भारत में क्रिप्टो उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है, लेकिन यह अभी भी एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जहां स्पष्ट नियमन और मजबूत नीतियों की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है। CoinDCX के सह-संस्थापक सुमित गुप्ता का मानना है कि किसी भी नवोन्मेषी उद्योग की नींव पारदर्शी नियामक ढांचे, उपभोक्ता संरक्षण, जोखिम प्रबंधन, साइबर सुरक्षा और कॉरपोरेट गवर्नेंस पर टिकती है।
गुप्ता के अनुसार,
क्रिप्टो क्षेत्र में बहुत कुछ हासिल किया गया है, लेकिन अभी भी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। यदि इस पारिस्थितिकी तंत्र को स्थायी रूप से विकसित करना है, तो नियमन और उद्योग प्रथाओं को साथ-साथ आगे बढ़ना होगा।
उन्होंने कॉइनटेलीग्राफ भारत की टीम को बताया कि सरकार ने पिछले वर्ष कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। 2023 में वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) सेवा प्रदाताओं को Prevention of Money Laundering Act (PMLA) के तहत बाध्य संस्थाएं के रूप में नामित किया गया, जिसके अनुपालन की निगरानी FIU-IND द्वारा की जा रही है।
इसके अलावा, हाल ही में FIU-IND ने सभी VDA सेवा प्रदाताओं को CERT-In द्वारा मान्यता प्राप्त ऑडिटर्स से साइबर सुरक्षा ऑडिट प्रमाणपत्र जमा करने का निर्देश दिया है, जिससे डिजिटल सुरक्षा को और सुदृढ़ किया जा सके।
गुप्ता ने कहा कि उद्योग के विकास के समानांतर उपभोक्ता संरक्षण और जिम्मेदार संचार पर भी समान ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने बताया, “Advertising Standards Council of India (ASCI) ने क्रिप्टो विज्ञापनों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं ताकि पारदर्शिता बनी रहे और भ्रामक दावे न किए जाएं।” उन्होंने कहा कि एक्सचेंज अब कॉरपोरेट गवर्नेंस, शिकायत निवारण और उपभोक्ता सुरक्षा तंत्र को मजबूत बना रहे हैं, ताकि उपयोगकर्ताओं का विश्वास कायम रहे।
क्या आप जानते हैं - किसानों और डिलीवरी बॉय के नाम पर ₹170 करोड़ का क्रिप्टो घोटाला
इसके साथ ही उद्योग संगठनों द्वारा भी पहल की जा रही है। Bharat Web3 Association जैसे मंच उद्योग में सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए साझा मानक तैयार करने की दिशा में काम कर रहे हैं। हाल ही में संसद की स्थायी समिति ने भी वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे पारदर्शी और जिम्मेदार विकास की आवश्यकता और भी स्पष्ट हुई है।
सुमित गुप्ता ने बताया कि CoinDCX ने इन सिद्धांतों पर सबसे पहले अमल किया है। “हम भारत की पहली FIU-पंजीकृत क्रिप्टो इकाई हैं, ISO प्रमाणित हैं, नियमित आरक्षित निधि का प्रमाण (Proof of Reserves) जारी करते हैं और टैक्स अनुपालन का पूरा पालन करते हैं।”
गुप्ता का मानना है कि जब नियमन, सुशासन और उद्योग की श्रेष्ठ प्रथाएं एक साथ आती हैं, तभी एक विश्वसनीय और स्थायी क्रिप्टो पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण संभव है। “ऐसा वातावरण बनाकर ही हम उपयोगकर्ताओं में विश्वास पैदा कर सकते हैं और उन्हें आत्मविश्वास के साथ डिजिटल एसेट्स की दुनिया में भाग लेने के लिए प्रेरित कर सकते हैं,” उन्होंने कहा।
निष्कर्ष
भारत में क्रिप्टो उद्योग अभी अपने संक्रमण काल से गुजर रहा है। सरकार, नियामक एजेंसियों और उद्योग जगत के संयुक्त प्रयासों से यह क्षेत्र न केवल पारदर्शिता और विश्वास का उदाहरण बन सकता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत को Web3 और डिजिटल एसेट नवाचार का अग्रणी केंद्र भी बना सकता है। जैसा कि सुमित गुप्ता ने कहा — “भरोसा, सुरक्षा और नीति-निर्माण — यही तीन स्तंभ भारत के क्रिप्टो भविष्य की दिशा तय करेंगे।”
ऐसी ही और ख़बरों और क्रिप्टो विश्लेषण के लिए हमें X पर फ़ॉलो करें, ताकि कोई भी अपडेट आपसे न छूटे!