क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत में एक बार फिर चर्चा तेज़ हो गई है। इस बार वजह है एक बड़ा दावा—कि भारतीय निवेशकों के पास अब लगभग 1 मिलियन बिटकॉइन मौजूद हैं। मौजूदा बाजार मूल्य के हिसाब से यह होल्डिंग 120 अरब डॉलर से अधिक बैठती है। यह आंकड़ा अगर सही साबित होता है, तो भारत दुनिया में अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा बिटकॉइन होल्डर देश बन जाएगा।

इस अनुमान के अनुसार, भारत के पास वैश्विक बिटकॉइन आपूर्ति का लगभग 5.1 प्रतिशत हिस्सा है। चूंकि कुल 21 मिलियन बिटकॉइन ही मौजूद हो सकते हैं, इसलिए यह हिस्सेदारी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। हालांकि, यह स्पष्ट कर देना ज़रूरी है कि यह आंकड़ा पूरी तरह से सत्यापित नहीं है और विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की होल्डिंग का अनुमान लगाना तकनीकी रूप से बेहद कठिन है।

ब्लॉकचेन पर बिटकॉइन वॉलेट्स गुमनाम होते हैं और इन्हें किसी विशिष्ट देश से जोड़ना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। साथ ही, भारतीय निवेशक दुनिया भर के क्रिप्टो एक्सचेंजों का उपयोग करते हैं, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर बिटकॉइन स्वामित्व का आंकलन और भी मुश्किल हो जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दावा संभवतः भारत में तेजी से बढ़ते क्रिप्टो उपयोगकर्ता आधार पर आधारित अनुमान भर है, न कि किसी ब्लॉकचेन डेटा या सरकारी रिपोर्ट पर।

जहां एक ओर यह होल्डिंग डेटा अनिश्चित है, वहीं भारत में क्रिप्टो अपनाने की रफ्तार में कोई संदेह नहीं है। देश में क्रिप्टो उपयोगकर्ताओं की संख्या 11 करोड़ से अधिक बताई जा रही है, जो वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा उपयोगकर्ता समुदाय है। यह दिखाता है कि डिजिटल परिसंपत्तियों को लेकर देश में उत्साह बरकरार है, चाहे टैक्स नियम कितने ही कठोर क्यों न हों।

सरकारी दृष्टिकोण से बात करें तो बिटकॉइन और अन्य वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) से कर संग्रहण लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान टैक्स ढांचे में 30 प्रतिशत फ्लैट इनकम टैक्स, 1 प्रतिशत टीडीएस, और अब 18 प्रतिशत जीएसटी शामिल हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में सरकार को क्रिप्टो से जुड़े लेनदेन से कर के रूप में 437 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 63 प्रतिशत अधिक है।

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टैक्स डिपार्टमेंट ने ट्रैकिंग के लिए एडवांस एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल शुरू कर दिया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि बड़े निवेशक कर दायित्व से बच न पाएं। हाल ही में कई हाई-प्रोफाइल टैक्स नोटिस भी भेजे गए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस सेक्टर को हल्के में नहीं ले रही।

हालांकि, उद्योग जगत से यह मांग भी उठ रही है कि टैक्स दरों में कुछ नरमी लाई जाए ताकि वैध निवेशकों को हतोत्साहित न किया जाए। फिलहाल, टैक्स का प्रभाव इतना अधिक है कि कई छोटे निवेशक क्रिप्टो से दूरी बना रहे हैं या गैर-भारतीय प्लेटफॉर्म्स की ओर रुख कर रहे हैं।

कुल मिलाकर, भारत में बिटकॉइन होल्डिंग को लेकर जो संख्याएं सामने आ रही हैं, वे आकर्षक जरूर हैं, लेकिन अभी तक पुष्ट नहीं हैं। यह जरूर कहा जा सकता है कि देश में क्रिप्टो को लेकर रुझान तेजी से बढ़ रहा है और सरकार इससे कर के रूप में ठोस लाभ उठा रही है।

इस क्षेत्र में पारदर्शिता और डेटा आधारित नीतियों की जरूरत अब पहले से कहीं ज़्यादा महसूस की जा रही है।