आयकर विभाग की विदेशी जांच इकाई ने एक बड़े पैमाने की क्रिप्टो ट्रेडिंग हेराफेरी का पर्दाफाश किया है, जिसमें अवांछित नागरिकों - मुख्य रूप से किसानों और डिलीवरी कर्मियों - की पहचान और दस्तावेजों का दुरुपयोग किया गया। इस घोटाले की कुल रकम अब तक लगभग ₹170 करोड़ आंकी गई है।

कैसे खुला मामला - जांच की शुरुआत

केंद्र सरकार के कर विभाग (CBDT) की ओर से मिले 20 संदिग्ध मामलों की सूचना पर आयकर विभाग ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में सघन जांच शुरू की।
जांच के दौरान यह बात सामने आई कि जिन व्यक्तियों के नाम पर ये बड़े लेनदेन किए गए, उनमें से अधिकांश आयकर रिटर्न नहीं दाखिल करने वालों की श्रेणी में आते थे - यानी वे आमतौर पर आर्थिक गतिविधियों से दूर रहने वाले लोग थे। 

हैरान कर देने वाले मामले - किसान, डिलीवरी बॉय, दफ्तर कर्मचारी

जांच में कई चौंकाने वाली खामियाँ सामने आईं:

  • मिर्दोदि, सिद्धिपेट (तेलंगाना): एक नाम था ₹9.5 करोड़ के ट्रेड का। जब अधिकारी मौके पर गए, तो मिली एक किसान S. नरसिंह - जो खेत में काम कर रहा था, और खुद को इस से अनजान बताया।

  • खम्मम (ग्रामीण मण्डल): शिवा पामुला, एक फूड डिलीवरी कर्मी, के नाम पर ₹8.5 करोड़ के क्रिप्टो ट्रेड दर्ज थे, जबकि उसकी आमदनी और प्रोफ़ाइल इसे सम्भव नहीं बनाती थी।

  • हलागुडा, हैदराबाद: एक वाटर प्लांट कर्मचारी के नाम पर लगभग ₹34.7 करोड़ के लेनदेन मिले।

  • सत्तुपल्ली, आंध्र प्रदेश: एक किसान से जुड़े ₹31 करोड़ के ट्रेडिंग मामले सामने आए।

  • खम्मम → विशाखापत्तनम: एक फार्मास्युटिकल कर्मचारी के नाम पर ₹19.6 करोड़ का लेनदेन दर्ज किया गया।

इन मामलों से साफ है कि यह केवल कुछ नामों तक सीमित नहीं है - यह एक बड़े पैमाने का नेटवर्क है, जिसमें पहचान की चोरी का जाल बुना गया है।

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जाल कैसे बनाए गए? पहचान की चोरी + दस्तावेज़ दुरुपयोग

जांचकर्ता अनुमान लगाते हैं कि यह रैकेट PAN कार्ड, आधार जानकारी, और अन्य पहचान दस्तावेजों का दुरुपयोग करने तक सीमित नहीं रहा - बल्कि इन दस्तावेजों को नकली या छद्म खातों से जोड़कर बड़े पैमाने पर क्रिप्टो ट्रेडिंग की गई।

इन खातों को नॉन-फाइलर व्यक्तियों के नाम पर दर्ज किया गया - ताकि किसी तरह के टैक्स रिटर्न या विवरणी अनुरोध से बचा जा सके।

जांच के प्रारंभिक चरणों में यह स्पष्ट हो गया है कि ये नौ प्राथमिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन अधिकारी इसे "बर्फ की चोटी" कह रहे हैं - यानी अभी और गहराई की तह में और अधिक पहचान सामने आ सकती है।

किस-किस जिले तक फैली जांच?

जांच तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कई जिलों में पहुंची है:

  • हैदराबाद

  • सिद्धिपेट

  • खम्मम

  • जगत‍िकाल

  • सत्तुपल्ली

  • विजयवाड़ा

इन जिलों की ग्रामीण और शहरी सीमाओं में यह नेटवर्क सक्रिय था, जिससे यह क्रियाकलाप बहुत व्यापक दिखता है।

चुनौतियाँ और आगामी कदम

  • रैकेट संचालकों की पहचान: फिलहाल जो मामलों की पुष्टि हुई है, वे केवल प्रारंभिक स्तर की हैं। असली masterminds तक पहुंचने में अधिकारी संघर्ष कर रहे हैं।

  • डिजिटल ट्रेल हटाना: क्रिप्टो ट्रेडिंग प्रणाली में भाग लेने वाले उपकरणों और प्लेटफार्मों की डिजिटल ट्रेलों को मिटाया गया हो सकता है, जो जांच को जटिल बनाता है।

  • पीड़ितों की सुरक्षा और कानूनी कार्रवाई: जिन किसानों, डिलीवरी कर्मियों आदि की पहचान दुरुपयोग हुई है, उन्हें कानूनी सहायता प्रदान करना और उनकी पहचान को दोषमुक्त करना आवश्यक है।

  • क्रिप्टो प्लेटफ़ॉर्मों की जवाबदेही: ऐसे प्लेटफार्मों की भूमिका खंगालना कि उन्होंने कैसे इतने बड़े, संदिग्ध ट्रेड स्वीकार किए - और क्या वे KYC (Know Your Customer) नियमों का पालन करते थे।

  • संविधान एवं डेटा सुरक्षा: यह मामला भारत में पहचान सुरक्षा, डेटा गोपनीयता, और डिजिटल वित्तीय प्रणाली में खामियों की समस्याओं को फिर एक बार सामने लाता है।

निष्कर्ष

यह मामला सिर्फ एक क्रिप्टो घोटाला नहीं है, बल्कि पहचान की चोरी, सामाजिक न्याय, और वित्तीय सुरक्षा का माध्यम बन गया है। जब एक खेती करने वाला व्यक्ति ये जानता है कि उसके नाम पर करोड़ों का व्यापार किया गया है, तो यह बताता है कि डिजिटल युग में भी हमारी सुरक्षा कितना कमजोर हो सकती है।

इस घटना की गहन जांच चल रही है - और आने वाले समय में यह सामने आएगा कि इस रैकेट की बुनियाद कहाँ तक फैली है।

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