प्रमुख बिंदु

  • पॉलीगॉन के सीईओ संदीप नैलवाल ने कहा ने कहा है कि भारत बहुत जल्द अपना रुपया-समर्थित स्टेबलकॉइन शुरू करेगा।

  • उनका विश्वास है कि अगले तीन महीनों में इसकी घोषणा हो सकती है।

  • शुरुआती दौर में दिक़्क़तें आएँगी, लेकिन आगे चलकर यह मॉडल स्थायी होगा।

  • भारत में अभी क्रिप्टोकरेंसी पर भारी कर है — 1% टीडीएस और 30% पूँजीगत लाभ कर।

  • स्टेबलकॉइन से डिजिटल भुगतान तेज, सस्ता और व्यापक हो सकता है।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी मुद्रा नहीं माना जाता, लेकिन वे वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA)  के रूप में स्वीकार्य है। निवेश, ट्रेडिंग और होल्डिंग की अनुमति है, पर भुगतान के लिए उनका उपयोग निषिद्ध है। भारत में CBDC — डिजिटल रुपया — भी जारी किया जा रहा है, जिसे केंद्रीय बैंक की गारंटी प्राप्त है। इस प्रकार भारत में क्रिप्टो अपनाने वाला परिदृश्य तेज़ी से बढ़ा है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि Q4 2024 में क्रिप्टो ट्रेडिंग वॉल्यूम $1.9 बिलियन पहुंच गया और अगले एक दशक में यह $15 बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद जताई जाती है।

“तीन महीनों में रुपया-स्टेबलकॉइन”

एक हालिया सम्मेलन में पॉलीगॉन के सीईओ संदीप नैलवाल ने कहा: “मुझे 100 प्रतिशत यक़ीन है कि आप तीन महीनों में सुनेंगे कि भारत में भी रुपया-स्टेबलकॉइन की शुरुआत हो रही है।” इससे संकेत मिलता है कि सरकार या कोई अधिकृत संस्था डिजिटल रुपये को नए रूप में लाने की तैयारी कर रही है।

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नैलवाल ने माना कि पहले चरण में तकनीकी व नियामकीय अड़चनें सामने आएँगी। लेन-देन, स्वीकार्यता और सुरक्षा से जुड़ी दिक़्क़तें भी होंगी। लेकिन उनका मानना है कि समय के साथ यह मॉडल मज़बूत होगा और आम लोगों के लिए विश्वसनीय विकल्प बन जाएगा।

रुपया-स्टेबलकॉइन क्यों अहम है?

  • पारदर्शिता: ब्लॉकचेन तकनीक से हर लेन-देन का स्पष्ट रिकॉर्ड रहेगा।

  • कम लागत: परंपरागत भुगतान प्रणालियों की तुलना में यह तेज़ और सस्ता होगा।

  • वित्तीय समावेशन: ग्रामीण और बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों तक डिजिटल वित्तीय सेवाएँ पहुँचेंगी।

  • आंतरिक व अंतरराष्ट्रीय उपयोग: न सिर्फ़ घरेलू भुगतान, बल्कि सीमा-पार लेन-देन भी आसान और त्वरित होंगे।

निष्कर्ष

संदीप नैलवाल का विश्वास भारत में वित्तीय नवाचार की दिशा में एक बड़ा संकेत है। यदि रुपया-आधारित स्टेबलकॉइन अगले तीन महीनों में लॉन्च होता है, तो यह डिजिटल भुगतान की दुनिया में भारत की भूमिका को मज़बूती देगा। चुनौतियाँ ज़रूर रहेंगी, पर सफलता मिलने पर यह पहल करोड़ों भारतीयों के लिए तेज़, सस्ता और भरोसेमंद भुगतान तंत्र साबित हो सकती है।निस्संदेह, नैलवालद्वारा किया गया यह दावान केवल क्रिप्टो समुदाय में उत्साह भरने वाला है, बल्कि यह वित्तीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत के लिए एक बड़ा कदम भी हो सकता है।

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