भारत में क्रिप्टोकरेंसी और वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) से जुड़ी संदिग्ध गतिविधियों पर कार्रवाई तेज हो गई है। सरकार सोमवार को संसद को बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने क्रिप्टो-संबंधित मनी-लॉन्ड्रिंग मामलों में अब तक कुल ₹4,189.89 करोड़ की अवैध कमाई को अटैच/सीज/फ्रीज कर दिया है। इसके साथ ही, एक आरोपी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि CBDT ने 44,057 टैक्सपेयर्स को नोटिस भेजे हैं जिन्होंने VDA में इन्वेस्ट या ट्रेड किया था, लेकिन अपने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में इसकी जानकारी नहीं दी थी। ईडी ने बताया कि इन मामलों में अब तक 29 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और 22 अभियोजन शिकायतें दायर की जा चुकी हैं।
₹888.82 करोड़ की गुप्त आय की पहचान
साथ ही, केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) के लेन-देन में ₹888.82 करोड़ की गुप्त आय की पहचान की है। यह आय उन टैक्सपेयर्स की थी जिन्होंने VDA में निवेश या ट्रेडिंग की लेकिन अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में इसे नहीं दिखाया। अधिकारियों ने कहा कि CBDT ने अब तक 44,057 ऐसे करदाताओं को नोटिस भेजा है।
सरकार ने संसद को यह भी जानकारी दी कि अब वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) को भारत में पूरी तरह से धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के दायरे में लाया गया है। इसके तहत क्रिप्टो से जुड़े सभी संदिग्ध लेन-देन की जांच और मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाएगी।
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वित्तीय विधेयकों एवं फिनटेक पर नियामकों की टीम अब वर्चुअल एसेट्स की जांच-पड़ताल के लिए अपनी क्षमता बढ़ाने पर काम कर रही है। सरकार का यह कहना है कि क्रिप्टो चूंकि सीमापार स्वरूप का है, इसलिए इसका प्रभावी नियमन और जांच केवल भारत में नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही संभव है। इसी वजह से नियामक संस्थाएँ वैश्विक मानकों और वैश्विक समन्वय की मांग कर रही हैं।
क्यों ज़रूरी है यह कदम?
पिछले कुछ वर्षों में भारत में क्रिप्टोकरेंसी और अन्य वर्चुअल डिजिटल एसेट्स में निवेश और ट्रेडिंग में तेजी आई है। कई निवेशक इससे लाभ के लिए जुड़े, लेकिन साथ ही अवैध धन शोधन और टैक्स चोरी की भी संभावनाएँ बढ़ गईं।
पहले भारत में क्रिप्टो लेन-देन पर स्पष्ट, समेकित एवं क़ानूनी रूप से प्रभावी नियम नहीं था। अनियमितता और टैक्स चोरी का लाभ उठाने वालों के लिए यह माहौल सुविधाजनक रहा।
आय और धन शोधन संबंधित मामलों की जाँच करने वाली एजेंसियों ने अब मिलकर यह सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाया है कि क्रिप्टो से जुड़ी ग़ैरकानूनी कमाई और टैक्स चोरी दोनों पर लगाम लगे।
निष्कर्ष
क्रिप्टो और अन्य वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से जुड़े मामलों में यह कार्रवाई भारत में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। कुल ₹4,190 करोड़ की संपत्ति अटैच करना, 29 लोगों की गिरफ्तारी, 22 मुकदमेबाज़ियाँ और एक आरोपी को भगोड़ा घोषित करना संकेत है कि सरकार अब क्रिप्टो लेन-देन को लेकर गंभीर है।
साथ ही, ₹888.82 करोड़ की बेनामी आय की पहचान और 44,057 टैक्सपेयर्स को नोटिस भेजना यह दिखाता है कि टैक्स चोरी और ग़ैरक़ानूनी निवेश पर भी अंकुश लगाया जा रहा है। VDA को PMLA के दायरे में लाने का मतलब है कि अब डिजिटल एसेट्स के सौदों की निगरानी और पारदर्शिता बढ़ेगी।
यदि अन्य देशों के साथ बेहतर समन्वय और क़ानूनी फ्रेमवर्क बनता है, तो भारत में क्रिप्टो-फ्रॉड, मनी-लौन्ड्रिंग और टैक्स चोरी जैसी गलत प्रवृतियों पर लगाम लगना संभव है। यह उन निवेशकों और आम नागरिकों के लिए अच्छी खबर है जो पारदर्शिता और कानूनी सुरक्षा के साथ डिजिटल निवेश करना चाहते हैं।
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