकृत समाधान पेश कर रहे हैं। इस तरह वे SMSF निवेशकों के लिए प्रक्रियाओं को सरल बना रहे हैं।

लेकिन नियामक सतर्क है। ASIC ने चेताया है कि क्रिप्टो अत्यधिक अस्थिर हैं और अधिक एक्सपोजर से बड़े नुकसान हो सकते हैं। ATO ने यह भी जोर दिया है कि रिटायरमेंट फंड का उद्देश्य पेंशन में आय सुनिश्चित करना है, न कि सट्टेबाजी करना।

भारत की कहानी अभी तक पूरी नहीं है

भारत में Coinbase ने मार्च 2025 में भारतीय वित्तीय खुफ़िया इकाई (FIU) के लिए पंजीकरण किया है, जिससे उन्हें भारत में क्रिप्टो ट्रेडिंग सेवाएँ लॉन्च करने का रास्ता खुलता है, हालांकि अभी तक कोई स्पष्ट समय-सीमा नहीं दी गई है।

कॉइनटेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, Coinbase उस समय भारतीय नियामकों से वार्ता कर रहा था जब उसने 2023 में भारत में अपनी सेवाएँ बंद कर दी थीं। भारत सरकार ने क्रिप्टो पर 30% का टैक्स और एक प्रतिशत TDS लगाया हुआ है, और पूरी तरह से स्पष्ट नियामक ढांचे का अभी निर्माण होना बाकी है।

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एक रिपोर्ट बताती है कि भारत की जुवेनाइल जनसंख्या क्रिप्टो में काफी रुचि दिखा रही है, लेकिन RBI सहित कुछ सरकारी संस्थाएँ अभी भी इस दिशा में सतर्क हैं। वर्तमान में, जैसे जुड़वा सहायक एक्सचेंज जैसे CoinDCX और Binance पहले से ही भारत में सक्रिय हैं।

निष्कर्ष

ऑस्ट्रेलिया में Coinbase और OKX के माध्यम से रिटायरमेंट फंड में क्रिप्टो को शामिल करने का कदम एक महत्वपूर्ण विकास है। SMSFs में क्रिप्टो की हिस्सेदारी तेज़ी से बढ़ रही है, और इन एक्सचेंजों ने सरल एवं संरचित समाधान तैयार किया है जिससे पारंपरिक निवेशक भी इस क्षेत्र में आकर्षित हो रहे हैं।

भारत में भी Coinbase की वापसी की संकेत से क्रिप्टो अपनाने की दिशा में हलचल है, लेकिन नियामक मसलों और टैक्स नियमों को स्पष्टता दिलाना अभी आवश्यक है। यह सवाल खुला है —भारत कब अपनी रिटायरमेंट सिस्टम में क्रिप्टो को उतने पुख्ता रूप से शामिल करेगा जितना ऑस्ट्रेलिया कर रहा है।


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