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क्रिप्टो निवेश धोखाधड़ी का भंडाफोड़, सोशल मीडिया और पोंजी स्कीम से लाखों की ठगी

ED ने कर्नाटक, महाराष्ट्र और दिल्ली में छापेमारी कर एक बड़े क्रिप्टो निवेश फ्रॉड नेटवर्क का भंडाफोड़ किया। नकली प्लेटफॉर्म और पोंजी स्कीम से निवेशकों को ठगा गया।

क्रिप्टो निवेश धोखाधड़ी का भंडाफोड़, सोशल मीडिया और पोंजी स्कीम से लाखों की ठगी
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के बेंगलुरु ज़ोनल कार्यालय ने 18 दिसंबर को कर्नाटक, महाराष्ट्र और दिल्ली में एक बड़े पैमाने पर क्रिप्टोकरेंसी निवेश से जुड़े वित्तीय धोखाधड़ी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। एजेंसी ने 21 स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें फोर्थ ब्लॉक कंसल्टेंट्स (4th Bloc Consultants) और अन्य संबंधित लोगों के नकली क्रिप्टो निवेश प्लेटफॉर्म से जुड़े मामले में सबूत इकट्ठा किए गए हैं।

ईडी ने बताया कि यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 (Prevention of Money Laundering Act (PMLA), 2002) के तहत की गई। यह छापेमारी कर्नाटक पुलिस द्वारा दर्ज हुए वित्तीय धोखाधड़ी के एफआईआर तथा साझा सूचना के आधार पर की गई थी। एजेंसी ने यह भी कहा कि आरोपियों ने भारतीय और विदेशी नागरिकों को निशाना बनाकर उनके पैसे जुटाए।

सोशल मीडिया से फैलाई गई धोखाधड़ी

जांच में सामने आया कि आरोपियों ने ऐसे फर्जी क्रिप्टो निवेश प्लेटफ़ॉर्म बनाये जो असली निवेश साइटें दिखते थे और उनमें भारी रिटर्न का वादा किया जाता था। इन साइटों पर वास्तविक विशेषज्ञों तथा प्रसिद्ध हस्तियों की तस्वीरों का बगैर अनुमति उपयोग किया गया, ताकि निवेशकों का विश्वास जीता जा सके।

प्रारंभिक निवेशकों को कुछ रिटर्न भी दिखाकर विश्वास हासिल किया जाता था, जो एक क्लासिक पोंजी/मल्टी-लेवल मार्केटिंग (Classic Ponzi/Multi-Level Marketing) स्कीम जैसा मॉडल था। इसके तहत निवेशकों को अन्य लोगों को लाने पर रेफ़रल बोनस भी दिया जाता था, जिससे धोखाधड़ी का दायरा और बड़ा होता।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे Facebook, Instagram, WhatsApp और Telegram का इस्तेमाल इस नेटवर्क ने व्यापक पैमाने पर अपनी योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए किया।

धनशोधन और मनी ट्रेल

ईडी ने यह भी खुलासा किया कि आरोपियों ने कई क्रिप्टो वॉलेट्स, विदेशी बैंक खाते और कंपनियों का उपयोग किया जिससे अपराध से प्राप्त राशि इकट्ठा की गई। इन फंड्स को हवाला चैनलों, अकॉमोडेशन एंट्रीज़ तथा P2P क्रिप्टो ट्रांसफर के माध्यम से भारत लाया गया। इसके बाद इन संसाधनों का उपयोग भारत और विदेशों में संपत्ति बनाने के लिए किया गया।

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एजेंसी की छापेमारी के दौरान कई क्रिप्टो वॉलेट एड्रेस की पहचान की गई, जिनका इस्तेमाल आरोपियों ने POC प्राप्त करने में किया। यह भी सामने आया कि अधिकांश आरोपी अघोषित विदेशी बैंक खातों का उपयोग कर रहे थे और विदेशी संस्थाओं के माध्यम से धन को धोने की कोशिश कर रहे थे।

देशव्यापी संदर्भ

क्रिप्टो और ऑनलाइन निवेश धोखाधड़ी पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। केंद्रीय एजेंसियों द्वारा ऐसी साइबर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग स्कीम्स की जांच जारी है।

उदाहरण के तौर पर, ईडी ने पिछले वर्ष ऑक्टाएफक्स पोंजी (OctaFX Ponzi) स्कैम में विदेश में आरोपी की गिरफ्तारी और करोड़ों रुपये के क्रिप्टो असेट्स को जब्त किया था, जिसमें भारत के निवेशकों को भी भारी नुकसान हुआ था।

ऐसी ही कई अन्य फर्जी निवेश योजनाएं सोशल मीडिया और फर्जी मोबाइल एप्स के जरिए संचालित होती हैं, जिनमें निवेशकों को आकर्षक रिटर्न का वादा कर धन हड़पने की कोशिश की जाती है। इन मामलों में शिकार लोग अक्सर नकली ऐप और वेबसाइटों से जुड़े वॉलेट में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं और बाद में उन्हें वापस नहीं मिलता।

निष्कर्ष

प्रवर्तन निदेशालय की इस कार्रवाई ने एक बड़े और संगठित क्रिप्टो फ्रॉड नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिसमें सोशल मीडिया, नकली निवेश प्लेटफॉर्म और फर्जी रिटर्न की रणनीति के जरिए निवेशकों को निशाना बनाया गया।

यह घटना निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत, साइबर तथा क्रिप्टो फ्रॉड्स के खिलाफ मजबूत कानून और निगरानी तंत्र की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।

आने वाले दिनों में ईडी तथा अन्य एजेंसियों की जांच यह स्पष्ट करेगी कि इस प्रकार के फ्रॉड से जुड़े और कितने परिसरों में लोगों को नुकसान हुआ है तथा ऐसे मामलों को कैसे रोका जाए।

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